संपत्ति बाजार में काफी हद तक सुधार हुआ है, इसमें शायद ही किसी को कोई संदेह होगा।
नतीजतन, रियल ऐसेट विश्लेषक अब इस बात पर गरमागरम बहस कर रहे हैं कि आखिर, कीमतें अंतिम तौर पर किस स्तर पर जाकर रुकेगी।
कइयों का मानना है कि खरीदारी का यह सबसे उपयुक्त समय है क्योंकि बाजार की मौजूदा स्थिति खरीदार को रियल एस्टेट डेवलपर से मोल-भाव करने का अवसर प्रदान करती है।
हाल में रियल एस्टेट कंपनियों के आंकडों पर नजर रखने वाली कंपनी प्रॉपइक्विटी द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मुंबई के बाजार में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में औसतन 42.84 फीसदी सुधार हुआ है।
इसी तरह सेंट्रम ब्रोकिंग की महाराष्ट्र चैंबर ऑफ हाउसिंग एक्जिबिशन पर जारी की गई एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार कुछ बड़े डेवलपर जैसे कल्पतरु, लोधा, रुस्तमजी और ऐक्म ग्रुप के शेयरों का कारोबार छह महीने पहले इनके कार्ड रेट से 20 फीसदी से कम के स्तर पर हो रहा था।
कुछ अन्य रियल एस्टेट डेवलपर जैसे गॉदरेज प्रॉपर्टीज अपनी महालक्ष्मी परियोजना की कीमतों में 34 फीसदी कमी करने का फैसला कर चुकी थी। प्रॉपइक्विटी की रिपोर्ट की माने तों मुंबई के अलावा देश के अन्य महानगरों में पिछले छह महीनों के दौरान रियल ऐसेट की कीमतों में काफी सुधार हुआ है।
इनमें गुड़गांव में 24 फीसदी, चेन्नई में 13 फीसदी जबकि हैदराबाद में इसी अवधि के दौरान 10 फीसदी तक की कमी आई है। अब लाख टके का सवाल यह उठता है कि बाजार के मौजूदा रुख को देखते हुए निवेश के लिहाज से घर खरीदा जा सकता है या नहीं?
निवेश सलाहकार और हाउसिंग मार्केट विश्लेषक इस पर अपनी असहमति जाहिर करते हैं। इस बाबत एंजल ब्रोकिंग के कार्यकारी निदेशक (वितरण और परिसंपत्ति प्रबंधन) हिमांशु देबनाथ कहते हैं ‘सबसे पहले तो आवासीय परिसंपत्ति पर मिलने वाला मुनाफा काफी कम है और यह मात्र 3-5 फीसदी के बीच है।’
अगर आप इसकेलिए बैंक से कर्ज लेते हैं और इस बात की आशा करते हैं कि किराये से मासिक किस्तों के भुगतान में मदद मिलेगी, तो निश्चित तौर पर आपको दोबारा सोचने की जरूरत है। इस बारे में एक संपत्ति विशेषज्ञ का कहना है ‘संपत्ति की कीमतों में चढाव और किराये से आने वाली आय तो बैंक के पहले कुछ वर्षों में ब्याज के भुगतान के लिए भी नाकाफी होगी। बेहतर परिणाम के लिए खरीदार को लंबे समय तक संपत्ति को अपने पास रखने की जरूरत होगी।’
विश्लेषक इस बात की भी सलाह देते हैं कि अगर कीमतों में सुधार होना बंद हो जाता है तो अगले दो सालों के दौरान कीमतों में किसी तरह का उतार-चढाव देखने को नहीं मिलेगा और यह स्थिर बना रहेगा। इसके बाद बात जाकर कर संबंधी मसलों पर ठहर जाती है। अगर घर किराये पर लगाया जाता है तो उस स्थिति में इससे प्राप्त होने वाली आय को संबंधित व्यक्ति के वेतन में जोड़ दिया जाता है और फिर कर लगाया जाता है।
इसके अलावा आयकर विभाग आवासीय परिसंपत्ति पर 1 फीसदी का संपत्ति कर लगाता है जब तक कि इसे साल में कम से कम 300 दिन किराये पर नहीं लगाया जाता है। हालांकि यह उन आवासीय परिसंपत्ति पर लागू होता है जिनकी कीमत 15 लाख रुपये से अधिक होती है। मिसाल के तौर पर अगर परिसंपत्ति की कीमत 25 लाख रुपये है तो संपत्ति कर 10 लाख रुपये के ऊपर लगेगा।
दिलचस्प बात यह है कि अगर घर को किराये पर नहीं भी लगाया जाता है तो भी आयकर विभाग संभावित किराये के आधार पर मकान मालिक से कर वसूलता है। निवेश को ध्यान में रखकर खरीदा गया घर आपके पोर्टफोलियो के लिए भी नुकसानदेह हो सकता है।
इस बाबत प्रमाणित वित्तीय सलाहकार गौरव मशरूवाला का कहना है ‘चूंकि आपके पोर्टफोलियो में ज्यादातर हिस्सा रियल एस्टेट का होगा और इस परिसंपत्ति के इल्लिक्विड होने की वजह से आपात स्थिति में काफी परेशानियों का सामना करना पड सकता है। यहां तक कि आपको अपने घर को भी बेचना पड़ सकता है।’
हालांकि आप इसके बाद भी निवेश के लिहाज से घर खरीदने को लेकर अपना मन बना चुके हैं तो छह महीने और इंतजार कर लीजिए। उम्मीद की जा सकती है कि उस समय तक अर्थव्यवस्था को लेकर तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाएगी और रियल एस्टेट की कीमतों में काफी हद तक पटरी पर आ जाएगी।
