आरईसी, एनटीपीसी, केनरा बैंक सहित सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े नाम अगले सप्ताह बॉन्ड के माध्यम से 14,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए ऋण बाजार में उतर रहे हैं, जबकि इस तरह के बॉन्डों पर यील्ड अधिक चल रही है।
सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा सरकारी कंपनी पीएफसी इस सप्ताह बॉन्ड बाजार से 8,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बाजार में उतरने वाली है।
आरईसी 17 मार्च को 6,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बाजार में आने की तैयारी में है। यह 3 साल और 10 साल की परिपक्वता वाले दो किस्तों में जुटाया जाएगा। इसी तरह से एनटीपीसी की नजर 15 साल की परिपक्वता वाले बॉन्डों के माध्यम से 4,000 करोड़ रुपये जुटाने पर है। सरकार द्वारा संचालित केनरा बैंक मार्च 2035 में परिपक्व होने वाले टियर-2 बॉन्डों के माध्यम से 4,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बाजार में संभावना तलाश रहा है। पीएफसी इस सप्ताह 8,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बाजार में उतरने वाली है, जो दो किस्तों में 3 साल और 10 साल की परिपक्वता वाले बॉन्डों के माध्यम से जुटाए जाएंगे।
रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, ‘प्राथमिक बॉन्ड बाजार में इश्युएंस में तेजी नजर आ रही है। अगले 7 से 10 दिन में 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के बॉन्ड जारी होने की संभावना है। एसडीएल नीलामी की राशि भी सांकेतिक उधारी कैलेंडर के पार जा सकती है, जिससे आपूर्ति का दबाव और बढ़ेगा। व्यवस्था में नकदी की तंग स्थिति बनी हुई है, जो 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में है। आज के 50,000 करोड़ रुपये के ओएमओ ऑफरिंग से फौरी तौर पर राहत मिल सकती है, लेकिन अग्रिम कर के लिए निकासी से दबाव की स्थिति बनी रह सकती है।’
उन्होंने कहा, ‘बॉन्ड की भारी आपूर्ति, नकदी की कमी और विदेशी स्थिति प्रतिकूल रहने के कारण हम रिजर्व बैंक की अप्रैल की पॉलिसी के पहले यील्ड में कोई उल्लेखनीय कमी की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। नकदी प्रबंधन और बाहरी व्यापक धारणा को लेकर बाजार नीतिगत संकेतों पर नजदीकी से नजर रख रहा है।’
वित्त वर्ष 2025 में कंपनियों द्वारा जुटाई गई धनराशि पिछले वर्ष से अधिक होने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2025 में अब तक (फरवरी तक) कंपनियों ने बॉन्ड के माध्यम से 9.6 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। वित्त वर्ष 2024 में उन्होंने 10.19 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे, जो वित्त वर्ष 2020 के बाद बॉन्ड के माध्यम से जुटाई गई सबसे बड़ी धनराशि थी।
यील्ड अधिक होने के बावजूद कंपनियों ने फरवरी में बॉन्ड के माध्यम से 1 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं, जबकि भूराजनीतिक घटनाक्रम के बीच बाजार में उतार चढ़ाव के कारण जनवरी में तुलनात्मक रूप से सुस्ती थी। वित्त वर्ष 2025 में चार महीनों- जुलाई, सितंबर, दिसंबर और फरवरी महीने में बॉन्ड के माध्यम से 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाए गए।