निजी क्षेत्र के यस बैंक ने संभावित अधिग्रहण के लिए दो निजी बैंकों के बारे में विचार किया है।
बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यस बैंक आने वाले 18 से 24 महीनों में दो निजी बैंकों के अधिग्रहण प्रक्रिया को पूरा कर सकता है। यस बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राणा कपूर ने बताया, ‘हमारे पास अधिग्रहण के विकल्प के रूप में एक या दो बैंक हैं। हम 18 से 24 महीनों में संभावित अधिग्रहण के बारे में विचार कर रहे हैं।’
भविष्य में यस बैंक द्वारा जिन दो बैंकों के अधिग्रहण की योजना बनाई जा रही है, उनके नामों का खुलासा नहीं करते हुए कपूर ने बताया, ”यह अच्छी खबर है कि मूल्यांकन नहीं बढ़ रहा है। बैंक का मूल्यांकन एक उचित स्तर पर बना हुआ है और मध्यावधि तक इसके बढ़ने के कोई आसार नहीं है। लिहाजा बैंक द्वारा अधिग्रहण बेहद आकर्षक होगा।’
दूसरे बैंक द्वारा खुद के अधिग्रहण के बारे में यस बैंक के अध्यक्ष ने कहा, ‘हमें ऐसा लगता है कि अन्य बैंकों के साथ विलय करना हितकर नहीं होगा। दूसरे बैंक के साथ विलय कर हम अपनी पहचान नहीं खोना चाहते हैं और न ही अपनी दिशा और दृष्टि को खोना चाहते हैं।’
उन्होंने बताया कि विदेश के कुछ बैंक नई पीढ़ी के ऋणदाता बैंकों के अधिग्रहण के इच्छुक दिख रहे थे। हाल ही में, एचएसबीसी बैंक ने इस बैंक में अपनी हिस्सेदारी में 4.48 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। यस बैंक के अध्यक्ष कपूर ने इसे ‘एक शुध्द वित्तीय निवेश’ कहा।
हालांकि कपूर इस बात से परदा नहीं उठा रहे हैं कि आखिर वे किन बैंकों का अधिग्रहण करेंगे। लेकिन बैंकिंग इंडस्ट्री से जुड़े दिग्गजों का मानना है कि यस बैंक- कर्नाटक बैंक, करूर वैश्य बैंक और केरल स्थित कैथोलिक सीरियन बैंक, फेडरल बैंक और सॉउथ इंडियन बैंक में से किसी एक का अधिग्रहण कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि कुछ महीने पहले ही आईडीबीआई द्वारा यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का अधिग्रहण और एचडीएफसी बैंक में सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब का विलय हुआ था। कपूर ने बताया कि बैंकिंग क्षेत्र में यस बैंक जैसे नए खिलाड़ी के लिए पूरे देशभर में तेजी से फैलने का बेहतर तरीका विलय और अधिग्रहण ही है।
बहरहाल, साल 2009 को ध्यान में रखते हुए यस बैंक ने अपने प्रबंधन टीम पर निवेश करना शुरू कर चुका है। इसके अलावा बैंक खुद के विकास के लिए शाखाओं की संख्या बढ़ाने की योजना बना रहा है।
कपूर ने बताया, ”कार्य निष्पादन, प्रवास और प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए हम अपनी प्रबंधन टीम पर प्रमुखता से निवेश कर रहे हैं। हम खुद को मजबूत करने के लिए शाखाओं के विस्तारीकरण की योजना बना रहे हैं। फिलहाल देश में यस बैंक की 67 शाखाएं हैं। हम सितंबर 2010 तक बैंक की 250 शाखाएं खोलने की योजना बना रहे हैं।”
गौरलतब है कि यस बैंक में 34 फीसदी हिस्सेदारी प्रवर्तकों की है, जबकि विदेशी शेयरधारकों की 55 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा म्युचुअल फंड, एनआरआई और कर्मचारियों के पास 3 फीसदी और अन्य के पास 8 फीसदी हिस्सेदारी है।