facebookmetapixel
50% अमेरिकी टैरिफ के बाद भारतीय निर्यात संगठनों की RBI से मांग: हमें राहत और बैंकिंग समर्थन की जरूरतआंध्र प्रदेश सरकार ने नेपाल से 144 तेलुगु नागरिकों को विशेष विमान से सुरक्षित भारत लायाभारत ने मॉरीशस को 68 करोड़ डॉलर का पैकेज दिया, हिंद महासागर में रणनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिशविकसित भारत 2047 के लिए सरकारी बैंक बनाएंगे वैश्विक रणनीति, मंथन सम्मेलन में होगी चर्चाE20 पेट्रोल विवाद पर बोले नितिन गडकरी, पेट्रोलियम लॉबी चला रही है राजनीतिक मुहिमभारत को 2070 तक नेट जीरो हासिल करने के लिए 10 लाख करोड़ डॉलर के निवेश की जरूरत: भूपेंद्र यादवGoogle लाएगा नया फीचर: ग्रामीण और शहरी दर्शकों को दिखेगा अलग-अलग विज्ञापन, ब्रांडों को मिलेगा फायदाअब ALMM योजना के तहत स्वदेशी सोलर सेल, इनगोट और पॉलिसिलिकन पर सरकार का जोर: जोशीRupee vs Dollar: रुपया 88.44 के नए निचले स्तर पर लुढ़का, एशिया की सबसे कमजोर करेंसी बनीब्याज मार्जिन पर दबाव के चलते FY26 में भारतीय बैंकों का डिविडेंड भुगतान 4.2% घटने का अनुमान: S&P

योजना तो है असरदार फिर भी राह नहीं आसान

Last Updated- December 10, 2022 | 8:07 PM IST

आम तौर पर जब बाजार में नियमित उत्पाद कुछ खास कर पाने में सफल नहीं हो पाते हैं तो वित्तीय संस्थानों को नए उत्पाद लाने पर मजबूर होना पड़ता है।
ठीक यही काम आजकल बीमा उद्योग से जुडी क़ंपनियां कर रही हैं। दिसंबर के आस-पास कुछ बीमा कंपनियों ने नई तरकीब निकाली और निवेशकों को शर्तिया तौर पर प्रतिफल देने वाले बीमा उत्पादों से लुभाना शुरू लिया।
मिसाल के तौर पर भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने ऐसी ही शर्तिया तौर पर प्रतिफल देने वाली अपनी नई योजना जीवन आस्था को बाजार में उतारा। यद्यपि एलआईसी ने इससे 25,000 करोड़ रुपये जुटाने योजना बनाई थी लेकिन कंपनी को अंत में सिर्फ 10,000 करोड रुपये से ही संतोष करना पड़ा। हाल में ही एलआईसी ने मनी बैक योजना जीवन वर्षा को बाजार में उतारा है।
इधर कुछ दिन पहले ही कु छ अन्य जीवन बीमा कंपनियों ने ऐसे उत्पादों को बाजार में उतारा है जो फंड द्वारा परिपक्वता की अवधि के दौरान अर्जित अधिकतम शुध्द परिसंपत्ति (एनएवी) के आधार पर प्रतिफल देगा। हालांकि इस तरह के उत्पादों के बाजार में आने से ग्राहकों के बीच दिलचस्पी कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। लेकिन वाकई ये उत्पाद अपने उद्देश्यों और ग्राहकों से किए वादे को पूरा कर पाने में सफल हो पाते हैं?
आइए, इन्हीं बातों को जानने का प्रयास करते हैं। फिलहाल तीन जीवन बीमा कंपनियां इस तरह के उत्पाद को ऑफर कर रहीं हैं। इनमें से एक टाटा एआईजी लाइफ की योजना इन्वेस्टएश्योर एपेक्स है जिस पर सालाना न्यूनतम प्रीमियम 90,000 रुपये का न्यूनतम प्रीमियम का भुगतान करना होता है। बिड़ला सन लाइफ ने प्लेटिनम प्लस को ग्राहकों के सामने पेश किया है जिस पर न्यूनतम सालाना प्रीमियम 1 लाख रुपये तक का है।
इसी श्रेणी में तीसरी जीवन बीमा कंपनी एसबीआई लाइफ ने स्मार्ट यूलिप के नाम से एक योजना शुरू की है जिस पर सालाना प्रीमियम 50,000 रुपये है। टाटा एआईजी और बिड़ला सन लाइफ खरीदारी के लिए इस महीने तक खुली है जबकि एसबीआई यूलिप को एक साल की अवधि के दौरान बेचेगी। इन सभी पॉलिसियों में तीन सालों के बाद आंशिक रूप से निकासी की जा सकती है। इसके अलावा कंपनियां पहले साल के बाद प्रीमियम में भी कटौती का वादा कर रही हैं।
टाटा एआईजी के इन्वेस्टएश्योर एपेक्स का जायजा लेते हैं। इस पॉलिसी के तहत रिसेट डेट जुड़ा है जो प्रत्येक महीने की 10 तारीख को प्रभाव में आता है। पॉलिसी की अवधि के दौरान अधिकतम प्रीमियम का मूल्यांकन करने के लिए फंड प्रत्येक महीने की 10 तारीख को कुल 100 एनएवी पर ध्यान केंद्रित करेगा। टाटा की योजना में दो फंडों की रणनीति काम कर रही है।
जब आप पॉलिसी खरीदते हैं तो लागु होने वाली कटौती के बाद सालाना प्रीमियम सबसे पहले एपेक्स इन्वेस्टमेंट फंड में जाएगा और फिर इस रकम को अगले रिसेट डेट के तत्काल बाद एपेक्स रिटन लॉक-इन फं ड में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। एपेक्स फंड मुद्रा बाजार और लघु अवधि के बॉन्ड इंस्ट्रूमेंट में निवेश करता है।
टाटा एआईजी में मुख्य निवेश अधिकारी प्रसून गजरी का कहना है कि हम निवेशकों को खरीदारी के दौरान भी कुछ प्रतिफल देना चाहते हैं और साथ ही फंड प्रबंधन पर होने वाले खर्च की बचत करने का प्रयास करते हैं। एपेक्स इन्वेस्टमेंट फंड केवल पहले तीन सालों के लिए ही अस्तित्व में रहेगी। इसी तरह दूसरा फंड एपेक्स रिटर्न लॉक-इन बड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश कर सक्रिय रूप से पैसे का प्रबंधन करेगी।
इस फंड को समूचे पोर्टफोलियो को इक्विटी, डेट इंस्ट्रूमेंट या नकदी के रूप में रखने का अधिकार प्राप्त है। फं ड प्रबंधन करने के लिए यह एक मॉडल का इस्तेमाल करती है जिसे कॉन्स्टेन्ट प्रपोर्शन पोर्टफोलियो इंश्योरेंस (सीपीपीआई) के नाम से जाना जाता है। यह एक ऐसी कारोबारी रणनीति है जो एक निश्चित न्यूनतम प्रतिफल देते हैं।
इस बाबत एसबीआई लाइफ के अभय तिवारी का कहना है कि योजना की परिपक्वता की अवधि पूरी होने पर अधिकतम एनएवी देने का लक्ष्य पूरा हो जाता है। सीपीपीआई के तहत फंड शेयर बाजार के प्रदर्शन और ब्याज दरों को देखते हुए कॉर्पस को सुरक्षित परिसंपत्तियों(बॉन्ड और नकदी) और जोखिम वाली परिसंपत्तियों (शेयर) में विभाजित कर दिया जाता है। परिसंपत्ति आवंटन की प्रक्रिया निवेशकों को चढ़ते शेयर बाजर में सक्षम बनाती है जबकि बाजार में गिरावट के दौरान पूंजी की सुरक्षा भी करता है।
फंड को पॉलिसी की अवधि के दौरान समुच्चय सिध्दांत या अन्य गणितीय सिध्दांत का इस्तेमाल कर अपने पोर्टफोलियो को सुरक्षित और जोखिम वाली परिसंपत्तियों के बीच पुनर्संतुलन स्थापित करना पड़ता है। टाटा एआईजी की बात करें तो प्रीमियम आवंटन की शुल्क (पीएसी) पहले साल में 9.5 फीसदी होती है जबकि दूसरे और तीसरे साल में इसकी दर 4 फीसदी होती है।
एसबीआई लाइफ इन उत्पादों में सबसे ज्यादा पीएसी वसूलती है। पहले एक साल के लिए यह दर 15 फीसदी है जबकि तीसरे और चौथे साल के लिए यह दर 5 फीसदी है। बिड़ला सन लाइफ पहले साल में 10 फीसदी का शुल्क वसूलती है जबकि दूसरे और तीसरे साल के लिए यह शुल्क 4 फीसदी है।
निवेश को प्रबंधित करने वाले दो फंडों का फंड प्रबंधन शुल्क भी अलग-अलग होता है। एपेक्स फंड के लिए यह शुल्क 0.90 फीसदी है जबकि एपेक्स रिटर्न लॉक-इन फंड 1.45 फीसदी शुल्क वसूलती है। अगर कुछ विचलनों को छोड़ दें तो यह शुल्क मानक शुल्क ही माना जाता है।
अंत में लाइव कवर देने के लिए मोर्टेलिटी शुल्क भी हैं। 18 वर्ष की उम्र के किसी व्यक्ति को 4.5 लाख के बीमा कवर के बदले बिड़ला सन लाइफ प्रति वर्ष 432 रुपये की कटौती होती है जबकि 70 वर्ष की उम्र वाले व्यक्ति के लिए यह कटौती प्रति वर्ष 1,731 रुपये की होती है। इसी तरह 25 साल के किसी आदमी के लिए प्रति वर्ष 1,083 रुपये  मोर्टेलिटी के रूप में लिया जाएगा जबकि 65 साल के बुजुर्ग के लिए यह यह शुल्क 21,060 रुपये होगा। परिसंपत्ति प्रबंधन के जानकारों का कहना है कि ऐसे निवेशकों के लिए सटीक बैठता है जो जोखिम लेने से परहेज करते हैं।
फंड प्रबंधन की शैली बाजार में छोटे स्तर पर बढ़ोतरी होने के साथ ही पूंजी को सुरक्षा प्रदान करता है। इस बाबत एक जानकार का कहना है कि फंडों में परिचालन शुल्क काफी ज्यादा होता है जिन्हें लगातार अपने पोर्टफोलियो को समायोजित करना होता है। हालांकि उन्होनें यह भी कहा कि ऐसे लोग जो अधिक इक्विटी रिटर्न की चाह रखते हैं उनके लिए यह सटीक नहीं है।

First Published - March 15, 2009 | 11:10 PM IST

संबंधित पोस्ट