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नए पोर्टफोलियो नियमों से केंद्र की सिक्योरिटीज के मुकाबले राज्य सरकारों के बॉन्ड का बढ़ेगा आकर्षण

बैंकों को बॉन्ड को स्थायी आधार पर 'हेल्ड-टु-मैच्योरिटी' श्रेणी में रखना है, जिसमें पोर्टफोलियो का महज 5 फीसदी हिस्सा अपवाद होगा जिसे साल में कभी भी वापस लिया जा सकता है।

Last Updated- February 28, 2024 | 9:56 PM IST
Corporate bond FPI investment India

अप्रैल 2024 में लागू नए पोर्टफोलियो नियमों के तहत बैंकों के निवेश खाते में केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों की तुलना में राज्य सरकारों के बॉन्ड ज्यादा हो सकते हैं क्योंकि इनका यील्ड अधिक है।

ट्रेजरी अधिकारियों ने कहा कि पोर्टफोलियो में सबसे बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार के प्रतिभूतियों का बना रहेगा, लेकिन आगामी महीनों में राज्य सरकार के बॉन्ड बेहतर रिटर्न के लिहाज से दबाव को प्रबंधित करने में कारगर साबित होंगे।

नए नियम के तहत, बैंकों को बॉन्ड को स्थायी आधार पर ‘हेल्ड-टु-मैच्योरिटी’ श्रेणी में रखना है, जिसमें पोर्टफोलियो का महज 5 फीसदी हिस्सा अपवाद होगा जिसे साल में कभी भी वापस लिया जा सकता है। इन नियमों से किसी भी तरह से परे जाने से पहले बैंक के बोर्ड और भारतीय रिजर्व बैंक से अनुमति जरूरी होती है।

इससे पहले, बैंकों को वित्त वर्ष के पहले दिन साल में एक बार श्रेणियों के बीच अपने निवेश को पुनर्वर्गीकृत करने की अनुमति थी, जिसके माध्यम से वे पूंजीगत लाभ अर्जित करते थे।

एक बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ‘सरकारी बॉन्ड की मांग में बदलाव आ सकता है। बैंकों, खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाताओं की ओर से कुल मांग में गिरावट नहीं आएगी। राज्य सरकारों के बॉन्ड पर उच्च प्रीमियम से बैंकों के एसएलआर बुक के लिए उनका आकर्षण बना रहेगा।’

एक मध्यम आकार के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा कि नए नियमों के तहत हेल्ड-टु-मैच्युरिटी श्रेणी में बॉन्ड रखने की कोई सीमा नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘इससे बैकों की नकदी आवश्यकताओं के साथ राज्य सरकार के बॉन्ड जैसे उच्च यील्ड वाले बॉन्ड को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।’

मंगलवार को 12 राज्यों ने राज्य सरकार की प्रतिभूतियों (एसजीएस) के जरिये 32,800 करोड़ रुपये जुटाए। यह इस सप्ताह के उच्चतम नीलामी लक्ष्य 45,200 करोड़ रुपये की तुलना में 27 फीसदी कम है। भारित औसत कटऑफ पिछले सप्ताह के 7.46 फीसदी से कम होकर 7.44 फीसदी रह गया है।

इसके अलावा 10 वर्षीय एसजीएस की कट ऑफ और बेंचमार्क 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड यील्ड के बीच का अंतर भी पिछले सप्ताह के 41 आधार अंक से घटकर 37 आधार अंक हो गया है।

राज्य सरकारों की उधारी केंद्र सरकार से कम है मगर यह राशि के लिहाज से अहम है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष में फरवरी 2024 के मध्य तक केंद्र सरकार की सकल बाजार उधारी 15.13 लाख करोड़ रुपये थी, जबकि इसी अवधि के दौरान राज्य सरकारों ने 7.53 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे।

First Published - February 28, 2024 | 9:56 PM IST

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