गैलेक्सी हेल्थ इंश्योरेंस ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए गैलेक्सी प्रिविलेज की शुरुआत की है। इसमें पॉलिसी खरीदने के एक साल के भीतर पहले से मौजूद बीमारियों को कवर किया जाता है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के विकल्प बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन बुजुर्गों को अपने लिए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां खरीदते वक्त अपना बजट और पर्याप्त कवरेज ध्यान में रखना जरूरी है।
बुजुर्गों के लिए चुनौतियां
बढ़ती उम्र के साथ होने वाली स्वास्थ्य परेशानियां बुजुर्गों के लिए पॉलिसी खरीदना चुनौतीपूर्ण बना देती हैं। स्वास्थ्य जांच में समस्याओं का पता चलने के बाद बीमाकर्ता प्रस्तावों को अस्वीकार कर सकते हैं या फिर प्रीमियम की रकम ही बढ़ा सकते हैं। इससे पॉलिसियां महंगी हो सकती है।
गैलेक्सी हेल्थ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी (एमडी और सीईओ) जी श्रीनिवासन ने कहा, ‘बढ़ती उम्र के साथ हमारी स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी बढ़ती है और इससे बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य बीमा महंगी हो जाती है।’इंश्योरेंस ब्रोकर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईबीएआई) के विशेषज्ञ हरि राधाकृष्णन ने कहा, ‘जैसे-जैसे आयु वर्ग बदलता है प्रीमियम दर काफी ज्यादा बढ़ सकती है, जिससे उन्हें खरीदने संबंधी चिंताएं भी बढ़ जाती हैं।’
वरिष्ठ नागरिकों के लिए पॉलिसियों में कई तरह की प्रतीक्षा अवधि होती है, जिसमें सबसे जरूरी पहले से मौजूद किसी बीमारियों के लिए होती है। यह एक से तीन साल तक के लिए हो सकती है।
पॉलिसी लेते वक्त क्या देखें
रीस्टोर बेनिफिट के साथ जानकार कम से कम 10 लाख रुपये की बीमा लेने का सुझाव देते हैं। राधाकृष्णन कहते हैं, ‘बाद में जब व्यक्ति और बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है तो बीमा कंपनियां बीमा राशि नहीं बढ़ा सकती हैं।’
अब तो स्वास्थ्य बीमा में ओपीडी कवरेज और सालाना स्वास्थ्य जांच जैसी सुविधाएं भी मिलने लगी हैं। पॉलिसीबाजार के स्वास्थ्य बीमा प्रमुख सिद्धार्थ सिंघल बताते हैं, ‘कई नई बीमा पॉलिसियों में डॉक्टर के घर आकर जांच करने और यहां तक कि आईसीयू सेटअप की भी सुविधा मिलती है। बीमा कराने वाले लोगों को ऐसी पॉलिसियां तलाशनी चाहिए जो बगैर किसी सीमा के रोबोटिक सर्जरी जैसे आधुनिक उपचारों को कवर करती हों।’हालांकि, राधाकृष्णन ने आगाह किया कि ऐसी सुविधाओं से वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रीमियम की रकम बढ़ सकती है।
इन नियमों की जरूर करें जांच
पॉलिसी चुनने से पहले प्रीमियम राशि देखने के साथ ही अत्यधिक प्रतिबंधात्मक शर्तों से बचने पर ध्यान देना चाहिए।
कमरे का किरायाः कुछ पॉलिसियों में अस्पताल में कमरे का किराया पहले से तय (जैसे 4,000 रुपये प्रतिदिन) होता है अथवा कुल बीमा राशि का कुछ फीसदी होता है। जो लोग तय सीमा से अधिक उच्च श्रेणी का कमरा लेना चाहते हैं, उन्हें आनुपातिक कटौती का सामना करना पड़ता है। बीमारी के लिहाज से सीमाः ये तय बीमा राशि के बगैर खास स्थितियों के लिए दावा की जाने वाली राशि को सीमित करती है।
सह भुगतान और डिडक्टिबलः सह भुगतान का अर्थ होता है कि बीमा कराने वाला व्यक्ति बिल का एक निश्चित हिस्से का खुद से भुगतान करेगा, जो 10 से 30 फीसदी या उससे अधिक हो सकती है।
डिडक्टिबल एक तय सीमा होती है, जिसे बीमा कराने वाले व्यक्ति को भुगतान करना पड़ता है। इसके अलावा, पॉलिसी से भुगतान होता है। लॉर्ड्स मार्क इंश्योरेंस ब्रोकिंग सर्विसेज की मुख्य कार्य अधिकारी अनीता उपाध्याय ने कहा, ‘सह भुगतान के बजाय डिडक्टिबल को प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि इसमें आपको पहले से पता होता है कि कितना हिस्सा देना है।’
सह भुगतान के साथ बिल बढ़ने के साथ-साथ बीमाधारक का बोझ भी बढ़ता है। डिडिक्टिबल से जेब से होने वाले खर्च बढ़ जाते हैं, लेकिन पॉलिसी ज्यादा किफायती होती है। राधाकृष्णन कहते हैं, ‘प्रीमियम के मुकाबले कवरेज देखते समय बचत और उससे होने वाले लाभ को ध्यान में रखें।’
ज्यादा प्रीमियम का प्रबंधन कैसे करें
बेस पॉलिसी को सुपर टॉपअप कराने से कीमत कम करने में मदद मिल सकती है। इंश्योरेंस समाधान की सह-संस्थापक और मुख्य परिचालन अधिकारी शिल्पा अरोड़ा कहती हैं, ‘तीन लाख रुपये की बीमा राशि वाली पॉलिसी लें और उसे 50 लाख रुपये तक का सुपर टॉपअप करा लें।’बेस पॉलिसी की बीमा राशि अधिक हो सकती है। इसे ऐसे समझिए, 5 से 10 लाख रुपये की बीमा राशि पर सुपर टॉपअप कवरेज 90 से 95 लाख रुपये तक हो सकता है। बेस पॉलिसी छोटे खर्चों को संभाल सकती है और सुपर टॉपअप से भारी भरकम बिलों का ध्यान रखा जा सकता है।
उपाध्याय ने कहा, ‘सामान्य टॉपअप के मुकाबले सुपरटॉप बेहतर है क्योंकि इसकी सीमा की गणना एक साल में किए गए सभी दावों के आधार पर की जाती है।’सिंघल बताते हैं, ‘पसंदीदा नेटवर्क चुनने पर 15 फीसदी तक की छूट मिल सकती है। आप कमरे की श्रेणी कम करके और गैर जरूरी ऐडऑन हटाकर भी बचत कर सकते हैं।’