एयर इंडिया की उड़ान एआई 171 के अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद 13 करोड़ डॉलर से 15 करोड़ डॉलर मूल्य के बीमा दावे संभव हैं। बीमा उद्योग के सूत्रों के मुताबिक इनमें से अधिकांश दावे वैश्विक पुनर्बीमा कंपनियों द्वारा वहन किए जाने की संभावना है क्योंकि विमानन नीतियां अक्सर इस तरह बनी होती हैं जहां प्राथमिक बीमाकर्ता जोखिम के बड़े हिस्से को पुनर्बीमा व्यवस्था यानी रीइंश्योरर के तहत स्थानांतरित कर देता है।
इन दावों में तीन तरह की देनदारी शामिल होंगी: विमान को हुआ नुकसान, विमान पर सवार लोगों की जनहानि जिसमें चालक दल के सदस्य शामिल हैं, और तीसरे पक्ष की देनदारी क्योंकि जहां विमान गिरा वहां भी लोगों की जानें गईं। इसके अलावा कार्गो देनदारी भी शामिल होगी। उद्योग जगत के लोगों के मुताबिक विमान को पहुंची क्षति के लिए 8 करोड़ से 10 करोड़ डॉलर के दावे सामने आ सकते हैं जबकि चालक दल के सदस्यों सहित विमान पर सवार यात्रियों की मौत तथा जमीन पर गिरने से हुई जनहानि के लिए 5 करोड़ डॉलर के दावे किए जा सकते हैं।
बीमा उद्योग के जानकारों के मुताबिक इन दावों का अधिकांश हिस्सा पुनर्बीमा कर्ताओं द्वारा वहन किया जाएगा क्योंकि भारतीय बीमाकर्ताओं ने अपने अधिकांश जोखिम को रीइंश्योर कर दिया था। कुल दावों का करीब 10 फीसदी ही भारतीय बीमाकर्ताओं और रीइंश्योरर्स को वहन करना होगा।
एयर इंडिया ने अपने बेड़े के लिए 20 अरब डॉलर का बीमा लिया था। इसमें टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस, न्यू इंडिया इंश्योरेंस और अन्य सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनियां शामिल हैं। टाटा एआईजी ने 30-40 फीसदी जोखिम कवर किया और प्राथमिक बीमाकर्ताओं में प्रमुख वही है।
इन बीमा कंपनियों ने अपने अधिकांश जोखिम रीइंश्योर कर दिया। यह दोबारा बीमा सरकारी कंपनी जीआईसी आरई, अमेरिकी कंपनी एआईजी और एएक्सए एक्सएल आदि के साथ किया गया।
बीमा उद्योग के एक सूत्र ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘विमान बेड़ों की पॉलिसी अक्सर दोबारा बीमाकृत होती है। एयर इंडिया के मामले में भी बड़ी राशि दोबारा बीमा करने वाले वहन करेंगे। इस बात पर सहमति है कि विमान की कीमत करीब 8 करोड़ डॉलर होगी। बहरहाल, देनदारी का अनुमान लगाना हमेशा मुश्किल होता है क्योंकि यात्रियों की राष्ट्रीयता हमेशा यह समझने में अहम भूमिका निभाती है कि किस प्रकार की देनदारी है।
इसके अलावा जमीन पर भी कुछ नुकसान हुआ है, इसलिए तीसरे पक्ष की भी देनदारी होगी। ऐसी स्थिति में विमानन क्षेत्र के रीइंश्योरर बहुत जल्दी प्रतिक्रिया देते हैं। उनके नियुक्त सर्वेयर और सॉलिसिटर तत्काल काम पर लग जाते हैं। वे मृतकों के परिजनों से संपर्क करके जल्द से जल्द दावे निपटाने का प्रयास करेंगे। इसके बावजूद यह एक लंबी प्रक्रिया है। यह घटना विमानन बीमा दरों को भी प्रभावित करेगी।’
एक वरिष्ठ बीमा अधिकारी के मुताबिक विमानों का एक व्यापक बीमा होता है और प्राथमिक बीमा का वैश्विक रीइंश्योरर दोबारा बीमा करते हैं। बीमा में अक्सर विमान को होने वाला नुकसान, मौतें और दुर्घटनाग्रस्त लोग तथा चालक दल के सदस्य और कार्गो तथा निजी क्षति शामिल होती हैं।
अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, ‘विमान हादसों की स्थिति में भारतीय बीमा कंपनियों पर ज्यादा वित्तीय बोझ नहीं आता क्योंकि वे पहले ही अपना जोखिम रीइंश्योरर को स्थानांतरित कर चुकी होती हैं। ऐसी घटना के बाद रीइंश्योरर अक्सर भारतीय बीमाकर्ताओं को सलाह देते हैं कि क्या करना है। बहरहाल यह घटना विमानन बीमा प्रीमियम पर जरूर असर डालेगी। रीइंश्योरर अपने घाटे के अनुभव के आधार पर दरें बढ़ाएंगे।’
भारतीय बीमा कंपनियों का बही खाता जहां अधिक प्रभावित नहीं होगा वहीं उनकी ऋणशोधन क्षमता जरूर प्रभावित होगी। प्राथमिक बीमाकर्ता होने के नाते टाटा एआईजी को सबसे अधिक झटका लगेगा।
एयर इंडिया की उड़ान एआई171 बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान की थी जो सबसे आधुनिक यात्री विमानों में से एक है। खबरों के मुताबिक यह किसी ड्रीमलाइनर के दुर्घटनाग्रस्त होने का पहला मामला है। इसने 2011 में पहली बार व्यावसायिक उड़ान भरी थी।
अलायंस इंश्योरेंस ब्रोकर्स में विमानन बीमा के कारोबारी प्रमुख सौरव विश्वास ने कहा, ‘विमान दुर्घटना से हुए 8 करोड़ डॉलर के नुकसान की पूरी भरपाई बीमाकर्ता पॉलिसी के अनुसार करेंगे क्योंकि यह पूरी क्षति का मामला है। यानी विमान के बीमा की 8 करोड़ डॉलर की पूरी राशि चुकाई जाएगी। बहरहाल, अतिरिक्त दावों की बात करें तो यात्रियों की विधिक देनदारी और तीसरे पक्ष की देनदारी हालात को जटिल बनाते हैं।
भारत के प्रमुख बीमाकर्ता को दावा प्रक्रिया का नेतृत्व करना होगा लेकिन कुल भुगतान का केवल 10 फीसदी ही भारतीय बीमाकर्ता देंगे। इसलिए क्योंकि अधिकांश जोखिम अंतरराष्ट्रीय रीइंश्योरर्स के पास है। देनदारी की बात करें तो वह 5 करोड़ डॉलर तक हो सकती है। उसे भी कवर किया जाएगा लेकिन वह कानूनी प्रक्रिया से गुजरेगी और उसमें समय लगेगा। यानी कुल संभावित नुकसान करीब 13 करोड़ डॉलर का होगा।’
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इस घटना के बाद रीइंश्योरर विमान बीमा पॉलिसी महंगी कर सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें कितना नुकसान होता है।
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इंश्योरेंस ब्रोकर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया क प्रेसिडेंट नरेंद्र भरिंदवाल ने कहा, ‘बोइंग 787 जैसे बड़े विमानों के मामले में बीमा कवरेज बहुत अधिक होती है। एयर इंडिया जैसी बड़ी विमानन कंपनियों के लिए विमान बीमा कार्यक्रम बेड़े के आधार पर तय किए जाते हैं और लंदन तथा न्यूयार्क सहित अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उन्हें रीइंश्योर किया जाता है। कोई एक बीमा कंपनी पूरा बोझ नहीं उठा सकती। ऐसे में 1.5 फीसदी से लेकर दो फीसदी तक की मामूली हिस्सेदारी के साथ यह राशि अनेक बीमा कंपनियों तथा रीइंश्योरर में विभाजित रहती है। प्रमुख बीमाकर्ता अक्सर 10 से 15 फीसदी बोझ उठाता है।’
उन्होंने कहा, ‘ऐसी घटनाओं का वित्तीय असर विश्व स्तर पर साझा किया जाता है। हालांकि तत्काल प्रीमियम में बदलाव की संभावना नहीं है लेकिन भविष्य में यह नवीनीकरण शर्तों तथा प्रीमियम पर असर डालेगा। इस घटना तथा अन्य हालिया घटनाओं के कारण विमानन बीमा बाजार में सख्ती आ सकती है। ऐसा न केवल संबंधित विमान सेवा के साथ होगा बल्कि समूचे विमानन क्षेत्र के लिए ऐसा संभव है।’