बैंकों के फंसे ऋणों को प्रस्तावित परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी (एआरसी) में बुक वैल्यू पर हस्तांतरित करने की एक संसदीय समिति की सिफारिश महज दिखावा साबित होगी और इससे किसी संपत्ति की कीमत निर्धारित करने में कोई मदद नहीं मिलेगी। विशेषज्ञों का ऐसा कहना है।
एआरसी अधिकारियों का कहना है कि कीमत के नियमन के बजाय फंसे ऋणों (एनपीए) के मूल्य को बाजार शक्तियों पर छोड़ा जाना चाहिए। जब राष्ट्रीय एआरसी या बैड बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से लाइसेंस मिल जाएगा तो बैंक अपना एनपीए बैड बैंक में हस्तांतरित करेंगे। ऋणदाता दो लाख करोड़ रुपये का एनपीए हस्तांतरित करने और एआरसी में 10-10 फीसदी तक हिस्सा लेने की योजना बना रहे हैं। फंसे ऋण इस साल सितंबर तक हस्तांतरित होने के आसार हैं।
संसदीय समिति ने सिफारिश की है कि एनपीए को बुक वैल्यू पर हस्तांतरित किया जाए।