वित्त-बीमा

GST Reforms: इनपुट टैक्स क्रेडिट में रियायत चाहती हैं बीमा कंपनियां

जीएसटी में व्य​क्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर आईटीसी लाभ वापस लेने से बीमा कंपनियां परेशान

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आतिरा वारियर   
Last Updated- September 10, 2025 | 10:41 PM IST

बीमा कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारियों ने आज वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की और हाल ही में घोषित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों में बीमा उद्योग को राहत देने की मांग की। जीएसटी सुधारों में व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट दी गई है लेकिन बीमा कंपनियों से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) लाभ वापस ले लिया गया है। इससे बीमा उद्योग मुश्किल स्थिति में आ गया है।

बीमा कंपनियों के प्रमुखों ने बीते शुक्रवार को वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को सौंपे पत्र में नई जीएसटी दरों को आगे की तिथि के आधार पर लागू करने की मांग की, साथ ही प्रीमियम के नवीनीकरण पर आईटीसी की अनुमति देने की भी मांग की। घटनाक्रम के जानकार सूत्रों ने बताया कि बीमा कंपनियों ने पुनर्बीमा जैसे कमीशन खर्चों को जीएसटी छूट में शामिल करने और बीमा कंपनियों के अप्रयुक्त आईटीसी जीएसटी क्रेडिट को रिफंड करने का भी अनुरोध किया है।

बीमा कंपनियों ने इस संबंध में भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) को भी पत्र भेजा है। इस बीच बीमा कंपनियों के मुख्य वित्तीय अधिकारी इस हफ्ते 12 सितंबर को सीबीआईसी के अधिकारियों के साथ बैठक कर आईटीसी के मुद्दे पर चर्चा करेंगे।

बीमा उद्योग की मांग से अवगत एक बीमा कंपनी के प्रमुख ने कहा, ‘नए व्यवसाय में ज्यादा खर्च होता है और जिस तरह पुनर्बीमा को जीएसटी से छूट दी गई है, उसी तरह नए व्यवसाय से जुड़े कमीशन पर आईटीसी छूट की मांग की गई है।’ उन्होंने कहा, ‘पुरानी पॉलिसियां जो दशकों से चल रही हैं हम उनकी कीमत नहीं बदल सकते। हमने पहले ही कई दशकों से अपनी कीमतें तय कर रखी हैं। इसके साथ ही हम वर्षों से जमा हुए अप्रयुक्त आईटीसी जीएसटी क्रेडिट को रिफंड करने की मांग कर रहे हैं।’

आईटीसी कंपनियों को पुनर्बीमा, कमीशन आदि जैसे इनपुट पर किए गए जीएसटी भुगतान की भरपाई करने की अनुमति देता है। बीमा कंपनियों ने पॉलिसी का मूल्य निर्धारण और जारी करते समय पहले से ही इस बात का ध्यान रखा था और आईटीसी लाभों को वापस लेने से बीमा कंपनियों की लागत पर असर पड़ने की संभावना है। इन लागतों को वहन करने से उनके मार्जिन पर दबाव पड़ेगा।

एक अन्य जीवन बीमा कंपनी ने कहा, ‘जब बीमाकर्ता ने पॉलिसी का अनुबंध किया था तो हमने कुछ अनुमान लगाए थे, कुछ जीएसटी, थोड़ा इनपुट टैक्स क्रेडिट, लागत और उसके अनुसार मूल्य निर्धारण किया था। अचानक से पॉलिसी पर आईटीसी हटा दिया जाता है तो हमारी लागत गणना बिगड़ जाएगी।’

जीवन बीमा कंपनियों ने कहा कि अगर सरकार अप्रयुक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट वापस नहीं करती है तो इससे उनके सॉल्वेंसी मार्जिन पर भारी असर पड़ सकता है। उद्योग सूत्रों के अनुसार वित्त वर्ष 2024 में आईटीसी जीएसटी करीब 14,000 करोड़ रुपये था।

एक जीवन बीमा कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, ‘बीमा कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ेगा और उन्हें अपनी लागत कम करनी होगी, साथ ही वितरकों के कमीशन पर भी नए सिरे से विचार करना होगा। जीएसटी सुधार लंबी अवधि में अच्छा है लेकिन इससे मार्जिन पर असर पड़ेगा और अल्पावधि में उद्योग की वृद्धि पर भी असर पड़ सकता है।’

First Published : September 10, 2025 | 10:31 PM IST