अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जीरोम पॉवेल का भाषण विश्लेषकों की नजर में उम्मीद के मुताबिक रहा, जिनका मानना है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक भविष्य में ब्याज दरें 25 आधार अंक और बढ़ा सकता है।
पॉवेल ने कहा कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक बेंचमार्क दरें बढ़ाने और उधारी लागत उच्च स्तर पर बरकरार रखने के लिए तब तक तैयार है जब तक कि महंगाई 2 फीसदी के लक्षित दायरे में नहीं आ जाती।
यूबीएस के वरिष्ठ अमेरिकी अर्थशास्त्री और मुख्य निवेश अधिकारी ब्रायन रोज ने हालिया नोट में कहा है, अपने भाषण में उन्होंने कोई सकारात्मक बातें नहीं कही और भाषा का इस्तेमाल पिछली टिप्पणियों की तरह ही किया। पॉवेल का भाषण फेड नीति के परिदृश्य को अनिश्चित और आंकड़ों पर जरूरत से ज्यादा आधारित बनाता है। बाजार फेड की तरफ से नवंबर में 25 आधार अंको की और बढ़ोतरी की आधी संभावना को लेकर चल रहा है, जो उचित है।
विश्लेषकों ने कहा कि आगामी व्यक्तिगत उपभोग खर्च (31 अगस्त को संभावित), रोजगार (1 सितंबर को संभावित) और उपभोक्ता कीमत सूचकांक (13 सितंबर को संभावित) को लेकर रिपोर्ट अब बाजार के रेडार पर इस लिहाज से रहेगा कि क्या सितंबर में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से दरों में बढ़ोतरी संभावित है।
राबोबैंक इंटरनैशनल के वरिष्ठ अमेरिकी रणनीतिकार फिलिप मारे न कहा, ऐसा लगता है कि फेडरल ओपन मार्केट कमेटी दरों में बढ़ोतरी का चक्र जारी रखने से पहले नवंबर तक इंतजार करना चाहता है। तब तक हम आर्थिक आंकड़ों के कमजोर होने की उम्मीद कर रहे हैं, जो दरों में बढ़ोतरी को रोकेगा। हालांकि हमारे आधार को लेकर जोखिम बढ़त का है। जब तक अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रहेगी और श्रम बाजार सख्तरहेगा, और ब्याज बढ़ोतरी मुमकिन है।
विश्लेषकों का सुझाव है कि ये घटनाक्रम बाजार के सेंटिमेंट को नियंत्रित रखेंगे, खास तौर से मार्च 2023 के निचले स्तर से आई तेजी और हालिया खुदरा महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए। जेफरीज के वैश्विक प्रमुख व इक्विटी रणनीतिकार क्रिस्टोफर वुड ने ग्रीड ऐंड फियर में लिखा है, अगली बढ़त से पहले भारतीय शेयरों में एकीकरण की संभावना ज्यादा है। एनएसई निफ्टी 20 जुलाई के रिकॉर्ड स्तर से 3.1 फीसदी नीचे है। अभी भी सकारात्मक तथ्य और तेजी आने की अहम वजह यह है कि पूंजीगत खर्च के चक्र को लेकर सबूत दिख रहे हैं। इस बीच, मनी मार्केट आरबीआई की तरफ से और ब्याज बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं कर रहा है।
अगस्त की नीति में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने रीपो दरें लगातार तीसरी बार 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखी। हालांकि केंद्रीय बैंक ने 2023-24 के लिए महंगाई के अपने अनुमान को संशोधित कर 5.4 फीसदी कर दिया, जो पहले 5.1 फीसदी था। दूसरी व तीसरी तिमाही के लिए अनुमान में भी संशोधन कर उसे क्रमश: 6.2 फीसदी व 5.7 फीसदी कर दिया गया है।
जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई की दर बढ़कर 7.44 फीसदी पर पहुंच गई, जो अप्रैल 2022 का सर्वोच्च स्तर है। सितंबर 2022 के बाद यह पहला मौका है जब कीमत बढ़ोतरी की दर 7 फीसदी के पार निकल गई।
कोटक महिंद्रा लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और इक्विटी प्रमुख हेमंत कनावला ने कहा, बाहरी माहौल में कमजोरी के कारण इक्विटी बाजारों में उतारचढ़ाव बने रहने की आशंका है। भारतीय कंपनियों की आय में मजबूत बढ़त दिख रही है, लेकिन मूल्यांकन सस्ते नहीं हैं, जो बढ़त की गुंजाइश सीमित कर देता है। इसके परिणामस्वरूप निवेशक साल के आखिर तक आय में बढ़ोतरी के हिसाब से ही रिटर्न देख सकते हैं।