बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) विलय और अधिग्रहण (एम ऐंड ए) के दिशानिर्देशों को अंतिम रुप देने की कवायद में जुटा है।
उम्मीद की जा रही है कि आईआरडीए यह आदेश दे सकती है कि कोई कंपनी जो दूसरे बीमा कंपनी का अधिग्रहण कर रही है, उसे अधिकृत कंपनी या संस्था की संपत्तियों को बाहरी जोखिम से बचाना होगा ताकि यह आश्वस्त किया जा सके कि पॉलिसीधारक के हितों की रक्षा की जा रही है।
आईआरडीए के दिशानिर्देश अगले महीने भी जारी होने की उम्मीद है। इस प्रक्रिया से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मुमकिन है कि अधिग्रहणक र्ता से यह कहा जाय की वे अधिकृत कंपनी की संपत्तियों को कारोबार से अलग रखें ताकि पॉलिसी की परिपक्वता के समय परिसंपत्तियों की देनदारी को लेकर कोई दिक्कत न हो।
इसके अलावा इरडा अधिग्रहण के बाद यह आदेश दे सकता है कि सालाना दोनों कंपनियों की बीमाओं का अलग अलग मूल्यांकन किया जाएगा और यह आश्वस्त किया जाएगा कि बीमा से संबंधित देनदारी परिसंपत्तियों के जरिए दी जाएगी।
इरडा के सूत्रों का कहना है कि जीवन बीमा कारोबार के लिए नियामक, पेंशन बिजनेस के लिए एक खास नियम लागू करेगा जो एक लंबी अवधि की देनदारी है। कंपनियां अपने कारोबार को विस्तार देने के लिए अधिग्रहण का रास्ता नहीं अख्तियार कर रही है। यह नियम उस वक्त से लागू होगा जब समेकन की प्रक्रिया कुछ सालों बाद शुरू होगी।
वैसे नियामक आंकलन जैसे मुद्दे के लिए अपने कदम बढ़ाए, ऐसी बेहद कम उम्मीद है। इरडा के एक अधिकारी की मानें तो इसका इरादा क्रियान्वयन में पारदर्शिता लाने के लिए है। कं पनी प्रशासन को मजबूती देने के लिए नियामक नए गठित बोर्ड के द्वारा लिए गए फैसले में पारदर्शिता लाने की बात भी करेगा।
जीवन बीमा उद्योग में आकलन अंत: स्थापित मूल्यों पर ही निर्भर करता है। इसमें मौजूदा अतिरिक्त मूल्यों की गणना शामिल होती है जो शेयरधारकों में वितरित की जाती है। जीवन बीमाकर्ताओं के लिए उनका व्यवसाय ऋण भर देने की क्षमता और उत्पाद की लंबी अवधि के गुणों से जुड़ा होता है।
इसी वजह से नियामक की यह कोशिश होती है कि अधिग्रहणकर्ता जिस कंपनी का अधिग्रहण करने वाला है उसकी देनदारियों का सावधानी से आकलन करे और उसके बाद जिन परिसंपत्तियों पर उसकी निर्भरता है उसके मुताबिक आकलन किया जाए। कई देनदारियां पॉलिसीधारकों से भी जुड़ी होती हैं।
एक बीमाकर्ता की परिसंपत्ति में कई तरह की प्रतिभूतियों में निवेश ही शामिल होगा। इसके अतिरिक्त पूंजी जो देनदारी होती है और जो प्रमोटरों के जरिए आती है उससे बीमाकर्ताओं को राहत मिलती है क्योंकि इसकी सॉल्वेंसी मार्जिन 1.5 गुना तय की गई है। सूत्रों का कहना है कि गैर जीवन बीमाकर्ताओं के लिए भविष्य में होने वाले मुनाफे के लक्ष्य और मौजूदा मूल्यों की गणना पर आकलन निर्भर करता है।
इरडा के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, ‘दोनों पक्षों को अनुमानित देनदारियों को स्वीकारना होगा और कंपनी जो अधिग्रहण करने वाली है, उसे मूल्यों का परीक्षण विस्तृत संदर्भ में करना होगा।’ नियामक ने कुछ महीने पहले ही विलय और अधिग्रहण के दिशानिर्देशों पर काम करने के लिए एक कमिटी का गठन किया था।
रिलायंस लाइफ के प्रबंध निदेशक और सीईओ पी. नंदगोपाल का कहना है, ‘मध्यम और छोटी कंपनियां अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए अधिग्रहण के रास्ते को अख्तियार करना चाहेंगी। बीमाकर्ताओं के लिए इससे निकलने का कोई रास्ता नहीं था। अगर समेक न का काम सफल है इससे कंपनियों को मदद ही मिलेगी।’
बजाज आलियांज के प्रबंध निदेशक और सीईओ कामेश गोयल का कहना है, ‘विलय और अधिग्रहण के दिशानिर्देशों के आदेश से परिसंपत्तियों और देनदारी का खुलासा करने के से लगभग 90 फीसदी बीमर्ाकत्ता अपने आकलन में कमी देखेंगे। इससे कंपनियों के बीच तुलना करने में मदद मिलेगी। इस तरह कंपनी का प्रमोटर और शेयरधारक ही अंतिम रूप से मुनाफा पाने वालों में शामिल होंगे।’