भारत सरकार यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए करोड़ों नए लोगों को डिजिटल पेमेंट सिस्टम से जोड़ने की योजना बना रही है। इसके साथ ही देश इस घरेलू प्लेटफॉर्म को दुनियाभर में अपनाने के लिए भी आगे बढ़ाने की दिशा में भी तेजी से काम कर रहा है। समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के MD और CEO दिलीप अस्बे ने कहा कि UPI से 20 से 30 करोड़ अतिरिक्त भारतीयों को जोड़ने की योजना है, ताकि वे “कैश की आदत” को छोड़ सकें। उन्होंने कहा कि इसके लिए खासतौर पर बच्चों और घरेलू स्टाफ जैसे लोगों के लिए ‘डेलीगेटेड अकाउंट’ जैसी पहल की जा रही है, जिन्हें पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं तक आसानी से पहुंच नहीं मिलती।
देश में विकसित इस पेमेंट प्लेटफॉर्म ने पिछले पांच वर्षों में 45 करोड़ से ज्यादा रिटेल उपभोक्ताओं के भुगतान करने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है। अब लोग छुट्टियों से लेकर एक कप चाय तक का भुगतान स्मार्टफोन से UPI के जरिए कर रहे हैं। उपभोक्ता मर्चेंट के QR कोड स्कैन कर ₹1 से लेकर ₹5 लाख तक की राशि सीधे अपने बैंक अकाउंट से ट्रांसफर कर सकते हैं — और वो भी अब तक बिना किसी ट्रांजैक्शन फीस के। UPI की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि PwC रिपोर्ट के अनुसार, आज भारत दुनियाभर के कुल डिजिटल ट्रांजैक्शन में लगभग 46% हिस्सेदारी रखता है। बीते 12 वर्षों में देश में रिटेल डिजिटल भुगतान 90 गुना तक बढ़ा है।
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार, NPCI और भारतीय रिजर्व बैंक जैसे तमाम हितधारक इस सफलता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भुनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। दिलीप अस्बे ने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि प्रवासी भारतीयों के लिए रेमिटेंस को बेहद सस्ता और रियल-टाइम बनाया जाए।”
NPCI का फोकस अब UPI को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने पर है। इसके लिए डेलीगेटेड अकाउंट्स के साथ-साथ मल्टीलिंगुअल (बहुभाषी) और कन्वर्सेशनल चैट फीचर्स को भी विस्तार देने की योजना है, ताकि अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले यूजर्स भी आसानी से UPI का इस्तेमाल कर सकें। दिलीप अस्बे ने बताया कि संगठन पार्किंग पेमेंट में यूपीआई के अधिक उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए विजन रिकग्निशन तकनीक का ट्रायल कर रहा है।
इसके अलावा, NPCI खुदरा ग्राहकों के लिए अपने क्रेडिट ऑफर को भी विस्तार देने पर काम कर रहा है। फिलहाल UPI के जरिए छोटे कर्ज की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन अस्बे का मानना है कि UPI की तकनीकी संरचना (आर्किटेक्चर) का इस्तेमाल उधारदाताओं को ग्राहकों के रीपेमेंट व्यवहार के आधार पर क्रेडिट अप्रूवल देने और रिकवरी प्रक्रिया बेहतर करने में मदद कर सकता है।
दिलीप अस्बे ने कहा, “क्रेडिट-एज़-अ-सर्विस मॉडल आने वाले तीन से पांच वर्षों में विकसित होगा और एक बड़े पैमाने पर पहुंचेगा।” अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार ने UPI को बढ़ावा देने के लिए अपने दूतावासों को जिम्मेदारी सौंपी है। अस्बे के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी कई देशों से संपर्क कर इस प्लेटफॉर्म को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में भारत के प्रवासी नागरिकों ने देश में रिकॉर्ड $129 अरब डॉलर भेजे, जो किसी भी देश द्वारा एक साल में अब तक का सबसे बड़ा रेमिटेंस है।