जब रेमंड दाराशाव बच्चे थे तो सोचा करते थे कि पड़ोस के एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) से पैसे निकालने के लिए केवल मैजिक कार्ड (यहां डेबिट कार्ड समझिए) की जरूरत होती है।
कुछ वर्षों तक उनके माता-पिता ने भी इस बारे में उन्हें विस्तार से नहीं समझाया। जैसे-जैसे वे बड़े हुए, उन्हें मालूम हुआ कि पैसों की निकासी के लिए उनके बैंक खाते में भी पैसे का होना आवश्यक है।
जब बच्चे बड़े हो रहे होते हैं तो माता-पिता तरह-तरह के कोर्स में उनका दाखिला करवाते हैं जैसे-नृत्य, तैराकी, कला आदि में। हालांकि, बहुत कम मां-बाप अपने बच्चों को पैसों के प्रबंधन संबंधी शिक्षा-दीक्षा देने में दिलचस्पी दिखाते हैं।
वास्तव में अधिकांश माता-पिता के पास वक्त का अभाव होता है और कुछ को इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती जो वे अपने बच्चों को दे सकें। हालांकि, बच्चों को वित्तीय शिक्षा देने के लिए यह जरूरी नहीं कि आप इसके महारथी ही हों। मूल रूप से बच्चों को पैसे की महत्ता समझने की जरूरत होती है। और सबसे महत्वपूर्ण होता है उन्हें बचत की जरूरतों को समझाना।
हालांकि, अधिकांश परिवारों में माता-पिता बच्चों के सामने पैसों की बात करने से भी कतराते हैं। ऐसे माता-पिता की निगाह में पैसों का मामला बड़ो के लिए होता है। पैसों की महत्ता बच्चे समझें इसके लिए जरूरी है कि उन्हें कम उम्र से ही निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी जाए। उन्हें कुछ पैसे देने के साथ खर्च करने की अनुमति भी दीजिए। साथ ही, उन्हें यह भी कहिए अगर वे एक खास रकम बचाने में सफल रहते हैं उन्हें आप कोई खास चीज देंगे।
कुछ सवाल आप खुद से कर सकते हैं-
– पैसों के मामले में आपका शुरुआती अनुभव क्या था?
-क्या आपको भत्ते मिला करते थे। अगर हां तो क्या इसके काई कायदा-कानून थे?
-आप अपने बच्चों में पैसों के प्रति कैसा नजरिया और आदत देखना चाहते हैं?
– बच्चों में ऐसी आदतें आप किस प्रकार विकसित करना चाहते हैं?
आपके पास कितना धन है इससे बिल्कुल अलग होकर आप देर होने से पहले अपने बच्चों को निम्लिखित बातें सिखा सकते हैं:
तुष्टिकरण में विलंब: यह जरूरी नहीं कि किसी व्यक्ति के पास तत्काल सारी चीजें आ ही जाएं। तुष्टिकरण को विलंबित करना और बाद में वस्तुओं की खरीदारी करना महत्वपूर्ण है। अपने बच्चों को बाद के लक्ष्यों के बारे में समझाएं और उत्साहित करें। धैर्य धारण करने से उन्हें लक्ष्य निर्धारित करने में मदद मिलती है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए योजना बनाएं और धीरे-धीरे उसे प्राप्त करने की दिशा में बढ़ें।
पैसे आसानी से नहीं कमाए जाते: हां, पैसों के लिए आपको काम करना होगा। इस बात की कोई वजह ही नहीं है कि बच्चों में यह आदत नहीं आएगी। इसका मतलब यह नहीं है कि उनका जेब खर्च घर के काम-काज से जुड़ा रहे। लेकिन, अगर बच्चे कोई ऐसा काम करते हैं जिसके लिए आप दूसरे को पैसे देते तो अपने बच्चों को अतिरिक्त पैसे दें। इससे उन्हें पैसों की कीमतों का पता चलेगा।
बचत के लिए प्रोत्साहित करें: उन्हें गुल्लक दें या फिर बैंक में उनके लिए खाता खुलवा दें। उनसे कहिए कि वे जितनी बचत करेंगे उसके बराबर की बचत आप भी महीने के अंत में उनके लिए करेंगे। लेकिन, एक तरफ जहां बचत महत्वपूर्ण हैं वहीं उन्हें खर्चों की महत्ता समझाने की जरूरत भी है।
कभी भूले-भटके किया जाने वाला खर्च जिनसे उन्हें खुशी मिलती हो, काफी महत्वपूर्ण है। जब कभी ऐसा अवसर आए तो उन्हें बैंक ले जाएं ताकि वे बचत, बजट बनाना, बैंकिंग और निवेश जैसी चीजों को समझ सकें। इसके साथ ही उन्हें चाहत और जरूरतों के बीच का फर्क भी समझाएं।
