प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
वाणिज्यिक बैंक अभी भी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) के माध्यम से व्यापार करने की तकनीक विकसित करने की प्रक्रिया में हैं। क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआईएल) के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि ऐसे में बड़े पैमाने पर डिजिटल रुपये की स्वीकार्यता में 2 से 3 साल लग सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि सीबीडीसी से ट्रेडिंग के सीमित लाभ हैं।
क्लियरिंग कॉर्पोरेशन डिजिटल रुपये का उपयोग करके सरकारी सिक्योरिटीज और कॉल मनी मार्केट ट्रांजेक्शन में सेकंडरी मार्केट ट्रांजेक्शन के निपटान की सुविधा प्रदान करता है। इसमें पूरी तरह से खरीदारी और पुनर्खरीद समझौते दोनों शामिल हैं। अधिकारी के अनुसार सीबीडीसी में ट्रेडिंग करते समय ट्रांजैक्शन का सैटलमेंट ट्रांजेक्शन से होता है, जबकि शुद्ध निपटान दिन के अंत में होता है।
अधिकारी ने कहा, ‘सीबीडीसी का उपयोग करने पर बैंकों और मार्केट पार्टिसिपेंट्स को कोई अतिरिक्त लाभ नहीं हैं। इसके अलावा बैंकों ने अभी तक सीबीडीसी के माध्यम से संचालन के लिए सिस्टम विकसित नहीं किया है।’
सीबीडीसी केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी किया गया एक लीगल टेंडर है। यह सॉवरिन पेपर करेंसी के समान है, लेकिन एक अलग रूप लेता है। यह मौजूदा करेंसी के समान ही लेनदेन योग्य है। इसे भुगतान के माध्यम, लीगल टेंडर और मूल्य के एक सुरक्षित भंडार के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। सीबीडीसी केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट में देनदारियों के रूप में दिखाई देता है।
हाल ही में एक भाषण में भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा कि नियामक को सीबीडीसी को पूरे देश में पेश करने की कोई जल्दबाजी नहीं है। उन्होंने कहा था कि इसका सबसे बेहतर उपयोग सीमा पार भुगतान में है और यह हर देश को अपना सीबीडीसी पेश करने की जरूरत है। शंकर ने यह भी कहा था कि पॉयलट परियोजना बेहतर तरीके से आगे बढ़ रही है और भारत में इसका यूजर बेस 70 लाख हो गया है।
मुद्रा बाजार के हिस्सेदारों ने कहा कि अतिरिक्त प्रोत्साहन की कमी और ट्रांजैक्शन के निपटान की लंबी प्रक्रिया के कारण निजी क्षेत्र के बैंक सीबीडीसी के माध्यम से सरकारी सिक्योरिटीज और कॉल मनी मार्केट में ट्रेड करने के लिए अनिच्छुक हैं।
एक सरकारी बैंक से जुड़े डीलर ने कहा कि दो या तीन को छोड़कर बमुश्किल ही निजी क्षेत्र का कोई बैंक सीबीडीसी के माध्यम से कारोबार करता है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि नैतिकतावश सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सीबीडीसी में कारोबार करते हैं। इससे सीबीडीसी में कारोबार की मात्रा कम है।’ होलसेल सीबीडीसी का दायरा व्यापक करने के लिए रिजर्व बैंक ने पॉयलट परियोजना का विस्तार करते हुए 4 एकल प्राइमरी डीलरशिप को शामिल किया है। बहरहाल प्राइमरी डीलरशिप के डीलरों ने कहा कि उन्हें डिजिटल करेंसी के माध्यम से ट्रेडिंग में परिचालन संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में हिस्सेदारी न्यूनतम है।
एक प्राइमरी डीलरशिप से जुड़े डीलर ने कहा, ‘प्राइमरी डीलर लीवरेज्ड बैलेंसशीट का इस्तेमाल करते हैं। इसका मतलब यह है कि उनकी ज्यादातर संपत्तियों का वित्तपोषण रीपो उधारी से होता है। इसकी वजह से उनके पास गिरवी न रखी हुई सिक्योरिटीज नहीं होती।’