मार्च के दौरान अधिकांश निवेशक बाजार में निवेश के ऐसे अवसरों की तलाश कर रहे थे जो दोहरे इंडेक्सेशन का लाभ दे सके। इसके पीछे निवेशकों की मंशा कर संबंधी बोझ को ज्यादा से ज्यादा कम कर बेहतर प्रतिफल पाना था।
दोहरे इंडेक्सेशन का लाभ निवेशकों को किसी खास वित्तीय इंस्ट्रूमेंट में किसी खास अवधि के लिए अपने निवेश को बनाए रखने के लिए दो कॉस्ट इन्फ्लेशन सूचकांक का फायदा दे रहे हैं।
दूसरी तरफ सरकार परिसंपत्तियों की कीमतों में हुई वास्तविक बढ़ोतरी की गणना करने के लिए प्रत्येक वर्ष कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स की घोषणा करती है। इस सूचकांक के आंकड़े किसी खास वर्ष में देश में महंगाई दर पर आधारित होते हैं।
कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स का कार्य करने का तरीका कुछ इस तरह होता है कि वित्त वर्ष में यूनिट की खरीद और बिक्री के सूचकांक मूल्य के आधार पर कीमतों में बढ़ोतरी की जाती है। मिसाल के तौर पर अगर वित्त वर्ष 206-07 में 10,000 रुपये का निवेश होता है और वित्त वर्ष 2008-09 में इसे बेच दिया जाता है तो इस स्थिति में लाभ या हानि की गणना करते वक्त निवेश पर होने वाला खर्च 11,214 रुपये तक हो सकता है।
आयकर अधिनियम के तहत जब कभी कोई ऐसी परिसंपत्ति होती है जिसे लंबी अवधि तक के लिए रखी जाती है तो ऐसी परिस्थिति में निवेशक को इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है। हालांकि विभिन्न वित्तीय इंस्ट्रूमेंट के लिए लंबी अवधि का मतलब अलग-अलग होता है। शेयरों और म्युचुअल फंडों के लिए इसकी गणना एक साल के होल्डिंग पीरियड के रूप में की जाती है जबकि आवासीय परिसंपत्ति के लिए यह अवधि तीन सालों की होती है।
दोहरे इंडेक्सेशन का बेहतरीन इस्तेमाल फरवरी और मार्च के महीने में किया जा सकता है। इसकी वजह यह है कि इन दो महीनों में निवेश के होल्डिंग पीरियड के रूप में सबसे ज्यादा लाभ मिलता है। दोहरे इंडेक्सेशन की पूरी संकल्पना इस बात पर निर्भर है कि जहां तक होल्डिंग पीरियड की बात है तो वर्ष के अंतिम कुछ महीने स्वत: ही बेहतर लाभ पहुंचाते हैं।
हालांकि ऐसी हालत में जहां म्युचुअल फंड की इकाईयों को मात्र 13-14 वर्ष की अवधि के लिए रखा जाता है वहां पर वे निवेशकों के लिए दो सालों के इंडेक्सेशन का फायदा देंगे। इसके लिए मार्च 2009 में हुए निवेश पर विचार करते हैं। मार्च का महीना वित्त वर्ष 2008-09 के तहत आता है। अगर निवेशक अप्रैल के महीनों में म्युचुअल फंड के यूनिट को बेचता है तो यूनिट के लिए होल्डिंग पीरियड 13 महीने का होगा।
इससे एक बात सुनिश्ति हो जाती है कि यह निवेश एक लंबी अवधि के निवेश के रूप में स्थापित होता है। चूंकि अप्रैल 2010 वित्त वर्ष 2010-11 के तहत आता है इस लिहाज से निवेशक को वित्त वर्ष 2008-09 और वित्त वर्ष 2009-10 दोनों का इंडेक्सेशन का लाभ मिलेगा।
इस संकल्पना का वास्तविक इस्तेमाल डेट-ओरिएंटेड म्युचुअल फंडों के साथ प्रत्येक साल संभव है। जहां तक इक्विटी-ऑरिएंटेड म्युचुअल फंड योजनाओं का सवाल है कि लंबी अवधि के पूंजी लाभ के साथ शून्य कर की दर जुड़ी होती है जिस वजह से इंडेक्सेशन लाभ के दावे का सवाल पैदा नहीं होता है। हालांकि डेट योजनाओं के लिए यह प्रावधान है।