facebookmetapixel
दक्षिण भारत के लोग ज्यादा ऋण के बोझ तले दबे; आंध्र, तेलंगाना लोन देनदारी में सबसे ऊपर, दिल्ली नीचेएनबीएफसी, फिनटेक के सूक्ष्म ऋण पर नियामक की नजर, कर्ज का बोझ काबू मेंHUL Q2FY26 Result: मुनाफा 3.6% बढ़कर ₹2,685 करोड़ पर पहुंचा, बिक्री में जीएसटी बदलाव का अल्पकालिक असरअमेरिका ने रूस की तेल कंपनियों पर लगाए नए प्रतिबंध, निजी रिफाइनरी होंगी प्रभावित!सोशल मीडिया कंपनियों के लिए बढ़ेगी अनुपालन लागत! AI जनरेटेड कंटेंट के लिए लेबलिंग और डिस्क्लेमर जरूरीभारत में स्वास्थ्य संबंधी पर्यटन तेजी से बढ़ा, होटलों के वेलनेस रूम किराये में 15 फीसदी तक बढ़ोतरीBigBasket ने दीवाली में इलेक्ट्रॉनिक्स और उपहारों की बिक्री में 500% उछाल दर्ज कर बनाया नया रिकॉर्डTVS ने नॉर्टन सुपरबाइक के डिजाइन की पहली झलक दिखाई, जारी किया स्केचसमृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला मिथिलांचल बदहाल: उद्योग धंधे धीरे-धीरे हो गए बंद, कोई नया निवेश आया नहींकेंद्रीय औषधि नियामक ने शुरू की डिजिटल निगरानी प्रणाली, कफ सिरप में DEGs की आपूर्ति पर कड़ी नजर

मुंबई में बिके सबसे ज्यादा Electoral Bond, फिर इन राज्यों से किए गए राजनीतिक पार्टियों को सबसे ज्यादा दान

ADR के मार्च, 2018 से जनवरी, 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक मुंबई में कुल 4009.4 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड की बिक्री हुई।

Last Updated- February 15, 2024 | 11:25 PM IST
Mumbai has the largest share of electoral bonds sold since inception Electoral Bond: मुंबई में बिके सबसे ज्यादा चुनावी बॉन्ड, फिर इन राज्यों से मिले राजनीतिक पार्टियों को सबसे ज्यादा दान

चुनावी बॉन्ड की खरीद में शुरुआत से लेकर अब तक मुंबई की सर्वाधिक हिस्सेदारी है। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को इस चंदे को असंवैधानिक घोषित कर दिया।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के मार्च, 2018 से जनवरी, 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक मुंबई में कुल 4009.4 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड की बिक्री हुई। इसके बाद हैदराबाद, कोलकाता और नई दिल्ली की हिस्सेदारी है। इस तरह महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, दिल्ली जैसे चार राज्यों में बॉन्ड की कुल बिक्री 13,222 करोड़ रुपये की हुई।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि इस तरीके से चंदे का स्रोत गोपनीय ही रहता है। इसमें दान देने की कोई सीमा भी नहीं है। इसमें कॉरपोरेट से धन जुटाने की पहले लगी सीमा खत्म कर दी गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस योजना को खत्म करके इस तरह की सीमाओं को फिर से बहाल किया है।

न्यायालय ने इंगित किया कि व्यक्ति विशेष की तुलना में कारोबार का राजनीतिक प्रक्रिया पर अधिक प्रभाव होता है। कंपनियों से मिला दान नीतियों को प्रभावित कर सकता है। मुंबई में भारत के सबसे बड़े औद्योगिक घराने हैं और यह शहर सरकार के लिए करों का सबसे बड़ा स्रोत है।

विभिन्न खेप में बेचे गए बॉन्ड की कुल कीमत करीब 2 अरब डॉलर है। यह योजना साल 2018 में शुरू हुई थी। अप्रैल, 2019 में चुनाव शुरू होने से पहले करीब 5,000 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए थे। इसके बाद दो गुना राशि के चुनावी बॉन्ड की बिक्री की गई। इसकी कुल राशि 16518.1 करोड़ रुपये पहुंच चुकी है।

एडीआर ने अक्टूबर 2023 में जानकारी दी थी कि चुनावी बॉन्ड योजना का प्रमुख तौर पर इस्तेमाल बेइंतहा संपत्ति वालों ने किया था जबकि बॉन्ड 1000 रुपये के कम मूल्य वर्ग पर भी उपलब्ध थे। इन बॉन्ड से ज्यादातर राशि 1 करोड़ रुपये के मूल्यवर्ग से आई।

नोट के मुताबिक, ‘कुल खरीदे गए बॉन्ड में 12,999 करोड़ रुपये या 94.25 फीसदी राशि एक करोड़ रुपये के मूल्य वर्ग से थी। ’

First Published - February 15, 2024 | 11:07 PM IST

संबंधित पोस्ट