देश की निजी क्षेत्र की लगभग 60 प्रतिशत बीमा कंपनियों का मानना है कि बीमा संबंधी धोखाधड़ी के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और इस जोखिम के बने रहने की वजह से तत्काल एक सक्रिय धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन ढांचे पर विचार करने की जरूरत है। डेलॉयट के बृहस्पतिवार को जारी एक सर्वे में यह निष्कर्ष निकाला गया है।
डेलॉयट के बीमा धोखाधड़ी सर्वेक्षण-2023 के अनुसार, भारत में बीमा कंपनियों ने जीवन और स्वास्थ्य बीमा में धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि का अनुभव किया है। डिजिटलीकरण बढ़ने, महामारी के बाद घर से काम करने और कमजोर नियंत्रण ने धोखाधड़ी को बढ़ाने में प्रमुख योगदान दिया है। सर्वेक्षण में कहा गया, ‘लगभग 60 प्रतिशत लोगों का मानना है कि धोखाधड़ी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जबकि 10 प्रतिशत ने इसमें मामूली वृद्धि का अनुभव किया है।’
वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में किए गए सर्वेक्षण में देश में प्रमुख निजी बीमा कंपनियों के अनुपालन के लिए जिम्मेदार प्रमुख अधिकारियों के विचार लिए गए। बीमा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की अगुवाई वाले नवोन्मेषण ने चुस्ती, रफ्तार, बेहतर ग्राहक अनुभव और उपयोग में आसानी पैदा की है। हालांकि, इसने समग्र पारिस्थितिकी तंत्र में कमजोरियों और जोखिमों को जन्म दिया है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि डेटा चोरी और पारंपरिक धोखाधड़ी, जैसे कि तीसरे पक्ष के बीच मिलीभगत और बीमा उत्पादों की गलत बिक्री, जैसे नए धोखाधड़ी के रुझान अब भी जारी हैं और क्षेत्र के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं।
डेलॉयट इंडिया के भागीदार और वित्तीय सेवा प्रमुख, संजय दत्ता ने कहा कि धोखाधड़ी को कम करने के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप की जरूरत है। निर्णय लेने वालों को बीमा कंपनी के परिचालन मॉडल को देखना चाहिए और इसकी आवधिक आधार पर निगरानी का तरीका लाना चाहिए।