चिल्ड्रन्स इन्वेस्टमेंट फंड और इसकी शाखाएं भारतीय शेयरों की सबसे ज्यादा बिकवाली करने वाले संस्थागत निवेशक के रूप में उभरी हैं।
वर्ष 2008 में हेज फंडों को अब तक का सबसे बडा नुकसान उठाना पडा है। हेज फंड भारत में अपनी बिक्री में तेजी लाने के लिए अपने पिछले साल शेयरों के खरीद मूल्य पर भारी छूट दे रहा है।
इस साल बंबई स्टॉक एक्सचेंज में 15.4 फीसदी की गिरावट आई है जबकि बैंकेंक्स इंडेक्स में 33.4 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है। इस साल विदेशी संस्थागत निवेशकों ने जितने शेयरों की बिकवाली की है उसमें से ब्रिटेन स्थित हेज फंड की हिस्सेदारी 10 फीसदी की रही है।
बिजनैस स्टैंडर्ड रिसर्च ब्युरों के एक अध्ययन के मुताबिक अब तक चिल्ड्रेंस फंड 1,154 करोड़ रुपये तक के शेयरों की बिकवाली कर चुका है जो फंड द्वारा पिछले साल खरीदे गए शेयरों का 33 फीसदी है। हेज फंडों ने वर्ष 2008 में भारतीय शयरों में 3,462 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है।
इनमें से ज्यादातर निवेश बैंकिंग क्षेत्र में हुआ है और ऐसे समय में हुआ है जब विदेशी संस्थागत निवेशक जमकर बिकवाली करने में लगे थे।
मोतीलाल ओसवाल में वरिष्ठ उपाध्यक्ष, शोध और रणनीति, मनीष सोनथालिया ने कहा कि हेज फंडों द्वारा इतने बड़े स्तर पर बिकवाली करने के पीछे उनकी अपने देशों में वित्तीय संकट के कारण पैदा हुईं परेशानियां रही हैं। सोनथालिया का कहना है कि ये फंड अपने पास ज्यादा से ज्यादा नकदी रखना चाहते हैं।