facebookmetapixel
RBI Gold Reserves: रिजर्व बैंक के पास 880 टन से ज्यादा सोना, वैल्यू 95 अरब डॉलरInfosys के प्रमोटर्स ने ₹18,000 करोड़ के शेयर बायबैक से खुद को अलग कियासितंबर में Debt MF से निवेशकों ने क्यों निकाले ₹1.02 लाख करोड़? AUM 5% घटासस्ते आयात, डंपिंग से देश के स्टील सेक्टर को नुकसान; नीतिगत समर्थन की जरूरत: RBIसोशल मीडिया पर AI कंटेंट पर सख्ती, लेबलिंग और वेरिफिकेशन अनिवार्य; MeitY ने जारी किया मसौदा नियमभारत बनेगा AI कंपनियों का नया ठिकाना, OpenAI और Anthropic करेंगी भर्ती और ऑफिस की शुरुआतIndia-US Trade Deal: 50% से 15% होगा टैरिफ! ट्रंप देंगे बड़ा तोहफा, जल्द फाइनल हो सकती है डीलMajhi Ladki Bahin Yojana: महिलाओं की स्कीम में 12 हजार पुरुषों को मिला फायदा! चौंकाने वाला खुलासाTata Motors CV की लिस्टिंग डेट पर बड़ा अपडेट! दिसंबर से बाजार में शुरू हो सकती है ट्रेडिंगTata Trusts: कार्यकाल खत्म होने से पहले वेणु श्रीनिवासन बने आजीवन ट्रस्टी, अब मेहली मिस्त्री पर टिकी निगाहें

इक्विटी, कर्ज के रास्ते धन जुटाने की गतिविधियां 2022 में घटीं, 20 प्रतिशत कम वित्त जुटा

Last Updated- December 26, 2022 | 3:31 PM IST
NIIF launches $600 million India-Japan fund

कंपनियों की इक्विटी या ऋण मार्ग के जरिये कोष जुटाने की कवायद 2022 में करीब 20 प्रतिशत घटकर 11 लाख करोड़ रुपये रह गई। कर्ज महंगा होने और बाजारों में अस्थिरता की वजह से भी उत्साह ठंडा पड़ा है। ऐसे में 2023 की पहली छमाही चुनौती पूर्ण रह सकती है। कोष जुटाने के लिहाज से 2021 एक शानदार वर्ष था जबकि 2022 में दुनियाभर में आसमान छूती मुद्रास्फीति और रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से आई अस्थिरता के कारण इसमें कमी आई।

ट्रस्टप्लूटस वेल्थ (भारत) प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध साझेदार (उत्पाद) एवं मुख्य परिचालन अधिकारी विशाल चांदीरमानी ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर हो रहे घटनाक्रमों की वजह से 2023 की पहली छमाही चुनौती पूर्ण रह सकती है। अमेरिका में मंदी का प्रभाव यदि मामूली रहता है तो हम अगले वर्ष की दूसरी छमाही में वैश्विक बाजारों में तेजी की उम्मीद कर सकते हैं।’’

हालांकि, उन्होंने कहा कि बाजारों में तेजी आ भी जाए तब भी पहले की तुलना में अगले कुछ वर्षों में कोष जुटाना मुश्किल भरा हो सकता है। गुजरते वर्ष में ऋण बाजार के जरिये जुटाए गए वित्त में कुछ वृद्धि हुई है जबकि इक्विटी के जरिये जुटाया नया वित्त बहुत तेजी कम हुआ है। दरअसल, भू-राजनीतिक तनाव की वजह से 2022 में आईपीओ के जरिये वित्त जुटाने की कवायद घटकर आधी रह गई। इस वर्ष वित्त जुटाने की कुल गतिविधियों में सर्वाधिक हिस्सेदारी ऋण बाजार से वित्त जुटाने की रही है।

विश्लेषण करने वाली कंपनी प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष दिसंबर महीने के मध्य तक कुल 11 लाख करोड़ रुपये का कोष जुटाया गया जिसमें से 6.92 लाख करोड़ रुपये कर्ज बाजार से, 1.62 करोड़ रुपये इक्विटी बाजार से और 2.52 लाख करोड़ विदेशी मार्गों से आए।

वर्ष 2021 में कंपनियों ने 13.6 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे जिसमें 6.8 लाख करोड़ रुपये कर्ज के जरिये, 2.85 लाख करोड़ रुपये इक्विटी से जिसमें से रिकॉर्ड 1.2 लाख करोड़ रुपये आईपीओ से जुटाए थे। ये आंकड़े दिखाते हैं कि कोष जुटाने की गतिविधियों के लिए 2021 में माहौल बहुत ही आकर्षक था जबकि 2022 में यह बिलकुल अलग है।

फिस्डम में अनुसंधान प्रमुख नीरव कारकेरा ने कहा, ‘‘वर्ष 2021 कम लागत पर ऋण पुनर्वित्त करने, अत्यधिक अनुकूलित लागत पर ऋण के माध्यम से नई पूंजी जुटाने के साथ-साथ सकारात्मक भावनाओं के बीच अच्छे मूल्यांकन का लाभ उठाने के लिहाज से बढ़िया साल रहा।’’ उन्होंने कहा कि 2022 में प्रोत्साहन नहीं मिला, मौद्रिक नीतियां सख्त हो गईं, दुनियाभर में मुद्रास्फीतिक चिंताएं बढ़ीं और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान समेत कई चुनौतियां आईं।

First Published - December 26, 2022 | 3:24 PM IST

संबंधित पोस्ट