सरकार ने स्पेशल अंडरटेकिंग ऑफ यूटीआई (एसयूयूटीआई) के शेयरों की बिक्री से 9000 करोड़ रुपये के लाभ का लक्ष्य निर्धारित किया है।
लेकिन अब लाभ में कमी की संभावना है क्योंकि एलएंडटी,आईटीसी और ऐक्सिस बैंक के शेयरों की कीमतों में गिरावट आने से एसयूयूटीआई के पोर्टफोलियो में 20000 करोड़ रुपये तक की कमी आयी है।
एसयूयूटीआई ने यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया की निश्चित वापसी वाली स्कीम की परिसंपत्तियों और देनदारी का अधिग्रहण किया है।
बाजार जब अपनी ऊंचाइयों को छू रहा था तब इन तीन निवेशों का मूल्य 35,694 करोड़ रुपये की ऊंचाई पर था लेकिन बेंचमार्क इंडेक्स में 26 फीसदी की गिरावट के बाद इसका मूल्य गिरकर 15,518 करोड़ रुपये के स्तर पर आ गया।
जब 2003 में सरकार ने परेशानी में फंसी यूटीआई को संकट से निकालने के लिये कदम उठाया था तब एसयूयूटीआई के हिस्से तीन ब्लूचिप कंपनियां आयी थीं।
योजना के अनुसार एसयूयूटीआई की अप्रैल 2009 तक तीन रणनीतिक निवेश योजना एसयूयूटीआई के प्रशासक के एन पृथ्वीराज का कहना है कि हम प्रतिभूतियों से बाहर जाने के लिये सेंसेक्स की ओर नहीं देख रहे हैं।
हम प्रतिभूतियों के रोजाना कारोबार का पीछा नही करते हैं। ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के सीएमडी रह चुके पृथ्वीराज ने आगे कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया।
एसयूयूटीआई की एलएंडटी में 9.11 फीसदी,आईटीसी में 12 फीसदी और ऐक्सिस बैंक में 27 फीसदी की हिस्सेदारी है।
एलएंडटी के शेयरों में जनवरी की रिकॉर्ड ऊंचाई 4,670 रुपये से 35 फीसदी की गिरावट आई है। आईटीसी के शेयरों में जनवरी के उच्च मूल्य 239 रुपये से 23 फीसदी की गिरावट आई है जबकि ऐक्सिस बैंक के शेयर अपनी जनवरी की ऊंचाई 1,291 रुपये से 37.8 फीसदी गिर गये हैं।
अब इन शेयरों का क्रमश: 2,804.90 रुपये,185 रुपये और 802 रुपये की कीमत पर कारोबार हो रहा है।
सूत्रों का कहना है कि यह सरकार की जिम्मेदारी थी कि इन तीन ब्लूचिप कंपनियों को बाहर करने के बारे में निर्णय ले और एसयूयूटीआई इसमें किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं ले सकती है।
गुरुवार को शेयर बाजार में 770 अंकों की गिरावट के बाद शेयर बाजार पिछले छह महीनों के न्यूनतम स्तर पर आ गया है।
एसयूयूटीआई का निर्माण फरवरी 2003 में यूटीआई में जारी परेशानियों को खत्म करने के लिये हुआ था जिनमें निश्चित वापसी की योजनाओं के अलावा यूएस-64 भी शामिल है।
विभाजन के बाद दूसरी यूटीआई जिसे यूटीआई एएमसी कहते हैं,को अन्य स्कीमों के प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गयी।
सूत्रों का कहना है कि एसयूयूटीआई तीन वर्षो के लगातार शेयर बाजार के चढ़ाव के दौरान लाभ कमाने के बाद ज्यादातर छोटी और मझोलीे प्रतिभूतियों को निकालने के योग्य थी।
लेकिन ये तीन ब्लूचिप कंपनियां एसयूयूटीआई के ही पास रही क्योंकि सरकार उस समय यह निर्णय लेने में सक्षम नहीं थी कि प्रतिभूतियों को कैसे बाहर किया जाये।
एक सूत्र का कहना है कि इन प्रतिभूतियों को एक रणनीतिक बिक्री या खुले बाजार में परिचालन के तहत बाहर किया जा सकता था।
जबकि खुले बाजार में बिक्री का प्रतिभूतियों के मूल्य और तरलता पर सीधा असर होता है, रणनीतिक हिस्सेदारी बिक्री के तहत ज्यादा वापसी पायी जा सकती थी।
2001 के तकनीकी उभार के दौरान तत्कालीन यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया को सैकड़ों कंपनियों की इक्विटी हिस्सेदारी मिल गयी थी जिनमें से कई की जबरदस्त साख थी।
यूटीआई के प्रमुख ब्रांड यूएस-64 उससमय के दौरान आयी शेयर बाजार की गिरावट के दौरान दिवालिया होने की कगार पर था इसके पहले की सरकार इस म्युचुअल फंड हाउस के अस्तित्व को बचाये रखने के लिये कोई कदम उठाती।
एक सूत्र का कहना है कि पिछले कुछ सालों में हम 100 से अधिक कंपनियों के शेयरों को खुले बाजार या सीधे बिक्री के जरिये बेचने की हालत में थे। अब हम सिर्फ कुछ इलिक्विड ब्रांड का ही मालिकाना हक रखते है जिनमें एलएंडटी,आईटीसी लिमिटेड और ऐक्सिस बैंक शामिल हैं।
यहां तक कि यूटीआई बैंक के मुख्यालय जो बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स में है और अभी तक यह एसयूयूटीआई के स्वामित्व में था ,को यूटीआई एएमसी को एक अघोषित मूल्य में बेच दिया गया। विश्लेषकों का कहना है कि एसयूयूटीआई को इस बिक्री के जरिये 200 करोड़ से भी अधिक की अच्छी खासी पूंजी ली होगी।