वित्त-बीमा

BFSI summit: वृद्धि के नए चरण की दहलीज पर सामान्य बीमा उद्योग

बिज़नेस स्टैंडर्ड के बीएफएसआई इनसाइट समिट में उद्योग के दिग्गजों ने बीमा की पैठ और वृद्धि की नई संभावनाओं पर की चर्चा

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कृष्ण कांत   
Last Updated- November 08, 2024 | 11:00 PM IST

देश में स्वास्थ्य, मोटर और संपत्ति बीमा जैसी सामान्य योजनाओं की पैठ काफी कम बनी हुई है। लेकिन उद्योग में वृद्धि बहाल होने के शुरुआती संकेत हैं और बाजार बढ़ना शुरू हो गया है। ऐसा कहना है सामान्य बीमा कंपनियों के मुख्य कार्य अधिकारियों का।

बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में बड़ी सामान्य बीमा कंपनियों के प्रमुखों ने कहा कि उन्हें हाल के वर्षों में वृद्धि को लेकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन उद्योग वृद्धि और विस्तार के नए दौर की दहलीज पर है। इससे उद्योग को सरकार और बीमा नियामक आईआरडीएआई का साल 2047 तक सभी को बीमा का विजन हासिल करने में मदद मिलेगी। तब तक भारत के विकसित राष्ट्र बनने की उम्मीद है।

एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ अनुज त्यागी ने कहा कि स्वास्थ्य और मोटर जैसी बीमा योजनाओं की कम पैठ एक मसला है लेकिन अब सकारात्मक प्रभाव स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं। विभिन्न बीमा कंपनियों ने पहले ही नए निवेश करना, नए शहरों में कार्यालय खोलना और नए वितरकों की भर्ती करना शुरू कर दिया है। बुनियादी काम पूरा हो चुका है और यह जल्द ही पॉलिसी बिक्री और प्रसार के आंकड़ों में दिखना शुरू हो जाएगा।

आईआरडीएआई के आंकड़ों के अनुसार सामान्य बीमा क्षेत्र के लिए प्रीमियम और जीडीपी अनुपात कुछ वर्षों से लगभग 1 फीसदी पर स्थिर है, जिसने उद्योग के नियामक और सरकार की चिंता बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि पॉलिसियों में वृद्धि और पैठ को बीमा वाहक, बीमा विस्तार और बीमा सुगम जैसी नियामकीय पहलों से मदद मिल रही है।

त्यागी ने कहा, ‘अब हमारे पास खास पॉलिसी लाने के लिए भी नियामकीय स्वतंत्रता है, एक नया वितरण ढांचा भी है और प्रत्येक बीमा कंपनी को बीमा योजनाओं की वृद्धि और पैठ बढ़ाने के लिए देश में खास राज्य दिए गए हैं। इससे वृद्धि के एक नए चरण की शुरुआत होगी।’

फ्यूचर जेनेराली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के प्रबंध निदेशक अनूप राऊ ने कहा कि जीडीपी-प्रीमियम अनुपात देश में बीमा की पहुंच को पूरी तरह बयां नहीं करता है। उन्होंने कहा, ‘साल 2014 से 2023 के बीच भारत की आबादी करीब 11 फीसदी बढ़ी है। लेकिन इस दौरान बेची गई नई पॉलिसियां करीब तीन गुना हो गई हैं। मगर पिछले सात वर्षों में औसत टिकट आकार सालाना महज 1.3 फीसदी की दर से बढ़ा है जिससे जीडीपी अनुपात प्रीमियम पर प्रतिकूल असर पड़ा है।’

उनके मुताबिक सबसे प्रासंगिक संख्या पॉलिसी कवर है। नई पॉलिसियों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए यह प्रीमियम के मुकाबले काफी तेजी से बढ़ा है। अनूप राऊ ने कहा, ‘वाहन बीमा में प्रति पॉलिसी औसत प्रीमियम कई वर्षों से नहीं बढ़ा है। लेकिन फसल बीमा के मोर्चे पर इसमें गिरावट आई है जबकि पॉलिसियों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है।’

एको जेनरल इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी अनिमेष दास ने कहा कि जनरल इंश्योरेंस को बैंकिंग और दूरसंचार जैसे मजबूत उद्योगों से टक्कर मिल रही है। उन्होंने कहा, ‘डिजिटल डिस्ट्रीब्यूशन के जमाने में बीमा उद्योग बैकिंग और दूरसंचार जैसे शुरुआती उद्योग के साथ पकड़ बना रहा है। डिजिटल नवोन्मेष उद्योग अब तेजी से बढ़ रहा है और इससे बड़ी संख्या में मिलेनियल्स को आकर्षित करने में मदद मिलेगी और साल 2047 तक सभी के लिए बीमा के नियामकीय दृष्टिकोण को आगे बढ़ने में सफलता मिल सकती है।’

उद्योग जगत के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि किफायती स्वास्थ्य बीमा भी एक मुद्दा बना हुआ है और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती के जरिये इसे कुछ और कम किया जा सकता है। त्यागी ने कहा, ‘स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कम जीएसटी लगने से सीधे इसकी कीमत हो जाएगी और यह किफायती हो जाएगा जिससे बाजार में और अधिक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी।’

राऊ ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पहले से ही काफी कम में से एक है। लिहाजा, इसे और कम करने की गुंजाइश भी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘बीमा पर जीएसटी कम करके इसकी पहुंच बढ़ाना बेहतर विकल्प हो सकता है जबकि सरकार पैठ बढ़ाने के लिए बीमा प्रीमियम पर सब्सिडी देने के लिए कर राजस्व का उपयोग कर रही है।’

उद्योग के मुख्य कार्य अधिकारियों ने यह भी कहा कि बीमा कंपनियां जब मूल्यवर्धित सेवाएं पेश करने लगेंगी तो वृद्धि को नई रफ्तार मिलेगी। अमिनेष दास ने कहा कि मूल्यवर्धित सेवाओं से ग्राहक भी ब्रांड के साथ जुड़ेंगे, जिससे हमारे लिए उन्हें योजनाओं की बिक्री करना काफी आसान हो जाएगा।

First Published : November 8, 2024 | 11:00 PM IST