भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक कार्य समूह ने यह सिफारिश की है कि लघु वित्त बैंक बनने को इच्छुक पेमेंट बैंक पांच वर्ष के अनुभव की बजाय तीन वर्ष के अनुभव के साथ ऐसा कर सकते हैं।
रिजर्व बैंक के कार्य समूह ने इस छूट की मांग की है जो यदि स्वीकृत हो जाती है तो बहुत से पेमेंट बैंकों के लिए खुद को लघु वित्त बैंक में बदलने का दरवाजा खुल सकता है। रिजर्व बैंक ने अब तक सात पेमेंट बैंकों को लाइसेंस जारी किया है। लेकिन इनमें से एक ने स्वेच्छा से 2020 में लाइसेंस वापस कर दिया।
इस बीच कार्य समूह ने नए लघु वित्त बैंक (एसएफबी) को स्थापित करने के लिए आरंभिक प्रदत्त वोटिंग इक्विटी शेयर पूंजी/शुद्घ रकम को बढ़ाकर 300 करोड़ रुपये करने की सिफारिश की है। फिलहाल एसएफबी को स्थापित करने के लिए न्यूनतम जरूरी पूंजी 200 करोड़ रुपये है। आरंभ में जब लघु वित्त बैंक को लाइसेंस देने के दिशानिर्देश जारी किए गए तब कहा गया था कि एसएफबी को स्थापित करने के लिए जरूरी न्यूनतम प्रदत्त इक्विटी पूंजी 100 करोड़ रुपये होगी और एसएफबी में तब्दील होने वाली एनबीएफसी के लिए न्यूनतम शुद्घ रकम 100 करोड़ रुपये होगी।
कार्य समूह ने देखा कि जिन 10 एसएफबी ने परिचालन शुरू किया है उनमें से सात ने 300 करोड़ रुपये से अधिक की शुद्घ रकम के साथ परिचालन शुरू किया और बाकी तीन ने अपने कारोबार को चालू करने के एक वर्ष से तीन वर्ष के भीतर 300 करोड़ रुपये के स्तर को पार कर लिया, लिहाजा आरंभिक पूंजी आवश्यकता को बढ़ाकर 300 करोड़ रुपये किया जाना अधिक वास्तविक होगी।
एसएफबी में तब्दील होने को इच्छुक शहरी सहकारी बैंकों के लिए आरंभिक पूंजी आवश्यकता 150 करोड़ रुपये होनी चाहिए जिसे अगले पांच वर्ष में बढ़ाकर 300 करोड़ रुपये किया जाना है।
कार्य समूह ने यह भी सुझाव दिया है कि भविष्य में स्थापित होने वाले एसएफबी को यूनिवर्सल बैंकों के लिए निश्चित पूर्व की आरंभिक पूंजी आवश्यकता के स्तर के शुद्घ रकम तक पहुंचने की तिथि से छह वर्ष के भीतर या परिचालन शुरू करने की तारीख से 10 वर्ष के भीतर सूचीबद्घ किया जाना चाहिए, इनमें से जो भी पहले हो। फिलहाल, लघु वित्त बैंक को 500 करोड़ रुपये के शुद्घ रकम तक पहुंचने के तीन वर्ष के भीतर या परिचालन शुरू करने के छह वर्ष के भीतर, जो भी बाद में आए, सूचीबद्घ कराना होता है।
कार्य समूह ने कहा, ‘विशेषज्ञ समान्यतया इस बात पर सहमत हैं कि सूचीबद्घ होने की समयसीमा तय होने से नए बैंकों के प्रबंधन के लिए परिचालन के शुरुआती वर्षों में सूचीबद्घता की जरूरतों को पूरा करना प्राथमिकता में होगा न कि बैंक का परिचालन करना।’
साथ ही, उन्होंने सुझाव दिया है कि मौजूदा लघु वित्त बैंकों और पेमेंट बैकों को 500 करोड़ रुपये की शुद्घ रकम पर पहुंचने के छह वर्ष के भीतर या परिचालन शुरू करने के 10 वर्ष के भीतर, जो भी पहले हो, सूचीबद्घ हो जाना चाहिए।
