बैंकों के रिटेल ऋण खास तौर पर बिना रेहन दिए गए कर्ज के कारोबार पर दबाव बढ़ने के कारण कलेक्शन और वसूली एजेंटों की मांग भी बढ़ रही है। बैंक इतने परेशान हो गए हैं कि वे अपने सेल्स कर्मचारियों को भी वसूली के काम में लगा रहे हैं। आम तौर पर वाणिज्यिक बैंक वसूली का ठेका किसी रिकवरी एजेंसी को दे देते हैं।
पिछले साल जुलाई में बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र में करीब 77,000 कर्मचारियों से ठेके पर काम कराया जा रहा था और उनमें से 6,000 वसूली एजेंट थे। दिसंबर आते-आते वसूली एजेंटों की तादाद करीब 50 फीसदी बढ़ गई। टीमलीज सर्विसेज के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर अंत में बाहर के 82,000 कर्मचारियों से ठेके पर काम कराया जा रहा था और उनमें 8,800 वसूली करने वाले एजेंट थे।
टीमलीज सर्विसेज के वाइस प्रेसिडेंट और बिजनेस हेड कृष्णेंदु चटर्जी ने कहा, ‘बिना रेहन यानी असुरक्षित कर्ज बहुत बढ़ गया है और उसकी अदायगी में चूक के मामले भी बढ़ रहे हैं। इससे रिटेल ऋण में कलेक्शन एजेंटों की मांग भी बढ़ गई है। क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन देते समय अमानत या रेहन के तौर पर कुछ भी नहीं रखा जाता, इसलिए इन्हें असुरक्षित कर्ज माना जाता है। पिछले 6 महीने में ऐसा कर्ज बहुत बढ़ गया है। हमारे ग्राहकों में से कुछ सेल्स से जुड़े कर्मचारी मांग रहे थे मगर अब उनकी दिलचस्पी कलेक्शन यानी वसूली एजेंटों में हो गई है।’
बैंकिंग रुझानों पर रिपोर्ट ‘ट्रेंड्स ऐंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया 2023-24’ में भारतीय रिजर्व बैंक ने बिना रेहन का कर्ज तेजी से बांटे जाने पर चेतावनी दी थी। उसने इस मामले में सतर्कता बरतने की सलाह भी दी थी। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दिए गए कुल कर्ज में ऐसे असुरक्षित ऋण की हिस्सेदारी मार्च 2015 से लगातार बढ़ रही है और मार्च 2023 में यह 25.5 फीसदी पर पहुंच गई थी। मार्च 2024 में यह मामूली कमी के साथ 25.3 फीसदी रही। रिजर्व बैंक ने पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड और एनबीएफसी के कर्ज पर सख्ती दिखाते हुए नवंबर 2023 में जोखिम भार 25 फीसदी बढ़ा दिया था। इसके पीछे उसका मकसद इस मामले में जोखिम बढ़ने से रोकना था।
निजी क्षेत्र के एक बैंक के एक अधिकारी ने कहा, ‘बीते 6 महीने में कलेक्शन (वसूली) एजेंट की मांग काफी बढ़ गई है क्योंकि कंज्यूमर ड्यूरेबल, पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड जैसे बिना रेहन के कर्ज की वसूली में बहुत चुनौती आ रही हैं। शहरी इलाकों में ऐसे एजेंटों की मांग ज्यादा है।’
वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में निजी क्षेत्र के अधिकतर बैंकों में क्रेडिट कार्ड जैसा असुरक्षित कर्ज फंसने के मामले बहुत बढ़ गए थे। एक बैंक के अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘पिछले कुछ महीनों से बैंकों में असुरक्षित कर्ज पर दबाव बढ़ गया है। इसकी वजह से पिछले 6 महीनों में कलेक्शन एजेंटों की मांग भी बढ़ गई है। कलेक्शन एजेंट ठेके पर रखे जाते हैं और उनसे काम कराने वाली एजेंसियां भी बैंकों के लिए वसूली की खातिर ज्यादा एजेंट लगाती हैं क्योंकि वहां उन्हें बेहतर कमाई होती है। साथ ही एजेंटों को भी बेहतर पैसे मिलते हैं। बैंकों के अपने कर्मचारी भी यह काम करना पसंद करने लगे हैं।’
इक्रा में वित्तीय क्षेत्र की रेटिंग के समूह प्रमुख और सीनियर वाइस प्रेसिडेंट कार्तिक श्रीनिवासन ने कहा, ‘कर्ज की अदायगी नहीं होने के कारण बैंक और एनबीएफसी रिटेल कर्ज देने में सुस्ती बरत रहे हैं। बैंकों का ध्यान कर्ज की वसूली पर है। कई बैंक और एनबीएफसी ने अपनी वसूली टीमों में लोग बढ़ा लिए हैं या कर्जदारों पर नजर रखने के लिए तकनीक अपना रहे हैं।’