फिनटेक क्षेत्र में जारी नियामकीय मुददों पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक करने के लिए वित्तीय सेवा मंचों के प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है। इस बैठक में एमेजॉन, जीरोधा, लैंडिंग कार्ट, पाइन लैब और क्रेड के प्रमुखों के अलावा भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर भी उपस्थित रह सकते हैं।
हालांकि पेटीएम के सूत्रों ने बताया कि आमंत्रित लोगों की सूची में उसके शामिल होने की उम्मीद नहीं है। दरअसल, आरबीआई ने केवाईसी मानदंडों का नियमित रूप से पालन नहीं करने पर पेटीएम के खिलाफ कदम उठाया था।
इस बैठक में निजी कंपनियों के अलावा भारतीय स्टेट बैंक और नैशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के वरिष्ठ अधिकारीगण हिस्सा ले सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय कंपनियों और नियामक के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास करेगा ताकि इस क्षेत्र में भावी नवाचार और विनियमन का पालन सुनिश्चित किया जा सके।
सूत्र ने कहा, ‘मंत्रालय कंपनियों से यह कह सकता है कि वह नियमों जैसे जानें अपने ग्राहक (केवाईसी) का पालन सुनिश्चित करें। साथ ही विनियामक को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि नियमों का पालन करने के दबाव से नवाचार हतोत्साहित न हो।’
पेटीएम ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब नहीं दिया। वित्त मंत्री के साथ बैठक के लिए आमंत्रित ज्यादातर कंपनियों ने टिप्पणी नहीं की।
वित्तीय समावेशन बढ़ाने के लिए सरकार का प्रमुख एजेंडा डिजिटल सार्वजनिक आधारभूत ढांचे (डीपीआई) का निर्माण करना है।
विश्व बैंक की हालिया जी 20 वित्तीय समावेशन रिपोर्ट में यह इंगित किया गया था कि डीपीआई से कानूनी और वित्तीय जोखिम आ सकते हैं। यदि इसके प्रमुख तत्त्व अस्थिर होते हैं तो दिवालिया होने का जोखिम बढ़ने के कारण इकोसिस्टम के लिए खतरा पैदा हो सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘डीपीआई के बेजा इस्तेमाल से वित्तीय उपभोक्ता के संरक्षण जोखिम भी बढ़ सकते हैं।’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 21 फरवरी को 28वीं वित्तीय स्थायित्व व विकास परिषद (एफएसडीसी) की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा था कि वित्तीय क्षेत्र को ऑनलाइन ऐप से अवैध ऋण दिए जाने और उसके नुकसानदायक प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
परिषद की इस महत्त्वपूर्ण बैठक में अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) प्रक्रिया को सहज बनाने की औपचारिक रणनीति बनाने पर भी चर्चा हुई थी।