सरकारी बैंकों ने चालू वित्त वर्ष में राज्य विकास ऋण (एसडीएल) में निवेश बढ़ा दिया है। इसका मकसद इन सिक्योरिटीज से मिलने वाले अधिक यील्ड का लाभ उठाना है। अभी एसडीएल में केंद्र सरकार और कॉरपोरेट बॉन्ड की तुलना में यील्ड अधिक मिल रही है।
बाजार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अपनी हाई क्वालिटी लिक्विड एसेट्स (एचक्यूएलए) पोर्टफोलियो का लगभग 40 से 50 प्रतिशत एसडीएल के लिए आवंटित किया है। आकर्षक रिटर्न के लिए ऐसा किया गया है, जो जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान केंद्र सरकार के बॉन्डों से 80 आधार अंक अधिक था।
इसकी तुलना में निजी बैंकों का एसडीएल के लिए आवंटन लगभग 35 प्रतिशत होने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कई एसडीएल नीलामियों का सबस्क्रिप्शन कम रहा, जिनका यील्ड 50 से 60 आधार अंक तक बढ़ा। पिछले वित्त वर्ष में राज्यों के पेपर्स में सरकारी बैंकों ने एचक्यूएलए का करीब 20 से 25 प्रतिशत धन लगाया था।
पिछले वित्त वर्ष में, सरकारी बैंकों ने राज्य पत्रों पर एचक्यूएलए का लगभग 20-25 प्रतिशत आवंटित किया था। एक निजी बैंक के ट्रेजरी हेड ने कहा, ‘स्प्रेड को देखते हुए सरकारी बैंकों ने अपने एचक्यूएलए का 40 से 50 प्रतिशत एसडीएल के लिए आवंटित किया है। जबकि निजी बैंकों का आवंटन लगभग 30 से 35 प्रतिशत है।’
उन्होंने कहा, ‘स्प्रेड (एसडीएल और सरकारी बॉन्ड के बीच यील्ड का स्प्रेड) तब तक ऊंचा रहेगा, जब तक कि गैर बैंक इकाइयां एसडीएल को अधिक धन आवंटित नहीं करती हैं।’
बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि कुछ ज्यादा यील्ड के विकल्पों और सीमित क्रेडिट वृद्धि के साथ सरकारी बैंक अतिरिक्त धन लगाने के लिए एसडीएल का तेजी से उपयोग कर रहे हैं।
एक बाजार प्रतिभागी ने कहा, ‘कई बड़े सरकारी बैंकों ने एसडीएल में अपनी आंतरिक निवेश सीमा को 20 से 25 प्रतिशत अंक बढ़ा दिया है।’ उन्होंने कहा, ‘बैंक एसडीएल में अतिरिक्त धन लगा रहे हैं, क्योंकि क्रेडिट वृद्धि सीमित है। एसडीएल पर यील्ड में काफी वृद्धि हुई है, क्योंकि पेंशन फंड और बीमा कंपनियों की भागीदारी कम है और इसकी आपूर्ति अधिक है।’
बाजार सहभागियों का कहना है कि वित्त वर्ष 2026 में राज्य सरकारों की उधारी की औसत अवधि में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जिसके परिणामस्वरूप मांग और आपूर्ति में असंतुलन पैदा हुआ। तेलंगाना, केरल, पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार ने जारी करने की अवधि में भारी बदलाव किया है। चालू वित्त वर्ष में अब तक राज्यों की उधारी में सालाना आधार पर 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
लंबी अवधि के बॉन्ड में आमतौर पर पेंशन फंड और जीवन बीमा कंपनियों की दिलचस्पी होती है। पेंशन फंडों को 25 प्रतिशत इक्विटी में निवेश करने की अनुमति दी गई है।