भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज कहा कि उसने फिनटेक एसोसिएशन फॉर कंज्यूमर एम्पावरमेंट (फेस) को फिनटेक क्षेत्र के एक स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) के रूप में मान्यता दी है। एसआरओ स्थापित करने के लिए प्राप्त तीन आवेदनों में से फेस को यह मान्यता दी गई है। शेष दो आवेदनों में से एक को आरबीआई ने विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के बाद दोबारा प्रस्तुत करने के प्रावधान के साथ वापस कर दिया, जबकि तीसरे आवेदन की जांच जारी है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ग्लोबल फिनटेक फेस्ट (जीएफएफ) को संबोधित करते हुए कहा, ‘एसआरओ नियमित परामर्श, प्रतिपुष्टि ढांचे और नीतिगत संवादों के जरिये खुली बातचीत की सुविधा प्रदान करेंगे और फिनटेक को नियामकीय अपेक्षाओं एवं प्राथमिकताओं से अवगत रहने में समर्थ बनाएंगे।’
आरबीआई ने पिछले साल फिनटेक क्षेत्र में एसआरओ के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे और एसआरओ के लिए एक रूपरेखा जारी की थी। दास ने कहा कि फिनटेक क्षेत्र के सतत विकास के लिए नवाचार और विवेक के बीच उचित संतुलन की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘हम यह नाजुक संतुलन स्थापित करने के लिए बेहद बारीकी से नियम बनाने के साथ-साथ भरोसा, सुरक्षा, पहुंच, जोखिम प्रबंधन एवं प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने की कोश कर रहे हैं।’ दास के अनुसार, फिनटेक क्षेत्र के भीतर नवाचार और विवेकपूर्ण विनियमन के बीच संतुलन स्थापित करने का एक पसंदीदा दृष्टिकोण स्व-नियमन है।
दास ने कहा कि कई देशों से उत्साहजनक प्रतिकिया मिलने के साथ ही अब हम यूपीआई और रुपे को वास्तव में वैश्विक बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विदेश में यूपीआई जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना होने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी यूपीआई ऐप के जरिये क्यूआर कोड आधारित भुगतान स्वीकार करने की सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि सीमापार रकम भेजने के लिए यूपीआई को अन्य देशों की त्वरित भुगतान प्रणालियों (एफपीएस) के साथ इंटरलिंक करना आरबीआई की शीर्ष प्राथमिकता है।
आरबीआई गवर्नर ने भारत के वित्तीय प्रणाली के भविष्य के लिए 5 नीतिगत प्राथमिकताओं का प्रस्ताव दिया है। इनमें डिजिटल वित्तीय समावेशन, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा (डीपीआई), उपभोक्ता सुरक्षा एवं साइबर सुरक्षा, सस्टेनेबल फाइनैंस और वैश्विक एकीकरण एवं सहयोग शामिल हैं।
दास ने कहा कि बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के अलावा आरबीआई अब यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (यूएलआई) पर नाबार्ड के जरिये सहकारी ऋण संस्थानों जैसे अन्य ऋणदाताओं को भी शामिल करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। आरबीआई इसे उचित समय पर शुरू करने पर विचार कर रहा है। दास ने इस सप्ताह के आरंभ में कहा था कि आरबीआई यूएलआई भारत के ऋण क्षेत्र में उसी तरह का बदलाव लाएगा जैसा यूपीआई ने भुगतान क्षेत्र में लाया है।