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आया समय मुनाफे की फसल काटने का

Last Updated- December 09, 2022 | 11:05 PM IST

ऐसे वक्त जब कई उद्योग बुरे वक्त का सामना कर रहे हैं, कुछ कंपनियां ही ऐसी हैं जो अपनी विकास की रफ्तार को बनाए हुए हैं। इनमें से एक है जैन इरिगेशन।


यह कंपनी गैर-दोहन वाले कृषि उपकरण बाजार की जरूरतों को पूरा करने में लगी एक दिग्गज कंपनी है। अनिश्चितता भरे मौजूदा समय में भी कंपनी को राजस्व और आमदनी में अगले दो साल में लगभग 35-40 फीसदी का इजाफा होने की उम्मीद है।

विकास के कारक

जैन इरिगेशन की जल सिंचाई, पाइपिंग सिस्टम, प्लास्टिक शीट और खाद्य प्रसंस्करण में मौजूदगी है। कंपनी के विकास का सबसे बड़ा कारक सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियां (एमआईएस) है जिसका इसकी कुल आय में लगभग 50 फीसदी तक का राजस्व योगदान है।

यह सेगमेंट पिछले चार साल में लगभग 80 फीसदी की दर से बढ़ा है। कंपनी जिस रफ्तार से नए और गैर-दोहन वाले बाजारों को खंगाल रही है, उससे संभावना जताई जा रही है कि अगले दो साल में इसकी विकास रफ्तार 45-50 फीसदी रहनी चाहिए।

कपास, मूंगफली, आलू और मिर्च एव सब्जियों जैसी नई फसलों में विविधता के अलावा कृषि को दिए जा रहे सरकारी समर्थन की वजह से भी कंपनी को और मजबूती मिलेगी। एमआईएस में ड्रिप सिस्टम्स, स्प्रिंकलर, वाल्व, वाटर फिल्टर और प्लांट टिश्यू उत्पाद आदि शामिल हैं ।

जिनकी बदौलत कंपनी को पानी के अभाव वाले और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में पानी के उपयोग को प्रभावी बनाने में मदद मिलती है। इस तरह से फसल की पैदावार और गुणवत्ता बढ़ाने में भी मदद मिलती है।

अपने एमआईएस पोर्टफोलियो को मजबूत बनाने के प्रयास में कंपनी ने कई विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण भी किया है, जिनमें इजरायल की नानडैन भी शामिल है। नानडैन तिलहन, आलू और कपास फसलों में महारत हासिल करने के अलावा विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी लघु-सिंचाई कंपनी की भी हैसियत रखती है।

इसके अलावा कंपनी ने स्विटजरलैंड की थॉमस मशीन्स एसए का अधिग्रहण किया है। थॉमस मशीन्स ड्रिम सिंचाई लाइंस में विशेषज्ञता रखती है।

श्रेष्ठ प्रौद्योगिकी तक अपनी पहुंच कायम करने के अलावा इन अधिग्रहणों से कंपनी को दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और यूरोप जैसे उभरते बाजारों में अपनी मौजूदगी बढ़ाने में भी मदद मिली है।

अपार संभावनाएं

अनुमानों के मुताबिक देश में लगभग 14 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र कृषि योग्य है। इसमें से लगभग 50 फीसदी क्षेत्र पर्याप्त जल संसाधन से लैस है और केवल 17 लाख हेक्टेयर क्षेत्र यानी कुल क्षेत्र का 1.2 फीसदी भाग पर सिंचाई प्रणालियों की मदद से खेती की जाती है।

इस संदर्भ में मौजूदा कृषि योग्य भूमि के प्रभावी इस्तेमाल और कृषि इस्तेमाल के लिए नई भूमि को शामिल किए जाने पर सरकार द्वारा ध्यान केंद्रित किया जाता रहा है जिससे भारत को एक आशाजनक बाजार के रूप में देखा जाता है।

एमआईएस जैसी इन अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से रियायत मुहैया कराई जा रही है और इस तरह से ये प्रणालियां किसानों के लिए बेहद किफायती बन चुकी हैं।

जैन इरिगेशन की आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में अच्छी-खासी मौजूदगी है और इन बाजारों में इसकी बाजार भागीदारी 50 से 70 फीसदी की है। कंपनी ने अब छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में भी दस्तक दी है।

जैन इरिगेशन सिस्टम्स के प्रबंध निदेशक अनिल जैन बताते हैं, ‘इन राज्यों में प्रवेश स्तर यानी पैठ बनाए जाने के लिहाज से अपार संभावना है।

First Published - January 25, 2009 | 9:41 PM IST

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