तेल और गैस क्षेत्र की बड़ी खिलाड़ी ऑयल एंड नेचुरल गैस कार्पोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) के अपने बूते अकेले के मुनाफे में इस बार पिछली दफा की तुलना में बढ़िया बढ़ोतरी दर्ज नहीं की गई है।
तेल की बढ़ती कीमतों के मद्देजनर तेल कंपनियों को डिस्काउंट दिए जाने के सरकार के निर्देश के बाद से ओएनजीसी के मुनाफेमें कमी दर्ज की गई है।
लेकिन पिछले दो वर्षों में ओएनजीसी की सहायक कंपनियों ओएनजीसी विदेश (ओवीएल) और एमआरपीएल के जबरदस्त कारोबार करने से पिछले दो वर्षों में ओएनजीसी का मुनाफा 11 से 13 प्रतिशत की तेज रफ्तार से बढ़ा है। ओएनजीसी की विकास योजनाओं और इंडस्ट्री के प्रति सकारात्मक रवैये को देखते हुए कहा जा सकता है कि अगले दो वर्षों तक यह कंपनी कंसॉलिडेट स्तर पर अपनी विकास दर को बनाए रख सकती है।
पिछले कुछ सालों में कंपनी का प्रदर्शन काफी सराहनीय रहा है। हालांकि सरकार ने ओएनजीसी को तेल कंपनियों को डिस्काउंट देने के निर्देश दिए हैं, इसके बावजूद कंपनी के राजस्व और मुनाफे में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस कामयाबी के पीछे नेट रियलाइजेशन में इजाफा और उत्पादन में बढ़ोतरी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इसके अलावा कंपनी लगातार तेल खोज और उत्पादन (ई एंड पी) में निवेश क रती रही है। ऐसा करने से ओएनजीसी को अपना उत्पादन बढ़ाने में काफी मदद मिली है और साथ ही पिछले चार सालों में कंपनी को अपने आरआरआर (रिजर्व रिप्लेसमेंट रेशियो) में निरंतर वृध्दि करने में मदद मिली है।
इस अनुपात से किसी खास वर्ष में तेल के उत्पादन की तुलना में घरेलू तेल और गैस रिजर्व में इजाफे का संकेत मिलता है। ओनएजीसी की यह सफलता काबिल-ए-तारीफ है क्योंकि आरआरआर को एक के स्तर से ऊपर रखना किसी चुनौती से कम नहीं है और कुछ कंपनियां ही इसे हासिल कर पाती हैं।
मालूम हो कि वित्त वर्ष 2008 में ही कंपनी ने 28 नई खोज की है जिसमें 15 नई परियोजनाएं और 13 नए पुल हैं। इतना ही नहीं, ओएनजीसी ने गयारहवीं पंचवर्षीय योजना में 130,043 करोड़ रुपए के निवेश का लक्ष्य रखा है जो कि दसवीं पंचवर्षीय योजना के 75,380 करोड़ रुपये की तुलना में 72.5 प्रतिशत अधिक है।
ओएनजीसी तेल और गैस का घरेलू उत्पादन दसवीं पंचवर्षीय योजना में 3.2 प्रतिशत बढ़ाकर इसे 252.5 एमएमटी करने की योजना पर विचार कर रही है।
ओवीएल से लाभ
ओएनजीसी अपने संपूर्ण खर्च का एक तिहाई ओवीएल की विस्तार योजनाओं पर खर्च करती है। ओएनजीसी के तहत आनेवाली ओवीएल समूह के वैश्विक अन्वेषण और उत्पादन पर नजर रखती है।
ओवीएल विदेशी तेल और गैस कंपनियों में इक्विटी शेयर खरीदने में जबरदस्त भूमिका निभाती आ रही है।
वित्त वर्ष 2008 में इसने 11 नई परियोजनाओं को अपने अधीन किया है और फिलहाल 18 देशों की 38 नई परियोजनाओं में इसका हिस्सा है जिसमें 7 उत्पादन करेनवाली इकाई, 6 निर्माणाधीन और 24 खोज के चरण में है।
इसके अलावा ओवीएल ईरान में ऑपरेटर केरूप में बोली लगाने के लिए अनुमति मिलने की प्रतीक्षा कर रही है। यह भी खबर है कि ओवीएल को अंगोला में डीपवाटर ब्लॉक्स में भी ऑपरेटर के रूप में बोली लगाने के लिए संभावित उम्मीदवारों की सूची में शामिल किया गया है।
हालांकि विशेषज्ञ इससे इनकार करते हैं कि निकट भविष्य में ओवीएल के उत्पादन में कोई इजाफा होगा। लेकिन उनका मानना है कि 2010 केबाद उत्पादन में तेज बढ़ोतरी हो सकती है।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि ओवीएल बाजार के रुख पर निर्भर करता है जबकि ओएनजीसी पर यह बात लागू नहीं है।
तेल और तेल समतुल्य गैस के 8.76 एमएमटी के उत्पादन के बावजूद ओवीएल के कुल राजस्व और और मुनाफे में 43 से 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है।
कुछ चिंताएं
तेल की कीमतों में जितनी बढ़ोतरी होगी, ओएनजीसी पर सरकार की तरफ से उतनी ही सब्सिडी देने का दबाव बढ़ेगा।
ताजा योजनाओं के अनुसार ओएनजीसी को वित्त वर्ष 2009 में 38,000 करोड़ रुपये डिस्काउंट देना पड़ेगा। चूंकि तेल की कीमतों में हो रही बढ़ोत्तरी थमने का नाम नहीं ले रही है और कच्चे तेल की कीमत 145 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है।
इस लिहाज से विश्लेषकों का मानना है कि अब सरकार के सामने सीमित विकल्प ही रहेंगे। इन विकल्पों में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी, करों में और कटौती, ऑयल बांड की मात्रा बढ़ाना या ओएनजीसी जैसी बड़ी तेल कंपनियों से मिलनवाली सब्सिडी में और बढ़ोतरी या इन सारे विकल्पों का एक साथ समावेश करना शामिल है।
जानकार मानते हैं कि यदि वित्त वर्ष 2009 में ओएनजीसी पर सब्सिडी का भार बढ़कर 55,000 से 57,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया तो उस स्थिति में भी कंपनी को 6 से 9 प्रतिशत तक मुनाफा होना चाहिए क्योंकि तेल की ऊंची कीमतों से रियलाइजेशन में भी इजाफा हो सकता है जो कि सब्सिडी का भार कम करने में मददगार साबित होगा।
इन बातों के अलावा ओवीएल और एमआरपीएल के भी बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है जिससे चालू वित्त वर्ष में कु ल मुनाफे में 12-15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
निवेश का तर्क
ओएनजीसी की अपनी आमदनी और मुनाफा कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के बावजूद जारी रहना चाहिए।
इसके अलावा ओएनजीसी की सहायक कंपनियों खासकर ओवीएल के खासे योगदान के कारण अगले कुछ वर्षों में कंपनी की संचित कमाई में बढ़ोतरी होनी चाहिए।
गैस के कीमतों में 500 से लेकर 700 रुपये प्रति हजार घनमीटर बढ़ोतरी से इसके राजस्व और मुनाफे दोनों में सुधार आ सकता है।
876.30 रुपये के भाव पर इसका पीई वित्त वर्ष 2009 की अनुमानित कंसॉलिडेटेड आमदनी का 7.43 गुना है और अगले एक साल के दौरान यह शेयर 20 प्रतिशत से ज्यादा का रिटर्न दे सकता है।