बैंकों ने मार्च के दूसरे पखवाड़े में भले ही 79,500 करोड़ रुपये के ऋणों का आवंटन किए हो, लेकिन इसके बाद भी वित्त वर्ष 2008-09 में ऋण आवंटन की रफ्तार कम होकर 17.27 फीसदी रह गई जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह दर 21.60 फीसदी थी।
यद्यपि कर्ज की मांग में कमी और बदहाल आर्थिक हालत की वजह से पूरे ऋण आवंटन की रफ्तार पर असर पडा है लेकिन इसके बावजूद कारोबार समान्य रहा और मार्च के दूसरे पखवाड़े में बैंकों ने 79,499 करोड रुपये के ऋणों का आवंटन किया है जबकि मार्च 2008 के दौरान आवंटित राशि 75,891 करोड रुपये थी।
उल्लेखनीय है कि बैंकों ने अपने लोन बुक के आकार में बढ़ोतरी और ऋण आवंटन के सालाना लक्ष्य की प्राप्ति के मद्देनजर आवंटन तेज कर दिया। मार्च 2009 के दौरान बैंकों ने अनुमानित तौर पर 1,01,000 करोड रुपये के ऋण का आवंटन किया है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह रकम 95,281 करोड़ रुपये थी।
इस साल फरवरी में बैंकों ने 31,752 करोड रुपये के ऋण का आवंटन किया था। वर्ष 2008-09 में अपेक्षाकृत कम ब्याज दरों पर ऋणों आवंटन के ऑफर के बावजूद इसकी आवंटन की दर की रफ्तार 2003-04 के बाद से सबसे धीमी गति से आगे बढ़ी। पहले इस साल कर्ज के आवंटन की दर 20 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था लेकिन इसकी रफ्तार इससे कम ही रही।
हालांकि बाद में फिर से इस अनुमान को बढ़ाकर 24 फीसदी कर दिया गया। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार फूड क्रेडिट 28 मार्च के बाद 1,691 करोड रुपये से घटकर 46,211 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया।