अक्सर लोगों के लिए बैंक में शिकायत दर्ज कराने का अनुभव बहुत ही खराब रहता है। आपने भी कभी शिकायत दर्ज कराने के लिए बैंक में फोन किया होगा, जिसमें आपको बैंक के किसी प्रतिनिधि से बात करने के लिए विभिन्न नंबर दबाने के लिए कहा गया होगा। कई नंबर दबाने के बाद भी किसी अधिकारी से बात नहीं होती है। लेकिन बहुत ही जल्द यह बदल सकता है, क्योंकि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा गठित एक पैनल ने बैंकों और समान विनियमित संस्थाओं (REs) में ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने के लिए कई उपायों की सिफारिश की है।
लगभग एक करोड़ ग्राहक हर साल अपने बैंकों और अन्य REs से शिकायत करते हैं और पिछले तीन सालों में इस संख्या में कोई खास बदलाव नहीं आया है। RBI द्वारा पिछले साल बनाए गए पैनल ने यह जानकारी दी। इन शिकायतों की समीक्षा करते हुए, पैनल ने ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने के लिए कई सुझाव दिए हैं। आइए इन सिफारिशों को समझते है।
बैंकों में धोखाधड़ी की सूचना देना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है और कई ग्राहक इस प्रक्रिया और मानदंडों से पूरी तरह से वाकिफ भी नहीं होते। ग्राहकों के लिए इसे आसान बनाने के लिए, पैनल ने सुझाव दिया है कि शिकायत दर्ज करने के लिए भारतीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर एक ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
शिकायत को पीड़ितों के बैंक से लाभार्थी बैंक/कार्ड जारीकर्ता/व्यापारियों को धन के फ्लो को रोकने के लिए एक ऑटोमेटिक अलर्ट मेल ट्रिगर करना चाहिए। लाभार्थी बैंक को शिकायत में रिपोर्ट किए गए लेन-देन का डिटेल वेरिफिकेशन पूरा होने तक खाते में समतुल्य राशि को तुरंत ब्लॉक कर देना चाहिए।
REs के कॉल सेंटर को एक समर्पित IVRS फ्लो के साथ डिजाइन किया जा सकता है, जो ग्राहक के प्रोफाइल/प्रश्नों के आधार पर ग्राहक के साथ महत्वपूर्ण ‘क्या करें और क्या न करें’ (Do’s and Don’ts) को साझा करता है, जिसमें कठिन प्रश्नों या बौद्धिक रूप से प्रभावशाली ग्राहकों के लिए इन-हाउस वित्तीय सलाहकारों का प्रावधान शामिल है।
पैनल ने अपनी सिफारिश में कहा कि कॉल सेंटर में एक ऑटोमेटिक कॉल-बैक सुविधा होनी चाहिए, जिससे बीच में कट गए कॉल को फिर से पूरा किया जा सकेगा। कस्टमर केयर एक्जीक्यूटिव से बात करने का विकल्प सभी मेनू विकल्पों का हिस्सा होना चाहिए, ताकि ग्राहक को अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए बार-बार नंबर दबाने की जरूरत न हो।
पैनल ने शिकायत दर्ज कराने के लिए एक कॉमन पोटर्ल विकसित करने की सिफारिश की है। इस कॉमन पोटर्ल की मदद से ग्राहक विभिन्न REs से संबंधित शिकायत एक ही मंच पर कर सकेंगे।
REs के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतों का विश्लेषण करते हुए, पैनल ने पाया कि REs के बीच शिकायतों को वर्गीकृत करने में एकरूपता की कमी थी। कुछ REs द्वारा कई शिकायतों को सुझाव या सवाल के रूप में माना जा रहा था, जो संभवतः REs का काम आसान बना देता है क्योंकि शिकायत को हल किया जाना चाहिए, जबकि सुझाव या प्रश्न की ऐसी कोई आवश्यकता नहीं होती है। साथ ही, इससे शिकायतों की संख्या कम रखने में भी मदद मिलती है। कम शिकायतों के साथ, बैंक को अधिक कुशल माना जाता है।