सरकार ने रियल एस्टेट की मांग बढ़ाने के लिए धनतेरस के दिन मकान खरीदारों और डेवलपरों को आयकर में राहत का तोहफा दे दिया। नए ऐलान के मुताबिक खरीदार आयकर विभाग के जुर्माने से डरे बगैर सर्कल रेट से 20 फीसदी कम कीमत पर मकान खरीद सकते हैं।
सर्कल रेट राज्य सरकारें तय करती हैं। इस रेट के हिसाब से संपत्ति की जो भी कीमत बैठती है, उस पर खरीद के समय स्टांप ड्यूटी देनी पड़ती है। रियल एस्टेट में लंबे समय से चल रही मंदी और महामारी की चोट के कारण देश के कई इलाकों में रियल्टी कीमतें सर्कल रेट से भी नीचे चली गई हैं। जब सर्कल रेट से कम कीमत पर सौदा किया जाता है तो सर्कल रेट और सौदे की कीमत के बीच के फर्क को खरीदार की आय माना जाता है और उस पर कर वसूला जाता है। होस्टबुक्स के संस्थापक और चेयरमैन कपिल राणा कहते हैं, ‘इस बुरे समय में भी राज्य सरकारों ने सर्कल रेट नहीं बदले, जिससे रियल्टी सौदों पर भारी कर चुकाना पड़ रहा है।’
सर्कल रेट में तब्दीली नहीं होने का खमियाजा खरीदारों के साथ डेवलपरों को भी भुगतान पड़ रहा था। आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा बताते हैं कि ऐसे मामलों में जमीन या इमारत या दोनों का सौदा होने पर आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 43सीए लागू होती है। इसके मुताबिक अगर डेवलपर सर्कल रेट से कम भाव पर जमीन या मकान बेचता है तो भी सरकार उसे सर्कल रेट पर बिका मानकर मुनाफे और कर का हिसाब लगाएगी।
पिछले साल सरकार ने डेवलपरों को सर्कल रेट से 10 फीसदी कम भाव पर जमीन-मकान बेचने की इजाजत दे दी थी। मगर अब सर्कल रेट और सौदे के भाव में 10 के बजाय 20 फीसदी फर्क को हरी झंडी दे दी गई है। एनए शाह एसोसिएट्स एलएलपी के पार्टनर गोपाल बोहरा कहते हैं, ‘अब स्टांप ड्यूटी और बिक्री की असली कीमत में 20 फीसदी तक का फक्र होने पर भी डेवलपर के मुनाफे में कुछ नहीं जोड़ा जाएगा।’ डेवलपरों पर कर का बोझ घटेगा तो शायद वे ग्राहकों को भी सस्ते मकान दें यानी बिना बिके मकान जल्दी निपटाने के लिए वे कीमत कम कर सकते हैं।
जहां तक खरीदारों की बात है तो आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(एक्स) कहती है कि 1 अप्रैल, 2017 को या उससे पहले अगर किसी व्यक्ति को कुछ भुगतान कर किसी प्रकार की अचल संपत्ति खरीदी है और उस पर जो स्टांप शुल्क बनता है, वह आपके द्वारा चुकाई गई कीमत से अधिक बैठता है और शुल्क चुकाई गई कीमत से 50,000 रुपये या अधिक अथवा 110 फीसदी अधिक होता है तो उस अतिरिक्त रकम पर कर देना होगा। उसे अतिरिक्त स्रोतों से आय मद के अंतर्गत रखा जाएगा और उस पर कानून के हिसाब से बनने वाला आयकर वसूला जाएगा। राणा बताते हैं, ‘110 फीसदी की इस सीमा को अब बढ़कार 120 फीसदी कर दिया गया है।’
मगर सीमा बढ़ाने की और सर्कल रेट से कम पर खरीदफरोख्त करने की जो राहत दी गई है, उसके साथ शर्तें भी जुड़ी हैं। रात केवल 30 जून, 2021 तक मिलेगी और 2 करोड़ रुपये तक के मकान पर ही मिलेगी। अगर आप 2 करोड़ रुपये से कीमत का मकान देख रहे हैं तो जल्द खरद लीजिए। पिछले कुछ साल में संपत्ति के दाम और आवास ऋण की दरें इतनी कम कभी नहीं रहीं। साथ ही वित्त मंत्री ने कर में अतिरिक्त राहत भी दे दी है। इसलिए जायदाद खरीदने का इससे अच्छा मौका हाथ नहीं आएगा। जल्दी से मकान तलाशिए, सौदा पक्का कीजिए और सात महीने के भीतर खरीद पूरी कर फायदा उठा लीजिए।
