आम चुनाव के पहले चरण के लिए प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने जा रही है।
पांच चरणों में होने वाले चुनावों को शांतिपूर्ण और सही तरीके से संपन्न कराने के लिए तकरीबन 60 लाख कर्मचारी और अर्द्धसैनिक बलों के जवान अपनी सेवाएं देंगे।
राज्य सरकारें इनके लिए जल्द ही बीमा कवर मुहैया कराने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही हैं। दूसरी ओर बीमा कंपनियों ने इस मौके को दोनों हाथों से भुनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
माना जा रहा है कि चुनाव के दौरान अगर कोई कर्मचारी या जवान मौत का शिकार होता है तो उसकी क्षतिपूर्ति के लिए 10 लाख रुपये और घायल या विकलांग होने की स्थिति में 5 लाख रुपये दिए जाएंगे। जबकि कुछ राज्य ऐसे हैं जो केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के जवानों के लिए तो 5 लाख रुपये का बीमा करा रहे हैं, लेकिन अपने राज्य के कर्मचारियों के लिए अधिक कवर वाला बीमा करा रहे हैं।
ओरियंटल इंश्योरेंस के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एम रामदास कहते हैं, ‘प्रीमियम की राशि में तो कोई इजाफा नहीं हुआ है लेकन मौजूदा हालात को देखते हुए बीमा कंपनियों के लिए जोखिम बढ़ गया है।’ उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में जहां चुनावों के दौरान हिंसा के बहुत मामले सामने आते हैं, यहां की राज्य सरकारों को जरूर ज्यादा प्रीमियम देने के बारे में विचार करना चाहिए।
उड़ीसा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, झारखंड, बिहार और महाराष्ट्र जैसे नक्सल प्रभावित राज्यों में नक्सली हमलों का खतरा लगातार बना रहता है। इन राज्यों में कर्मचारियों और जवानों के लिए अधिक बड़ा बीमा कवर कराए जाने की संभावना है।
इसके अलावा बीमा कवर कितने दिन के लिए दिया जा रहा है, इस पर भी प्रीमियम की राशि निर्भर करेगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि राज्य सरकारें 30 से 40 दिन की अवधि के लिए बीमा कवर मुहैया कराएंगी।
चुनावों के दौरान बीमा कंपनियों के लिए कारोबारी संभावनाएं बढ़ने लगी हैं। 2004 में आम चुनाव के दौरान बीमा कंपनियों ने प्रीमियम के तौर पर 15 करोड़ रुपये की कमाई की थी। इस मामले में फिलहाल न्यू इंडिया इंश्योरेंस, यूनाइटेड इंडिया, नैशनल और ओरिएंटल इंश्योरेंस जैसी सरकारी कंपनियों का ही दबदबा है। पिछले आम चुनाव में कुछ राज्यों में आईसीआईसीआई लोम्बार्ड ने भी बीमा किया था।
किसी दुर्घटना में एक साथ हताहत होने वाले कर्मचारियों और जवानों के लिए राज्य सरकारें बीमा के लिए कम प्रीमियम ही देती हैं, जबकि इस तरह के मामलों में जोखिम और ज्यादा बढ़ जाता है।
चुनाव से खुश हैं बीमा कंपनियां
चुनाव संपन्न कराने वाले 60 लाख कर्मचारियों और जवानों के लिए होगा बीमा कवर
मौत होने पर 10 लाख रुपये और घायल होने पर 5 लाख रुपये का मुआवजा
कुछ राज्य अपने कर्मचारियों के लिए करा रहे हैं केंद्रीय बलों से ज्यादा राशि का बीमा
नक्सल प्रभावित राज्य ले सकते हैं और बड़ा बीमा कवर
पिछले आम चुनाव में प्रीमियम से बीमा कंपनियों ने कमाए थे 15 करोड़ रुपये