भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए घोषित विशेष लिक्वीडिटी विंडो से प्रमुख अस्पताल शृंखलाओं की विस्तार योजनाओं में तेजी आने की संभावना है।
देश की मुख्य अस्पताल शृंखलाओं ने वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही में 9.8 प्रतिशत की औसत उधारी लागत दर्ज की। हेल्थकेयर सेक्टर के लिए आरबीआई की लिक्वीडिटी विंडो के तहत ऋणों का योगदान करीब 6 प्रतिशत पर रहने की संभावना है।
बैंक उधारी अस्पतालों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय स्रोत है और नई परियोजनाओं में कंपनियों द्वारा लगाई जाने वाली कुल पूंजी में इसका करीब 50 प्रतिशत योगदान है।
हालांकि उधारी पर ब्याज अस्पतालों के लिए बेहद मामूली खर्च है। देश की प्रमुख 24 सूचीबद्घ अस्पताल शृंखलाओं और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए सकल उधारी वित्त वर्ष 2020 की पहली छमाही यानी सितंबर 2020 के अंत तक करीब 14,000 करोड़ रुपये थी, जो 0.65 गुना का सकल कर्ज-पूंजी अनुपात है। नमूने में कुछ कंपनियों में शामिल हैं अपोलो हॉस्पिटल्स, फोर्टिस हेल्थकेयर, मैक्स हेल्थकेयर, नारायणा हृदयालय, फोर्टिस मलार हॉस्पिटल्स, कोवई मेडिकल सेंटर, एस्टर डीएम हेल्थकोयर, आर्टेमिस हेल्थकेयर, मेट्रोपॉलिस हेल्थकेयर, और शैल्बी ऐंड इंद्रप्रस्थ मेडिकल कॉरपोरेशन।
हालांकि कई प्रख्यात अस्पताल शृंखलाओं ने वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही के दौरान औसत लेवरेज रेशियो के मुकाबले ज्यादा दर्ज किया। उदाहरण के लिए, अपोलो हॉस्पिटल एंटरप्राइजेज पर सितंबर 2020 के अंत तक करीब 1 गुना का सकल ऋण पूंजी अनुपात था, जबकि एस्टर डीएम हेल्थकेयर का लेवरेज अनुपात समेकित आधार पर करीब 1.5 गुना था।
1 गुना से ज्यादा लेवरेज अनुपात वाली अन्य अस्पताल शृंखलाओं में कोवई मेडिकल सेंटर, डॉ. अग्रवाल्स आई हॉस्पिटल ऐंड हेल्थकेयर ग्लोबल एंटरप्राइजेज शामिल हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि कई अस्पताल शृंखलाएं अपने पुराने ऋण निपटाने के लिए लिक्वीडिटी विंडो का इस्तेमाल कर सकती हैं।
अपोलो हॉस्पिटल्स गु्रप में प्रबंध निदेशक सुनीता रेड्डी ने कहा, ‘हमने हाल में पूंजी जुटाई है, जिसे देखते हुए हमने अपनी शुद्घ उधारी बढ़ाने की अभी कोई योजना नहीं बनाई है। हम इस क्रेडिट विंडो का इस्तेमाल अपने मौजूदा ऋण स्तरों को पुन: संतुलित बनाने और इस महामारी के समय में इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में कर सकते हैं।’
कंपनी का कहना है कि आरबीआई की लिक्वीडिटी विंडो ने तीन साल तक के लिए ऋण मुहैया कराया है, जो कार्यशील पूंजी में वृद्घि के लिए काफी हद तक मददगार है और इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत बनाने में किया जा सकेगा।
कंपनी ने कहा है कि उसका शुद्घ ऋण करीब 2,400 करोड़ रुपये पर था, जो 7 प्रतिशत से कम की औसत ब्याज दर पर था। फोर्टिस हेल्थकेयर का कहना है कि उसने ताजा पूंजी जुटाने के लिए बैंकों के साथ बातचीत शुरू की है।
फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी आशुतोष रघुवंशी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम अपनी पूंजीगत खर्च योजनाओं को किसी तरह की रियायतों से नहीं जोड़ेंगे। हालांकि हम अपनी पूंजीगत खर्च से संबंधित उस प्रतिबद्घता को टालना नहीं चाहते हैं जो हमने इस साल और बाद के वर्ष के लिए की है।’ मणिपाल हॉस्पिटल्स गु्रप के प्रबंध निदेशक दिलीप जोस ने कहा कि वे इस नई फंडिंग विंडो में अवसर तलाशना चाहेंगे। उनका मानना है कि इससे कर्ज की लागत मौजूदा स्तर से घटाने में भी मदद मिल सकती है।
