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क्या PPF से लोन लेना है बेहतर?

Last Updated- December 11, 2022 | 1:38 PM IST

पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (Public Provident Fund या PPF) से लोन लेना पर्सनल लोन के मुकाबले सस्ता है। PPF पर लोन लेने पर कोई चीज गिरवी रखने की जरूरत भी नहीं पड़ती। लेकिन जानकार फिर भी मानते हैं कि PPF से लोन लेना निवेश के दृष्टिकोण से सही नहीं है। इसकी पहली वजह यह है कि PPF में निवेश पर आपको जो ब्याज मिलता है वह टैक्स-फ्री है, दूसरे इस ब्याज की कंपाउंडिंग (compounding) होती है, और तीसरे आप ज्यादा अमाउंट का लोन PPF पर नहीं ले सकते। रिपेमेंट (repayment) की समय सीमा भी PPF लोन के मामले में मायने रखती है।
आइए अब विस्तार से इसे समझते हैं:

टैक्स-फ्री ब्याज
PPF में निवेश पर ट्रिपल टैक्स बेनिफिट मिलता है यानी जमा, ब्याज और निकासी तीनों पर टैक्स में छूट। अगर आप टैक्स के दायरे में नहीं आते, तब तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर आते हैं तो लोन के मामले में ब्याज का टैक्स-फ्री होना मायने रखता है। उदाहरण के तौर पर अगर आप 20 फीसदी टैक्स ब्रैकेट में हैं तो आपको एक तरह से PPF पर 7.1 फीसदी के बजाय 8.52 फीसदी ब्याज मिल रहा है। वहीं अगर 30 फीसदी टैक्स ब्रैकेट में आते हैं तो समझिए आपको 7.1 फीसदी के बजाय 9.23 फीसदी का ब्याज मिल रहा है। PPF पर मौजूदा (अक्टूबर-दिसंबर तिमाही) के लिए ब्याज दर 7.1 फीसदी है। सरकार PPF सहित अन्य छोटी बचत योजनाओं पर हर तिमाही ब्याज दरों का निर्धारण करती है।

ब्याज की कंपाउंडिंग
दूसरे, PPF पर मिलने वाले ब्याज की कंपाउंडिंग भी लंबे समय तक होती है। क्योंकि 15 साल (जिस वित्त वर्ष में अकाउंट खुला है उसके 15 साल बाद) तो इस स्कीम का मैच्योरिटी पीरियड ही है। इसके बाद भी 5-5 साल के ब्लॉक में इस स्कीम को आगे बढ़ाने (extension) का विकल्प आपके पास होता है। मतलब अगर आप शुरुआत के तीसरे, चौथे, पांचवें और छठे वर्ष के दौरान लोन लेते हैं तो आपको लोन ली गई राशि पर तब तक कंपाउंडिंग की सुविधा नहीं मिलेगी जब तक आप इसे चुका नहीं देते हैं। इस तरह से लंबी अवधि में आपको जो रिटर्न मिलेगा उस पर असर होगा।

अगर आप इस स्कीम के शुरुआती वर्षों में अधिकतम सीमा यानी प्रति वर्ष 1.5 लाख रुपये तक का निवेश कर लेते हैं तो आपको बाद के वर्षों में कंपाउंडिंग का ज्यादा फायदा मिलेगा। लेकिन आपने जिस वित्त वर्ष में PPF खाता खुलवाया है, उस वित्त वर्ष की समाप्ति के एक वित्त वर्ष बाद से लेकर पांचवें वित्त वर्ष की समाप्ति तक आप PPF से लोन लेने के हकदार हैं। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपको कंपाउंडिंग का ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले तब आप PPF से लोन लेने से बचें। यानी शुरुआती वर्षों में निवेश से छेडछाड न करें।
लोन की राशि

अगर आप अपने PPF अकाउंट में प्रति वर्ष अधिकतम 1.5 लाख रुपये का भी निवेश करते हैं तो आपको मौजूदा 7.1 फीसदी ब्याज दर के हिसाब से तीसरे, चौथे, पांचवें और छठे वित्त वर्ष के दौरान अधिकतम क्रमश: 40,136 रुपये, 83,177 रुपये, 1,29,245 रुपये और 1,78,583 रुपये बतौर लोन मिल सकता है। इतनी राशि तो तब मिलेगी जब आपने प्रति वर्ष अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश किया हो। लेकिन अगर आप इससे कम राशि निवेश करेंगे तो आपको बतौर लोन और कम धनराशि मिलेगी। मतलब साफ है अगर आपको इससे ज्यादा की रकम बतौर लोन चाहिए तो आपको अन्य विकल्प मसलन पर्सनल लोन, एफडी पर लोन, गोल्ड लोन, वगैरह तलाशने होंगे।
लोन चुकाने की समय सीमा

जिस महीने आप PPF से लोन लेते हैं उसके 36 महीने के अंदर आपको लोन की राशि (प्रिंसिपल अमाउंट) या तो एकमुश्त या किस्तों में चुकानी होती है। जबकि प्रिंसिपल अमाउंट चुकाने के बाद अधिकतम दो मासिक किस्तों में आप ब्याज चुका सकते हैं। वहीं पर्सनल लोन आप 6 साल तक चुका सकते हैं। अगर आप बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर लोन लेते हैं तो यहां लोन चुकाने की समय सीमा FD का मैच्योरिटी पीरियड (maturity period) है। मतलब अगर आप लोन चुकाने में ज्यादा समय लेना चाहते हैं तो आपके लिए पर्सनल लोन ज्यादा बेहतर विकल्प हो सकता है।

First Published - October 17, 2022 | 8:05 PM IST

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