वित्त-बीमा

रियल टाइम क्रेडिट डेटा जरूरी, RBI डिप्टी गवर्नर राव ने दी प्रक्रिया में बदलाव की सलाह

इससे अंडरराइटिंग की गुणवत्ता स्पष्ट रूप से बढ़ेगी और ऋण लेने वालों के ऋण खत्म करने या पुनर्भुगतान की कार्रवाइयां समयबद्ध तौर पर नजर आएंगी।

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सुब्रत पांडा   
Last Updated- July 02, 2025 | 10:29 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने कहा कि ऋण की जानकारी देने की पाक्षिक प्रणाली की जगह तत्काल या वास्तविक समय के करीब जानकारी देने की जरूरत है। इससे अंडरराइटिंग की गुणवत्ता स्पष्ट रूप से बढ़ेगी और ऋण लेने वालों के ऋण खत्म करने या पुनर्भुगतान की कार्रवाइयां समयबद्ध तौर पर नजर आएंगी। इससे उपभोक्ताओं का अनुभव भी बेहतर होगा।

राव ने 1 जुलाई को ट्रांस यूनियन सिबिल क्रेडिट कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘अभी ऋण के आंकड़े पाक्षिक आधार पर उपलब्ध होते हैं। हमें अनिवार्य रूप से जल्दी आंकड़े मिलने की उम्मीद रखनी चाहिए। वास्तविक समय या वास्तविक समय के करीब ऋण से संबंधित जानकारी मिलने पर अंडरराइटिंग की सटीकता में सुधार होगा और ऋण लेने वालों के ऋण खत्म करने या पुनर्भुगतान की कार्रवाइयां समयबद्ध तौर पर नजर आएंगी। इससे उपभोक्ताओं का अनुभव भी बेहतर होगा।’

राव के अनुसार ऋण की सूचना पखवाड़े की जगह वास्तविक समय के आधार पर करने के लिए तकनीक, प्रोसेस रीइंजीनियरिंग और बदलाव प्रबंधन में निवेश करना होगा। उन्होंने कहा, ‘लेकिन पारदर्शिता, दक्षता और विश्वास के पुरस्कार लागत से कहीं अधिक हैं।’ अभी ऋण की सूचना देने के क्षेत्र में चार कंपनियां सिबिल, इक्विफैक्स, एक्सपीरियन और सीआरआईएफ हाई मार्क हैं।

सीआईसी स्वतंत्र तीसरा पक्ष संस्थान है और यह व्यक्तियों के ऋण विवरण, क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल के तरीके और ऋण से संबंधित अन्य सूचनाएं सहित वित्तीय आंकड़ों को संकलित करता है। इसके बाद संकलित आंकड़ा उसके सदस्यों को साझा किया जाता है। इसके सदस्यों में आमतौर पर बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां हैं। ऋण देने वाले इस सूचना का उपयोग ऋण की मंजूरी देने में प्राप्त जानकारी के आधार पर करते हैं।

राव ने प्रकाश डाला कि आंकड़ों की यह गुणवत्ता जिम्मेदाराना ढंगे से ऋण देने की आधारशिला है। इसलिए भारतीय रिजर्व बैंक ने निर्धारित किया है कि क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को क्रेडिट संस्थानों (सीआई) को मासिक आधार पर आंकड़ों की गुणवत्ता सूचकांक स्कोर प्रदान करना होगा। इससे सीआई के आंकड़ों की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकेगा।

राव ने कहा कि ‘पहचान का मानकीकरण’ प्रमुख चुनौती है। इसका कारण यह है कि सीआईसी सीआई के उपलब्ध व मान्य पहचान पत्र पर आश्रित है। उन्होंने कहा, ‘हमें अद्वितीय उधारकर्ता पहचानकर्ता की ओर बढ़ना चाहिए, जो सुरक्षित, सत्यापन योग्य और सभी प्रणालियों के लिए सुसंगत हो।’

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर राव ने बताया कि भारत के घरेलू ऋण में वृद्धि हुई है। यह वर्ष 2024 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 43 प्रतिशत था। औसत ऋणग्रस्तता में वृद्धि के बजाये उधार लेने वालों की संख्या बढ़ने के कारण घरेलू ऋण में इजाफा हुआ है।

First Published : July 2, 2025 | 10:22 PM IST