facebookmetapixel
50% अमेरिकी टैरिफ के बाद भारतीय निर्यात संगठनों की RBI से मांग: हमें राहत और बैंकिंग समर्थन की जरूरतआंध्र प्रदेश सरकार ने नेपाल से 144 तेलुगु नागरिकों को विशेष विमान से सुरक्षित भारत लायाभारत ने मॉरीशस को 68 करोड़ डॉलर का पैकेज दिया, हिंद महासागर में रणनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिशविकसित भारत 2047 के लिए सरकारी बैंक बनाएंगे वैश्विक रणनीति, मंथन सम्मेलन में होगी चर्चाE20 पेट्रोल विवाद पर बोले नितिन गडकरी, पेट्रोलियम लॉबी चला रही है राजनीतिक मुहिमभारत को 2070 तक नेट जीरो हासिल करने के लिए 10 लाख करोड़ डॉलर के निवेश की जरूरत: भूपेंद्र यादवGoogle लाएगा नया फीचर: ग्रामीण और शहरी दर्शकों को दिखेगा अलग-अलग विज्ञापन, ब्रांडों को मिलेगा फायदाअब ALMM योजना के तहत स्वदेशी सोलर सेल, इनगोट और पॉलिसिलिकन पर सरकार का जोर: जोशीRupee vs Dollar: रुपया 88.44 के नए निचले स्तर पर लुढ़का, एशिया की सबसे कमजोर करेंसी बनीब्याज मार्जिन पर दबाव के चलते FY26 में भारतीय बैंकों का डिविडेंड भुगतान 4.2% घटने का अनुमान: S&P

कोरस से हिल सकती है टाटा स्टील के मुनाफे की बुनियाद

Last Updated- December 10, 2022 | 7:21 PM IST

पिछली बार टाटा स्टील के राजस्व में वर्ष 2001 और 2002 में गिरावट दर्ज की गई थी। इसकी वजह थी, वैश्विक मांग में कमी और स्टील की कीमतों में भारी गिरावट।
हालांकि वर्ष 2003 में स्थिति में सुधार हुआ और कंपनी के मुनाफे और बिक्री में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई। मौजूदा हालात को देखते हुए लगता है कि यह प्रक्रिया एक बार फिर दोहराई जा सकती है।
हाल में रेटिंग एजेंसी मूडीज ने टाटा स्टील के रेटिंग घटा दी है। इस बार कंपनी के अतंरराष्ट्रीय परिचालन और वैश्विक मंदी का असर कंपनी के खजाने पर दिख रहा है। 

मूडीज के एसिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट इवान पलासियो का कहना है कि कंपनी पर 13 से14 अरब डॉलर का कर्ज है, जबकि स्टील की मांग में आई गिरावट को देखते हुए कंपनी के लिए नकदी की व्यवस्था करना मुश्किल लग रहा है।
वित्त वर्ष 2009 की तीसरी तिमाही में टाटा स्टील के संचई मुनाफे में 42.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान कंपनी को 810 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ। हालांकि यह विश्लेषकों के अनुमान से कहीं ज्यादा है। कंपनी को यह नुकसान कोरस और अन्य विदेशी परिचालन की वजह से हुआ है।
विश्लेषकों का कहना है कि वित्त वर्ष 2010 में भी कंपनी पर दबाव देखा जा सकता है, खासकर विदेशी परिचालन में। मौजूदा समय में टाटा स्टील की सबसे बड़ी चिंता विदेशी परिचालन को लेकर है। कंपनी के पास करीब 3 करोड़ टन कच्चा स्टील की क्षमता है। जिसमें से करीब 70 फीसदी ऑपरेशन यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया में है।
वित्त वर्ष 2009 के पहले नौ महीनों में इन सभी इकाइयों का एबिटा मार्जिन 15 फीसदी रहा, जो टाटा स्टील के घरेलू मार्जिन 45 फीसदी से बहुत कम है। इस दौरान अमेरिका स्थित सहायक इकाई कोरस के मार्जिन में लगातार गिरावट का रुख देखा गया। इसकी वजह कच्चे माल की कीमतों में तेजी और मांग में आई गिरावट है।
कोरस अपने कुल उत्पादन का करीब 70 फीसदी हिस्सा हाजिर बाजार में बेचती है, जबकि कीमतों में कमी और स्टील की मांग में गिरावट से उसके मुनाफे पर असर पड़ा है। थाइलैंड में भी टाटा स्टील की सहायक इकाई का प्रदर्शन उत्साहजनक नहीं है।
मांग में कमी
कंपनी का मुनाफा जहां कम हो रहा है, वहीं स्टील की मांग में भी गिरावट आ रही है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में कंपनी के घरेलू राजस्व में जहां 14 फीसदी की गिरावट आई, वहीं अंतरराष्ट्रीय राजस्व में करीब 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
यही नहीं, मांग में कमी के चलते कोरस को उत्पादन में करीब 30 फीसदी की कटौती भी करनी पड़ी। विश्लेषकों का कहना है कि आने वाली तिमाहियों में मांग में और गिरावट की संभवना है।
क्या है उम्मीद?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग में गिरावट आने से कंपनी की मार्जिन में स्थिरता आ सकती है। कोरस ने करीब 4500-5000 करोड़ रुपये की कटौती की है।

इसके तहत कर्मियों की छंटनी, उत्पादन लागत में कटौती और अन्य खर्चों में कमी के उपाय अपनाए गए हैं। इसके साथ ही कंपनी कास्ट उत्पाद और एल्युमीनियम को बेचने में दिलचस्पी ले रही है, इससे भी कंपनी को लागत कम करने में मदद मिलेगी।
घरेलू बाजार
घरेलू बाजार में टाटा स्टील का प्रदर्शन अच्छा रहा है। कंपनी ने इस दौरान कई उत्पाद बाजार में उतारा है। कंपनी को उम्मीद है कि चौथी तिमाही में वह अपने उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त कर लेगी। इससे अंतरराष्ट्रीय परिचालन में हो रहे नुकसान की कंपनी घरेलू बाजार से कुछ भरपाई कर सकती है।
निष्कर्ष
कंपनी का घरेलू बाजार में प्रदर्शन अच्छा रहा है। हालांकि विदेशों में चल रही इकाइयां अभी भी कंपनी के लिए चिंता का सबब हैं। इसके साथ ही मांग और कीमतों के का कोई स्पष्ट रुख भी पता नहीं चल पा रहा है। ऐसे में विश्लेषकों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2009 में कंपनी के मुनाफे में करीब 15-20 फीसदी की कमी आ सकती है, जबकि 2010 में इसमें 50 फीसदी तक की कमी का अनुमान है।

First Published - March 8, 2009 | 10:52 PM IST

संबंधित पोस्ट