सरकार द्वारा बजट 2025 में घोषित टैक्स राहत इस साल लागू हो गई है, और अब रियल एस्टेट सेक्टर को उम्मीद है कि इससे लोगों के पास ज़्यादा पैसा बचेगा, जो वे घर खरीदने में लगा सकते हैं। खासकर अफॉर्डेबल और मिड-सेगमेंट यानी ₹2 करोड़ से ₹4 करोड़ तक की प्रॉपर्टीज़ में निवेश बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
रियल एस्टेट कंपनियों को नई उम्मीद
अड्रोमेडा रियल्टी एडवाइजर्स के को-सीईओ सुनील देवली ने कहा कि टैक्स में राहत से लोगों की जेब में ज़्यादा पैसे आएंगे, जिससे वे डाउन पेमेंट देने में सक्षम होंगे या ज़्यादा लोन लेने का आत्मविश्वास पा सकते हैं। यही अतिरिक्त पैसा उनकी ईएमआई आसान बना सकता है और शायद वही आखिरी धक्का होगा जिससे वे घर खरीदने का फैसला कर सकें।
सैलरी क्लास के लिए खुल सकते हैं दरवाज़े
सिग्नेचर ग्लोबल के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल का कहना है कि नई टैक्स नीति से मिड-सेगमेंट घरों की मांग में तेज़ी आ सकती है। ₹10 लाख से ₹25 लाख सालाना कमाने वाले लोग, खासकर नौकरीपेशा वर्ग, टैक्स प्लानिंग की शुरुआत में ही घर खरीदने का फैसला ले सकते हैं।
महिलाओं की भागीदारी और जॉइंट लोन का असर
जैसे-जैसे महिलाओं की आय में हिस्सेदारी बढ़ रही है, जॉइंट होम लोन लेने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। एक उदाहरण के मुताबिक, अगर पति-पत्नी दोनों ₹1 लाख प्रति माह कमाते हैं, तो उनका संयुक्त सालाना वेतन ₹24 लाख होता है — जो उन्हें मिड-सेगमेंट फ्लैट्स के लिए पात्र बनाता है।
दूसरे घर खरीदने वालों को भी राहत
अब अगर किसी व्यक्ति के पास दो घर हैं और दोनों को वह खुद इस्तेमाल कर रहा है, तो उस पर “काल्पनिक किराए” (notional rent) का टैक्स नहीं लगेगा। इससे कुछ लोग दूसरा घर भी निवेश के तौर पर खरीदने का सोच सकते हैं, खासकर किराया कमाने के इरादे से।
बड़ी तस्वीर में दिख रही है दोहरी स्थिति
अनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी का कहना है कि रेंटल इनकम पर टीडीएस की सीमा बढ़ने से प्रॉपर्टी मालिकों के हाथ में ज़्यादा पैसा आएगा और वे नई प्रॉपर्टी खरीदने की सोच सकते हैं। मगर, वेस्टियन ग्लोबल के सीईओ श्रीनिवास राव का मानना है कि वैश्विक मंदी की आशंका के चलते लोग पैसा बचाकर रखने को प्राथमिकता दे सकते हैं।
पुरानी टैक्स नीति में मिलती थी होम लोन पर बड़ी राहत
टैक्स कनेक्ट एडवायज़री के पार्टनर विवेक जालान ने चेतावनी दी है कि नई टैक्स नीति में लोग होम लोन पर मिलने वाली ₹3.5 लाख की कटौती से वंचित हो सकते हैं, जो पहले पुरानी टैक्स व्यवस्था में मिलती थी। इससे कुछ लोग घर खरीदने का इरादा टाल सकते हैं।
शिक्षा और महंगाई भी बड़ी चुनौतियां
नेरेडको (NAREDCO) के अध्यक्ष जी. हरी बाबू ने कहा कि टैक्स में छूट से आम आदमी को थोड़ी राहत तो जरूर मिलेगी, लेकिन बढ़ती महंगाई और शिक्षा खर्च के बीच घर खरीदना शायद उनकी पहली प्राथमिकता न हो। उनके अनुसार केवल 5–10% लोग ही टैक्स बचत का इस्तेमाल रियल एस्टेट में कर सकते हैं।