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Cross-Border Payments: जरूरी नहीं कि सस्ता हो सीमा पार लेनदेन

क्रिस्टोफर वॉलर ने कहा कि त्वरित भुगतान प्रणालियों के परस्पर जुड़ाव से धनशोधन और आतंकवाद वित्त पोषण पर अंकुश लगाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

Last Updated- August 28, 2024 | 11:05 PM IST
Payments

त्वरित भुगतान प्रणालियों को परस्पर जोड़ने से यह जरूरी नहीं कि उपभोक्ताओं और कारोबारियों के लिए सीमा पार लेनदेन ज्यादा सस्ता हो जाएगा। यूएस फेडरल रिजर्व बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य क्रिस्टोफर जे. वॉलर ने बुधवार को मुंबई में आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्ट के दौरान बताया कि सीमा पार भुगतान त्वरित होने से धनशोधन और आतंकवाद के वित्त पोषण पर अंकुश लगाना मुश्किल होगा।

उन्होंने बताया, ‘उपभोक्ता और कारोबारी आज दुनियाभर में कहीं भी आसानी से धन भेज सकते हैं। लेकिन वे सभी त्वरित और सस्ता वैश्विक भुगतान की चाहत रखते हैं। यह ठीक उसी तरह है जिस तरह हम हवाई जहाज से जल्दी पहुंचना चाहते हैं लेकिन हवाई किराया भी सस्ता चाहते हैं।

हालांकि मैं इस पर पूरी तरह से सहमत नहीं हूं कि परस्पर समझौते होने से ये लक्ष्य हासिल हो जाएंगे।’उन्होंने कहा कि भुगतान को धीमी करने वाली सभी रुकावटें बुरी नहीं होती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि वैश्विक भुगतान प्रणाली में कुछ रुकावटें कानून पालन और जोखिम प्रबंधन के लिए जानबूझकर खड़ी की जाती हैं।

वॉलर ने कहा, ‘भुगतान करने और निपटान की गति को धीमा करने से बैंकों को धन शोधन को रोकने और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने, धोखाधड़ी का पता लगाने और धोखाधड़ी या गलत तरीके से किए गए सीमा पार भुगतान को वसूलने में मदद मिलती है।’

उनकी यह टिप्पणी आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास की उस टिप्पणी के संबंध में आई है जिसमें दास ने दलील दी थी कि घरेलू भुगतान प्रणालियों के त्वरित ढंग से जुड़ने से उच्च लागत व देरी की चिंताओं से निपटा जा सकता है।

दास ने बेंगलूरु में बुधवार को कहा था, ‘कई देशों के त्वरित भुगतान प्रणाली अपनाने और केंद्रीय बैंक के डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) के बारे में प्रयोग के कारण सीमा पार भुगतान में कहीं अधिक संभावनाएं खुल रही हैं। ऐसी पहलों में अधिकतम दक्षता लाभ एक प्रमुख डिजाइन तत्त्व के रूप में अंतर संचालन सुनिश्चित करने से आएगा।’

First Published - August 28, 2024 | 11:05 PM IST

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