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पुकार लैटिन अमेरिकी फंड की

Last Updated- December 07, 2022 | 9:41 AM IST

भारतीय शेयर बाजार के निवेशक पिछले छह महीनों के  दौरान घटनाक्रमों में हुए परिवर्तनों से अत्यंत निराश हुए हैं। अचानक ही हमारी अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार जो कारों के फॉर्मुला वन रेस की तरह आगे चल रहा था, अचानक ही निचले गियर में आकर अटक गया है।



जनवरी 2008 में हमारे इक्विटी सूचकांकों में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, एक साल की अवधि में हमारी अर्थव्यवस्था की वृध्दि दर 9 प्रतिशत से ऊपर रही और इस दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 19 अरब डॉलर का निवेश किया साथ ही मुद्रास्फीति की दर भी नियंत्रण में रही।



जुलाई 2008 में हमारे सूचकांकों में उच्च स्तर से 40 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, मुद्रास्फीति की दरें 13 सालों के उच्चतम स्तर पर आ गईं, सकल घरेलू उत्पाद में वृध्दि के अनुमान भी निश्चित ही कम होंगे। भविष्य अनिश्चित नजर आ रहा है क्योंकि चुनाव की संभावनाएं जोर पकड़ रही हैं और तेल की कीमतें नियंत्रण से बाहर होती जा रही हैं।



ऐसी डरावनी परिस्थिति में भारतीय निवेशकों के लिए यह समझना कठिन है कि किस बाजार से किस प्रकार लाभ उठाया जाए। भौगोलिक तौर पर फंडों के विविधीकरण के विकल्प के चयन के लिए यह समय उपयुक्त हो सकता है।



आईएनजी म्युचुअन फंड ने एक नया फंड ‘आईएनजी लैटिन अमेरिका इक्विटी फंड’ पेश किया है। यह फंडों का फंड एक फीडर फंड है (इसका मतलब है कि यह कंपनियों के शेयरों में सीधे निवेश करने की जगह अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले अन्य फंडों में निवेश करेगा) जो 13 साल पुराने लग्जेमबर्ग स्थित आईएनजी (एल) इन्वेस्ट लैटिन अमेरिका फंड में निवेश करेगा।


जैसा कि स्प्ष्ट है कि यह फंड लैटिन अमेरिकी देशों जैसे ब्राजील,  अर्जेटीना, चिली, कोलंबिया, मेक्सिको, पेरू, उरुग्वे और पनामा के शेयरों में निवेश करता है।
विश्व बैंक ने मेक्सिको, ब्राजील,  अर्जेटीना और चिली जैसे देशों को विश्व के शीर्षस्थ उभरते बाजारों की रेटिंग दी है।


इन देशों की अर्थव्यवस्था में निवेश करने से संबंधित कुछ कारण इस प्रकार हैं:
अनुकूल जनसांख्सिकी: लैटिन अमेरिका की जनसंख्या अमेरिका, यूरोप और जापान से अधिक है जिसका सीधा मतलब है कि वहां के उपभोक्ता बाजार अपेक्षाकृत अधिक बड़े हैं।


इसके अलावा लैटिन अमेरिका में जनसंख्या की औसत आयु 25-30 वर्ष है। यहां के युवाओं की जनसंख्या से खपत में वृध्दि होगी साथ ही वर्क फोर्स में भी बढ़ोतरी होगी।



मजबूत अर्थव्यवस्था:अधिकांश लैटिन अमेरिकी देशों का करेंट एकाउंट बैलेंस बढ़िया है, वहां से निर्यात की भारी संभावनाएं हैं और संयुक्त रुप से उनके विदेशी मुद्रा भंडार भारत के मुकाबले कहीं अधिक हैं।


बुनियादी ढांचा: अधिकांश लैटिन अमेरिकी कंपनियों का बुनियादी ढ़ांचा भारत से बेहतर है। भारत की तुलना में वहां इंटरनेट और टेलीकम्युनिकेशन की सुविधाएं अच्छी हैं। अच्छी पढ़ी-लिखी जनसंख्या होने के कारण यह आउटसोर्सिंग का एक वांशनीय केंद्र बन जाता है।



इन देशों के इक्विटी बाजारों के सह-संबंधों के कम होने के कारण हेज की स्वाभाविक व्यवस्था हो जाती है। भारत के साथ भी इनके सह-संबंध काफी कम हैं।


आईएनजी (एल) इन्वेस्ट लैटिन अमेरिका फंड की पोर्टफोलियो संरचना कुछ इस प्रकार की है-


देश   प्रतिशत
ब्राजील                           59
मेक्सिको                        28
कोलंबिया, चिली,
पेरू, अर्जेटीना              प्रत्येक 3


30 अप्रैल 2008 को, पिछले तीन वर्षों में इस फंड ने 46.38 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है (भारतीय मुद्रा में) जबकि इसके बेचमार्क फंड एमएससीआई1040 ईएम लैटिन एम इंडेक्स ने 45.45 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है।



इस फंड के नये फंड ऑफर का भारतीय संस्करण 10 जुलाई 2008 को बंद हो रहा है। क्योंकि यह एक फीडर फंड है इसलिए इसे ऋण फंडों के नजरिये से देखा जाएगा और कर दायित्व भी उसी प्रकार का होगा।


जिसका मतलब है कि अल्पावधि के पूंजीगत अभिलाभ, अगर कोई है तो, आपकी आय में जुड़ जाएंगे औ उन पर उसी हिसाब से आयकर लगाया जाएगा।


 दीर्घावधि के पूंजीगत अभिलाभ,  बिना इंडेक्सेशन, पर 10 प्रतिशत कर के  अतिरिक्त अधिभार लगाया जाएगा और इंडेक्सेशन लाभ के मामले में 20 प्रतिशत का कर लाया जाएगा और अधिभार भी।


प्रभार संरचना
आवेदन का आकार
(रु. में) प्रवेश प्रभार निकासी प्रभार
(5 करोड़ 2.50 प्रतिशत 1 प्रतिशत
  अगर 180 दिनों से   पहले भुनाया
  जाता है
)5 करोड़ शून्य शून्य


न्यूनतम निवेश: 5000 रुपये


निष्कर्ष: अभी समय कुछ ऐसा चल रहा है जब भारतीय निवेशकों को विविधीकरण के मामले में खुले तरीके से सोचना चाहिए।


लैटिन अमेरिका एक वांछनीय गंतव्य लग रहा है। हालांकि निवेशकों को जोखिम के कारकों का ध्यान रखना चाहिए।


 विदेशी परिसंपत्तियों में निवेश करने में मुद्रा से संबेधित जोखिम हमेशा बना रहता है।
(लेखिका डेरिवियम कैपिटल में म्युचुअल फंड की प्रमुख हैं)

First Published - July 6, 2008 | 11:31 PM IST

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