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शेयरों के बायबैक होने पर पूंजी लाभ में कर से बचत

Last Updated- December 05, 2022 | 10:42 PM IST

मेरे पास एक सूचीबध्द कंपनी के पिछले पांच वर्षों से शेयर हैं। कंपनी ने बाजार में मूल्य से कहीं अधिक रकम पर अपने शेयरों के लिए बायबैक का प्रस्ताव दिया है।


इस प्रस्ताव से मैं खासी आकर्षित हूं। चूंकि यह लेन-देन स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से नहीं हो रहा, क्या फिर भी मैं अपने दीर्घावधि पूंजी लाभ का फायदा आयकर में छूट के तौर पर उठा सकती हूं?


तराना देसाई, औरंगाबाद


दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर तब बनाता है, जब शेयर को मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से बेचा जाए। एक्सचेंज के माध्यम से बिक्री के परिणामस्वरूप एसटीटी (प्रतिभूति लेन-देन कर) लगाता है, जिसके कारण लेन-देन को मान्या मिलती है और फिर धारा 10 (38) के तहत आपको दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर में छूट मिलती है।


चूंकि बायबैक किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से नहीं हो रहा, तो कंपनी इस पर एसटीटी का भुगतान नहीं करेगी। आपको धारा 10 (38) के तहत छूट नहीं मिलेगी। आपके लाभ पर 20 प्रतिशत कर (अधिभार और शिक्षा उपकर अतिरिक्त) इंडेक्सेशन लाभ के साथ या 10 प्रतिशत बिना इंडेक्सेशन लाभ, दोनों में से जो अधिक लाभदायक हो वह, लगेगा।


मैं आपको सलाह दूंगी कि सभी कर्मचारियों को प्रबंधन को एक मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के शेयर ब्रोकर को नियुक्त करने के लिए मनाना चाहिए। वह यह शेयर खरीद लेगा, इसके लिए आधिकारिक बिल जारी करेगा और एसटीटी भी चार्ज करेगा। इससे आपका कर बच जाएगा और कंपनी इन शेयरों को ब्रोकर से खरीद सकेगी।


क्या में अपने माता-पिता जो मुझ पर निर्भर नहीं हैं, उनकी यात्रा के खर्चों पर एलटीए (लीव ट्रैवल अलाउंस) पर छूट का दावा कर सकता हूं?


लॉरेंस डीसूजा, पणजी


जी हां। धारा 10 (5) के तहत यह कतई जरूरी नहीं है कि आपके माता-पिता आप पर निर्भर ही हों, तभी उनके लिए एलटीए में छूट मिल सकती है। हालांकि, यह छूट ‘सअवकाश यात्रा’ के लिए भत्ते के संबंध में ही मिलती है। इसलिए, इस भत्ते पर दावे के लिए आपको छुट्टियां लेकर यात्रा में पैसा खर्च करना जरूरी है।


मैं 1 मई से पश्चिमी एशिया में एक नई नौकरी के लिए भारत छोड़ रहा हूं। देश वापसी तक मेरी नौकरी बनी रहेगी। मैं यह जानना चाहता हूं कि मैं कैसे कर और रियायत के लिए प्रवासी भारतीय का दर्जा हासिल कर सकता हूं?


अशोक पारिख, बिलिमोड़ा


एक करदाता का आवासीय दर्जा, भारत में कर नियमों के अनुसार इस बात पर निर्भर करता है कि वह देश में कितनी लंबी अवधि से प्राकृतिक रूप से रह रहा है। कर के लिए आप यहां के निवासी माने जाते हैं, अगर आप देश में 182 दिन या एक वित्त वर्ष में उससे अधिक दिनों के लिए रहे हों।


साथ ही, अगर आप देश में वित्त वर्ष के कम से कम 60 दिनों के लिए और उससे पहले के चार वर्षों में 365 दिनों से रह रहे हों। अगर आप रोजगार के लिए विदेश जा रहे हों और देश छोड़ रहे हों तो  यह 60 दिनों की अवधि 182 दिनों के बराबर मानी जाती है। अगर आप इन दोनों स्थितियों में से किसी एक में भी नहीं आते तब कर के लिए आपको प्रवासी भारतीय माना जाएगा।


जैसा कि आप 1 मई से नौकरी के लिए देश छोड़ रहे हैं, प्रवासी भारतीय का दर्जा प्राप्त करने के लिए आपको वित्त वर्ष 2008-09 में देश से कम से कम 182 दिनों से अधिक के लिए बाहर रहना होगा। अगर आप कर के लिए यहां के निवासी रहते है तो विदेश में हुई आय को भारत में कर से जूझना होगा।


अगर आप ‘निवासी लेकिन सामन्यत: भारत में निवासी नहीं’ बन जाते हैं, तब आपको सिर्फ भारत में होने वाली आय पर कर देना होगा। एक प्रवासी भारतीय के तौर पर भी आपको भारत में होने वाली आय पर ही कर देना होगा। ऐसे में विदेश में होने वाली आय पर देश को कर देना होगा। ऐसे में मध्य-पूर्व में होने वाली आय के लिए आपको देश वापस आकर कर नहीं देना होगा।

First Published - April 20, 2008 | 11:44 PM IST

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