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मान लीजिए कि समय होत बलवान

Last Updated- December 10, 2022 | 7:21 PM IST

पिछले दो से अधिक सालों से हम वैकल्पिक शोध, चुनौती भरे पारंपरिक विचारों, भावनाओं को समझने और अन्य कई विचारों के मसले से जूझते रहे हैं। हमने कई सवाल पूछे, पर एक ही सवाल सबके जेहन में रहता है, वह है समय का। क्या है समय? क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?
‘कब’ का जवाब सबसे अमूल्य है। सेंसेक्स निम्नतम स्तर पर कब पहुंचेगा ? मंदी कब खत्म होगी? सोना कब 3,000 डॉलर प्रति औंस पर पहुंचेगा? तेल फिर से कब 100 डॉलर पर जाएगा? रियल एस्टेट की खरीदारी के लिए अच्छा समय कब आएगा? आधुनिक मानव  कब के इस सवाल की तुलना में और कोई अक्लमंदी वाला प्रश्न नहीं पूछता।
 समय और भविष्य के बारे में सवाल ही अक्सर हम ज्योतिषियों से पूछते हैं। जो सवाल पूछे जाते हैं, अक्सर वे होते हैं – मैं कब अमीर बनूंगा, या मैं कब मरूंगा? बाद वाला सवाल पहले के मुकाबले कम महत्वपूर्ण माना जाता है।
ऐसा लगता है कि समय उस पवित्र प्लेट की तरह है जिसमें यीशू ने आखिरी बार भोजन खाया था। हम ‘कब’ के बारे में जाने तो भी उसमें डर और लालच आ जाता है। हम भी पिछले एक दशक से ज्यादा से जान-बूझ कर या अनजान बन कर अपने आर्थिक चक्र से सवाल पूछते रहे हैं। और अगले कुछ सालों के लिए हम आपको इस समय से ले जाने के लिए तैयार हैं।
विषय आसान है, लेकिन व्यापक है। अगर विषय बड़ा है तो इस पर व्यापक शोध होना चाहिए और लिखा जाना चाहिए। हमने लंदन के कई बुक स्टोरों में समय से संबंधित किताबों के बारे में पूछा, पर सिर्फ दो ही मिलीं।
एक स्टीफन हॉकिंस की ‘ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ थी तो दूसरी भी इसी शीर्षक के साथ ‘लियोफ्रेंक हॉलफोर्ड-स्ट्रेवंस’ की थी। 

आश्चर्य की बात है कि इतने महत्वपूर्ण विषय पर लंदन में सिर्फ दो किताबें मिलीं। सबसे बड़े ऑनलाइन बुक स्टोर पर तीन किताबें थीं जो समय पढ़ने, अंतरिक्ष और समय, समय का दर्शन और समय यात्रा से संबंधित थीं। ऐसा कैसे हो सकता है कि जो हमारे जीवन का इतना बड़ा पहलू हो, उससे हम चूक जाएं।
समय कई धारणाओं पर निर्मित होता है। इसमें संरेखता की अवधारणा, चक्रीयता की अवधारणा, अवधि और निरंतरता की अवधारणा जुड़ी हुई है। ईसापूर्व की 7वीं -8वीं शताब्दी के दौरान होमर ने जो महाकाव्य लिखे, उन्हें ग्रीक लोग अपनी संस्कृति का आधार मानते हैं।
यह सिर्फ अर्थव्यवस्था नहीं है जिसमें समय भी शामिल है। विज्ञान, इतिहास, गणित, पूंजी बाजार अनुमान और व्यवहार वित्त के सभी पहलू समय से ही विकसित हुए हैं। तो क्या ईसापूर्व 300 से अब तक के सभी अनुसंधानों को जोड़ने का समय है? यह समय गणित से पहले आया। यह वही वक्त था जब हमने गणित विकसित करने के बाद इसे समझना शुरू किया।
तो क्या गणित से भी बड़ा कुछ है? इसका जवाब हम फिर कभी देंगे, पर अभी हम आपको यह बता सकते हैं कि उत्तेजना के चक्र समय-समय पर घटते हैं। मौसम और जलवायु के चक्र भी समय-समय पर घटित होते हैं। 60 और 70 के दशक के सामाजिक रुझान भी समय पर परिभाषित हुए हैं।
हमारा मानना है कि जिस समय को आज हम मापते हैं, उसमें खामी है और भारत का चंद्रमा मॉडल घड़ी से कहीं ज्यादा बेहतर है। मामला सिर्फ यही है कि चंद्रमा के मुकाबले सूर्य ज्यादा चमकीला दिखता है। जो दिखता है, हम उस पर ही यकीन करते हैं। यही कारण है कि जो नहीं दिखता, उसे समझना एक चुनौती है।
अगर समय वाकई असली गणित है तो समय की भविष्यवाणी में और ज्यादा सटीकता आ सकती है। कुछ वैसी ही बात कहना जैसा अक्टूबर 2008 में सेंसेक्स के साथ हुआ और अब मार्च में हो रहा है। इसके बाद एक-दो महीने कीमतें बढ़नी चाहिए और तब हम जून में पहुंच जाएंगे।
अभी हम जून के बारे में कुछ नहीं कह सकते कि बाजार में गिरावट होगी या वह चढ़ेगा, पर इस समय बाजार एक संभावना का मामला लग रहा है। जून से विश्व के शेयर बाजारों में थोड़ी बढ़ोतरी शुरू होनी चाहिए और मंदी से राहत मिलनी चाहिए।
(लेखक ऑर्फेयस कैपिटल्स के सीईओ हैं। )

First Published - March 8, 2009 | 10:43 PM IST

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