स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने भारतीय बाजारों से इंडियन डिपॉजिटरी रिसीट (आईडीआर) के जरिए 5000 करोड़ रुपए जुटाने के लिए प्रक्रिया शुरू की है।
किसी विदेशी खिलाड़ी का यह पहला आईडीआर निर्गम होगा। बैंक ने जेएम फाइनेंशियल और यूबीएस एजी को अपना लीड मैनेजर नियुक्त किया है। इस निर्गम के लिए गोल्डमैन सैक्स, बैंक आफ अमेरिका और कोटक महिंद्रा को भी नियुक्त किया गया है।
संपर्क करने पर स्टैंडर्ड चार्टर्ड के एक प्रवक्ता ने कहा, भारत हमारे लिए एक अहम बाजार है। हम अपनी रणनीतियों के अनुसार अपने विकल्पों का आकलन करते रहते हैं। भारत में सूचीबध्द कराने की संभावना है और हम इसे टटोल रहे हैं पर अभी यह शुरूआती चरण में है।
प्रक्रिया से जुड़े एक बैंकर ने कहा कि निर्गम कब आएगा, यह बाजार के हालात पर निर्भर करेगा। एक अन्य बैंकर ने कहा कि निर्गम करीब 1 अरब डालर यानी 5000 करोड़ रुपए का होगा। हालांकि इसे अंतिम रुप नहीं दिया गया है।
जैसे भारतीय कंपनियां अमेरिकी या ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट (एडीआर) के जरिए विदेशी बाजारों से धन जुटाती हैं, उसी तरह आईडीआर के जरिए विदेशी कंपनियां भी भारतीय बाजार से पैसे उगाह सकती हैं। एडीआर या आईडीआर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट हैं जिनकी कीमत इससे तय होती है कि कस्टोडियन केपास कितने शेयर जमा के रुप में रखे हैं।
इन शेयरों के आधार पर ही कस्टोडियन डिपॉजिटरी रिसीट जारी करता है। रिसीट अनुपात के आधार पर जारी की जाती है जो इस पर निर्भर करता है कि एक डिपॉजिटरी रिसीट कितने शेयरों के बराबर है। आईडीआर के बारे में सरकार ने नियमों को वर्ष 2004 में अधिसूचित किया था। इसके बाद सेबी ने भी जरूरी कानून बना दिए।
सेबी के दिशानिदेशों के तहत जो कंपनी अपने घरेलू बाजार में कम से कम तीन साल से सूचीबध्द है और जो आईडीआर लाने से पहले के पांच साल में से तीन वर्ष तक लाभ कमाती रही हो, उसे ही आईडीआर लाने की इजाजत है। इसके अलावा निर्गम से पहले कंपनी की चुकता पूंजी और फ्री रिजर्व कम से कम 5 करोड़ डालर होने चाहिए।
