पिछले कुछ अरसे से जमा राशि की किल्लत से जूझ रहे सरकारी बैंक इसे रफ्तार देने के लिए अब जनधन खातों का सहारा ले रहे हैं। आम तौर पर इन खातों का उपयोग सरकारी योजनाओं के तहत लाभ या सब्सिडी की रकम भेजने के लिए किया जाता रहा है। मगर लोगों का रुझान अधिक यील्ड वाले वित्तीय साधनों की तरफ बढ़ने से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए पर्याप्त रकम नहीं जुट पा रही है। जमा की ऐसी ही रकम बढ़ाने के लिए वे जनधन खातों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय कई बार चिंता जता चुके हैं कि जमा रकम में उतनी वृद्धि नहीं हो रही है, जितनी कर्ज में हो रही है। उनका कहना है कि इस अंतर से बैंकों के लिए परिसंपत्ति देनदारी संभालना मुश्किल हो सकता है। इसलिए उन्होंने अधिक जमा आकर्षित करने के लिए नए तरीके तलाशने का निर्देश दिया है।
रिजर्व बैंक के निर्देश के बाद बैंक ब्याज दर पर होड़ करने के बजाय नए तरीकों से जमा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। रिजर्व बैंक के हालिया आंकड़ों के अनुसार 23 अगस्त को समाप्त पखवाड़े में ऋण वृद्धि 15 फीसदी और जमा वृद्धि 11.3 फीसदी रही। इन आंकड़ों में एचडीएफसी लिमिटेड और एचडीएफसी बैंक के बीच विलय का प्रभाव शामिल नहीं है।
भारतीय स्टेट बैंक जमा वृद्धि को रफ्तार देने के लिए जनधन खाताधारकों, ट्रस्टों और सोसाइटियों के साथ कई वर्गों पर ध्यान दे रहा है। इनमें सामान्य खाताधारकों से ऊपर का संपन्न तबका भी शामिल है। एसबीआई के प्रबंध निदेशक अश्विनी तिवारी ने हाल में एक कार्यक्रम के दौरान विस्तार से बताया कि बैंक जमा बढ़ाने के लिए किस प्रकार कम राशि वाले जनधन खातों को लक्ष्य बना रहा है। उन्होंने बताया कि बैंक अब इन खातों में जमा बढ़ाने के लिए मार्केटिंग एजेंट नियुक्त कर रहा है।
केनरा बैंक के एमडी एवं सीईओ के सत्यनारायण राजू ने कहा कि अब जनधन खाते और इस तरह की योजनाएं बैंक कर्मियों के प्रमुख काम का हिस्सा बन गई हैं। उन्होंने कहा, ‘इससे जनधन खातों में जमा रकम बढ़ाने में मदद मिली है।’
उन्होंने कहा कि बैंक ने वित्त वर्ष 2025 के अंत तक इन खातों में जमा रकम को 14,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल केनरा बैंक के जनधन खातों में करीब 11,000 करोड़ रुपये जमा हैं।
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार बैंक देश भर में कई नए स्थानों पर अपने जनधन खाताधारकों के लिए ग्राहक सेवा केंद्र एवं आउटलेट स्थापित करने की सोच रहा है।