सरकार IDBI Bank के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता की शर्तें पूरी करने से संबंधित अधिसूचना जल्द जारी कर देगी। न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता की शर्तों के तहत कम से कम 25 प्रतिशत सार्वजनिक हिस्सेदारी होनी चाहिए। निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने बिजनेस स्टैंडर्ड को इस बात की जानकारी दी।
पांडेय ने कहा कि आईडीबीआई बैंक में बहुलांश हिस्सेदारी खरीदने में वैश्विक और घरेलू निवेशकों दोनों ने रुचि दिखाई है। कांत के अनुसार सितंबर-अक्टूबर तक यह सौदा पूरा होने की उम्मीद है। पांडेय ने कहा, ‘हमने आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बिक्री की प्रक्रिया पूरी करने के लिए समय अवधि तय कर ली है। एक बार हिस्सेदारी बिक्री होने के बाद सरकार कोई बदलाव करने की स्थिति में नहीं होगी।’ उन्होंने संकेत दिए कि इस सौदे के लिए वित्तीय बोलियां मंगाए जाने से पहले अधिसूचना जारी की जा सकती है।
सरकार ने हाल में एक अधिसूचना जारी कर कहा था कि स्वामित्व में बदलाव के बाद भी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता की शर्त से रियायत दे सकती है। सरकार की इस अधिसूचना के बाद भारतीच प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने केंद्र सरकार को आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी सार्वजनिक करने की अनुमति दे दी। मगर बाजार नियामक ने नए खरीदार को हिस्सेदारी बिक्री के एक वर्ष के भीतर सार्वजनिक शेयरधारिता की शर्त पूरी करने का फरमान भी सुना दिया।
पांडेय ने कहा कि आईडीबीआई बैंक को 2024 तक सार्वजनिक शेयरधारिता की शर्त पूरी करने से छूट है और अब नए नियम में कहा गया है कि हिस्सेदारी बिक्री के बाद भी इसका यह मतलब नहीं है कि शुरुआती रियायत खत्म हो जाएगी। हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार निजी कंपनियों को इस बात की छूट नहीं दे सकती है।
सेबी द्वारा न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता का अनुपालन एक साल के अंदर करने के बारे में पांडेय ने कहा कि यह सामान्य नियम हैं और यह निजी एवं सार्वजनिक सभी सूचीबद्ध कंपनियों के नए खरीदार पर समान रूप से लागू होता है। मौजूदा समय में आईडीबीआई के मामले में न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता की शर्तें पूरी नहीं हुई हैं और सरकार को इसमें छूट दी गई है। इसलिए हमें यह तय करने की जरूरत है कि अगर सौदा वैसा नहीं होता जैसा हम चाह रहे हैं…यह कंपनी को बचाने के लिए प्रवर्तक का काम है।
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पांडेय ने आईडीबीआई बैंक में शेष बची हिस्सेदारी के बारे में कहा कि सौदे के बाद शेयर मूल्य में इजाफा होने के बाद सरकार इस निजी क्षेत्र के बैंक में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा आईडीबीआई बैंक से पूरी तरह बाहर निकलने की है लेकिन इसके लिए अभी कोई समयसीमा तय नहीं की गई है और न ही कोई योजना बनाई गई है। यह योजना उस समय तैयार की जाएगी जब सरकार शेष हिस्सेदारी को बेचने में सक्षम होगी।
सरकार आईडीबीआई बैंक में अपनी 30.48 फीसदी और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी)अपनी 30.24 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है। इसके साथ ही नए खरीदार को आईडीबीआई बैंक का प्रबंधन नियंत्रण भी हस्तांतरित किया जाएगा। इस सौदे के बाद सरकार और एलआईसी के पास आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी घटकर 34 फीसदी से कम हो जाएगी।