किसी भी अन्य कारोबार की तरह, एक स्वरोजगार व्यक्ति के लिए भी यह जानना जरूरी होता है कि उसे कहां-कहां से कारोबार मिल सकता है और कहां से आमदनी हो सकती है।
इस दिशा में सबसे पहला कदम होता है आपकी सेवाओं या उत्पाद के लिए संभाव्य खरीदार की तलाश। चूंकि मेरा कारोबार प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करना है, इसलिए इस क्षेत्र में अंतराल बेहद है। हालांकि अंतराल होने का मतलब यह नहीं है कि कोई भी उसे सफलतापूर्वक भर लेगा।
खरीदार अपने पैसे के लिए ज्यादा से ज्यादा कीमत वसूल करने में विश्वास रखते हैं। एक उत्पाद बेचना सेवाओं को बेचने से काफी अलग है।
उत्पाद को तो देखा जा सकता है और उसे महसूस किया जा सकता है, लेकिन सेवाओं का परिणाम कुछ समय के बाद ही देखने को मिलता है।
इसलिए, जब किसी जरूरतमंद से आपको आपका पहला काम मिल जाए, कारोबार को बढ़ाने के लिए यह जरूरी है कि आप जो प्रशिक्षण कार्यक्रम उन्हें देने जा रहे हैं, वे गुणवत्ता के मामले में बेहतर हों। और जो गुणवत्ता आप अपने खरीदार को दे रहे हैं वह व्यक्ति-व्यक्ति और संस्था-संस्था की जरूरतों के आधार पर अलग होती है।
यह वह समय है जब उद्यमी को आत्म-विश्लेषण या प्रबंधन की भाषा में एसडब्ल्यूओटी (विशेषताएं, कमजोरियां- मौके- मुसीबतों) का विश्लेषण करना चाहिए।
इस क्षेत्र में कारोबार बढ़ाने के लिए क्या आपमें वे सभी विशेषताएं हैं और आपकी कमजोरियां क्या हैं- ये वे दो महत्वपूर्ण बातें हैं, जिनका ध्यान आपको रखना चाहिए।
मेरे लिए, जब मैं इस निष्कर्ष पर पहुंच गया कि मेरे पास वह सभी विशेषताएं हैं, जो मेरे कारोबार लिए जरूरी हैं, यही मेरी विशेषता थी। और जोखिम यह था- मेरा निर्णय गलत हो सकता है। अब सवाल था कि अगर मेरा निर्णय गलत हुआ तो?
कुछ मामलों में यह मान लिया जाता है कि कुछ खरीदारों का मेरी ओर से मुहैया कराई गई सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर निर्णय अलग होगा, लेकिन जोखिम तो तब है जब बहुत से खरीदारों की सोच एक जैसी हो।
अगर बाद वाली स्थिति बनती है तो इसका मतलब यह होगा कि मुझे कारोबार नहीं मिलेगा और अगर शुरुआत में मिल भी जाता है तो यह लंबे समय तक नहीं रहेगा।
इस बात को ध्यान में रखते हुए मैंने एक आकस्मिक स्थिति के लिए भी योजना बनाई है। एक बार फिर इस योजना को बनाने में विशेषताओं और कमजोरियों का विश्लेषण काफी मदद करता है।
मैंने इस बार दो अन्य विकल्प भी लिखे जो मुझे लगता है कि मुमकिन हैं। नकदी की योजना सबसे पहले बनाई ताकि उतनी ही जल्द मेरे पास पैसे आ सकें।
मैंने अपना पहला काम हासिल करने के लिए खुद को तीन महीने का समय दिया, ताकि चौथा महीना खत्म होने से पहले मेरे पास पैसे आ जाएं।
हालांकि मुझे जल्दी-जल्दी हिसाब-किताब लगाना था, अगर कारोबार ठीक से न चल पाए तो। इसके बाद मेरा दूसरा काम था उन लोगों के नामों की सूची बनाना जो मेरी सेवाओं को ले सकते थे। बिक्री की भाषा में इसे संभावित खरीदारों की सूची बनाना कहा जाता है।
चूंकि मैं नौकरी छोड़ने से कुछ समय पहले से ही अपने कारोबार की योजना बनाना शुरू कर चुका था, मुझे इस बात का पूरा ख्याल रखना था कि मैं उन सभी लोगों को अपने साथ जोड़ सकूं।
दिलचस्प बात तो यह है कि मेरा पहला काम मुझे उस व्यक्ति से मिला, जिसका नाम मेरी संभाव्य खरीदारों की सूची में नहीं था। जिंदगी कई बार हैरत में डाल देती है- कई बार अच्छी तो कई बार बुरी चीजों में।
