अक्टूबर में कमजोरी के बाद नवंबर में कॉरपोरेट बॉन्ड निर्गमों में तेजी दर्ज की गई, क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा नरम रुख अपनाए जाने से बाजार में धारणा मजबूत हुई है। अक्टूबर में कॉरपोरेट बॉन्डों से जुटाई जाने वाली रकम में 40 प्रतिशत की गिरावट आई थी, मुख्य तौर पर उधारी लागत बढ़ने से यह दबाव देखा गया।
अनुमानों से पता चला है कि भारतीय कंपनियों ने 28 नवंबर तक 82,590 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जबकि अक्टूबर में यह आंकड़ा 33,148 करोड़ रुपये था।
नवंबर में जुटाई गई रकम मई और जून के बाद चालू वित्त वर्ष में तीसरी सबसे बड़ी पूंजी थी। चालू वर्ष के मई और जून में कॉरपोरेट बॉन्ड निर्गम 1.03 लाख करोड़ रुपये और 1.20 लाख करोड़ रुपये रहे थे।
बाजार कारोबारियों का मानना है कि सकारात्मक बाजार धारणा की वजह से दिसंबर के निर्गम नवंबर के आंकड़े को पार कर सकते हैं। बाजार का मानना है कि ब्याज दरें अपने चरम पर पहुंच चुकी हैं और अब इनमें ठहराव देखा जा रहा है, जिससे निवेशक डेट बाजार में अवसर तलाशने पर जोर दे रहे हैं।
इसके अलावा, बाजार पिछले साल के मुकाबले पूरे चालू वित्त वर्ष के लिए कॉरपोरेट बॉन्ड निर्गमों में न्यूनतम 15-20 प्रतिशत की कुल वृद्धि का अनुमान जता रहा है।
बाजार कारोबारियों का कहना है कि नवंबर में निर्गमों में वृद्धि का मुख्य कारण अक्टूबर में पेश किए जाने वाले निर्गमों का टलना था। बॉन्ड पेश करने वाली कंपनियों ने बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए अपने निर्गमों को टाल दिया था।