अगर आप कोई प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं अथवा खरीदना चाह रहे हैं तो आपको रजिस्ट्री और म्यूटेशन के अंतर को समझना चाहिए। भले ही ये दो प्रक्रियाएं एक-दूसरे से जुड़ी हैं, लेकिन इनका उद्देश्य अलग होता है। किसी भी संपत्ति की बिक्री अथवा हस्तांतरण के लिए पंजीकरण कराने और इसकी वैधता की गारंटी देने की कानूनी प्रक्रिया को प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कहा जाता है। दिल्ली उच्च न्यायालय में अधिवक्ता प्राची दुबे बताती हैं कि रजिस्ट्री में आधिकारिक सरकारी दस्तावेज में लेनदेन की जानकारी दर्ज की जाती है, जिसमें उप पंजीयक कार्यालय द्वारा रखे गए दस्तावेज भी शामिल होते हैं।
दूसरी ओर, म्यूटेशन का अर्थ स्वामित्व हासिल करना नहीं होता है। एमवीएसी एडवोकेट्स ऐंड कंसल्टेंट्स में एसोसिएट कोमल कौशल का कहना है कि यह संपत्ति कर चुकाने, गैस-बिजली जैसे उपयोगिता कनेक्शन लेने और स्थानीय प्राधिकरणों के साथ किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए जरूरी प्रक्रिया मानी जाती है।
प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री और म्यूटेशन क्या अंतर है और यह क्यों जरूरी हैं, इसके बारे में पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर के पार्टनर शोएब कुरैशी विस्तार से बताते हैं:
कानूनी सुरक्षाः उचित पंजीकरण से यह सुनिश्चित हो जाता है कि खरीदार के पास उनकी संपत्ति का कानूनी स्वामित्व है। इसके बगैर उन्हें अपने अधिकारों का दावा करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
भविष्य में होने वाले विवाद से बचावः संपत्ति का म्यूटेशन नहीं करने से कर जिम्मेदारियों और स्वामित्व विवाद को लेकर जटिलताएं खड़ी हो सकती हैं। खरीदारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी कानूनी वाद-विवाद से बचने के लिए प्रॉपर्टी खरीदने के छह महीन के भीतर उसका म्यूटेशन पूरा हो जाए।
वित्तीय सेवाओं तक पहुंचः आमतौर पर वित्तीय संस्थान रियल एस्टेट से जुड़े ऋण अथवा अन्य वित्तीय उत्पादों की मंजूरी देने से पहले रजिस्ट्री और म्यूटेशन दोनों के प्रमाण की मांग करते हैं।
लेनदेन में पारदर्शिताः साफ-सुथरा रिकॉर्ड किसी भी संपत्ति की लेन-देन में पारदर्शिता बरकरार रखने में मदद करता है। इससे धोखाधड़ी अथवा किसी भी तरह के फर्जीवाड़ा की आशंका भी नहीं रहती है।
एमवीएसी एडवोकेट्स ऐंड कंसल्टेंट्स में एसोसिएट कोमल कौशल ने कहा, ‘प्रॉपर्टी खरीदने वालों को इन अंतर को समझना काफी जरूरी होता है। रजिस्ट्री से कानूनी स्वामित्व मिल जाता है, लेकिन म्यूटेशन के बाद ही आप कोई सरकारी कनेक्शन हासिल कर सकते हैं। दोनों नहीं रहने की स्थिति में कानूनी जटिलाएं, कर विवाद अथवा भविष्य में इसकी बिक्री या प्रॉपर्टी के हस्तांतरण में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।’
-किसी अनुभवी वकील के जरिये प्रॉपर्टी का पूरा टाइटल वेरिफिकेशन कराने से अगर किसी तरह की कानूनी अड़चन है, तो उसका पता चल जाता है।
-पंजीकरण से पहले सभी दस्तावेजों को ठीक से निष्पादित और सत्यापित करने से भविष्य में किसी भी तरह जटिलताओं पर काबू पाया जा सकता है।
-पंजीकरण के तुरंत बाद म्यूटेशन प्रक्रिया शुरू करने से कर परेशानियों से बचा जा सकता है।
-जरूरी लगने पर संपत्ति वकीलों अथवा सलाहकारों से पेशेवर सहायता प्राप्त करने से जटिल मामलों को प्रभावी ढंग से सुलझाने में मदद मिल सकती है।