चेन्नई स्थित एडसर्व सॉफ्टसिस्टम्स कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण और प्लेसमेंट सर्विस मुहैया कराती है। कंपनी अपने कारोबार के विस्तार पर करीब 23 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रही है।
इसके तहत कंपनी देशभर में मौजूद सेंटरों में ई-लर्निंग कंटेंट मुहैया कराएगी। इसके साथ ही कंपनी ने 70 फ्रेंचाइजी से करार किया है, जो एडसर्व के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करेगी।
कंपनी का कहना है कि उसके समेकित मॉडल में प्रशिक्षण कार्यक्रमों के साथ नौकरी के लिए प्लेसमेंट की सुविधा भी मुहैया कराएगा।
एडसर्व के पास मौजूदा समय में 3,000 पदों के लिए जॉब उपलब्ध हैं, जबकि करीब 1,200 छात्रों ने इसमें पंजीकरण कराया हुआ है। कंपनी छात्रों को जॉब के हिसाब से प्रशिक्षण तो मुहैया कराती है, वह भी एक सप्ताह से कम समय में। इससे छात्रों को नौकरी में किसी तरह की परेशानी नहीं आती है।
कंपनी का मानना है कि उसका प्रशिक्षण मॉडल अन्य के मुकाबले कहीं बेहतर है। इसमें छात्रों की योग्यता और कुशलता को ध्यान में रखकर प्रशिक्षण दिया जाता है, वहीं सही तरीके से प्लेसमेंट की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है।
नौकरी के लिए पंजीकरण कराने वाले छात्रों से कंपनी 700 से 1,000 रुपये शुल्क वसूलती है। इसके अलावा, प्लेसमेंट चार्ज के तहत एक माह की सैलरी और 8,000 रुपये प्रशिक्षण शुल्क भी लेती है।
कंपनी फ्रेंचाइजी शुल्क के तौर पर करीब 4 से ल 5 लाख रुपये लेती है, जिसके तहत तीन साल तक कस्टमाइज्ड कॉरपोरेट ट्रेनिंग मुहैया कराती है।
यानी 1000 से 2000 रुपये शुल्क प्रति कर्मचारी वसूलती है। विस्तार योजना के तहत कंपनी को उम्मीद है कि उसके कुल राजस्व में फ्रेंचाइजी से प्राप्त आय करीब 50 फीसदी होगी।
कंपनी का कहना है कि हर साल करीब 10 लाख इंजीनियर पास होते हैं, जिनमें से केवल 35 फीसदी को ही रोजगार मिल पाता है।
ऐसे में प्लेसमेंट क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। यही वजह है कि कंपनी अपना विस्तार कर रही है, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक अपनी पहुंच बना सके।
फिलहाल कंपनी का तमिलनाडु में करीब 22 सेंटर है, जबकि कंपनी का मानना है कि केवल चेन्न्ई में ही 100 सेंटर की जरूरत है, क्योंकि काफी संख्या में छात्रों को प्लेसमेंट की जरूरत है।
हालांकि कंपनी के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यह है कि छात्रों को प्लेसमेंट के साथ-साथ कंपनी का सॉफ्टवेयर यूजर की जरूरतों के मुताबिक खरा उतरे। इसके साथ ही कंपनी को इस बात का भी खतरा है कि कहीं इस क्षेत्र की दिग्गज कंपनियां उसके कारोबारी मॉडल को न अपना ले।
इससे कंपनी को नुकसान हो सकता है। हालांकि कंपनी के प्रबंधन का कहना है कि उनका मॉडल अनूठा है और आनन-फानन में कोई कंपनी इसे अपना नहीं सकती। दरअसल, कंपनी अपेक्षाकृत छोटी है और सितंबर 2008 तक कंपनी की कुल बिक्री 4 करोड़ रुपये ही रही है।
लेकिन कंपनी को उम्मीद है कि इस क्षेत्र में पर्याप्त संभावनाएं हैं और विस्तार का लाभ उसे जरूर मिलेगा, जिससे उसकी आय में भी तेजी से इजाफा होगा।
55 से 60 रुपये के प्राइस बैंड में कंपनी का आईपीओ 5.74-6.26 गुना कारोबार कर सकता है और चालू वित्त वर्ष में कंपनी की सालाना आय 9.58 रुपये हो सकती है।
हालांकि कंपनी का मॉडल अगर खरा नहीं उतरता है, तो इसमें निवेश का काफी जोखिम है। कंपनी का इश्यू 5 फरवरी को खुलेगा और यह 9 फरवरी, 2009 को बंद हो जाएगा।