S&P ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के मुताबिक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) का जून तिमाही में प्रदर्शन अपने भारी लागत से आय के अनुपात (cost-to-income ratio) और मार्क-टू-मार्केट घाटे (mark-to-market losses) के कारण एशिया प्रशांत क्षेत्र के दूसरे बैंको के मुकाबले सबसे खराब था।
SBI का लागत-से-आय अनुपात सबसे अधिक 71.06 प्रतिशत था। SBI के बाद जापान की मित्सुबिशी यूएफजे फाइनेंशियल ग्रुप इंक, जापान की रेजोना होल्डिंग्स इंक और भारत की आईसीआईसीआई बैंक का स्थान है। Cost-to-income ratio जितना कम होगा बैंक को उतना अधिक लाभ मिलेगा। S&P ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस ने परिचालन लागत को परिचालन आय से विभाजित करके लागत-से-आय अनुपात की गणना की।
मार्केट इंटेलिजेंस के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, SBI का लागत-से-आय अनुपात जून तिमाही में साल दर साल (YoY) 911 आधार अंक बढ़ गया, जो बैंकों के बीच सबसे तेज वृद्धि है। एचडीएफसी बैंक लिमिटेड का लागत-से-आय अनुपात 35.23 प्रतिशत से बढ़कर 40.78 प्रतिशत हो गया, क्योंकि बाजार में गिरावट के कारण अधिकांश भारतीय उधारदाताओं के निवेश पर मार्क-टू-मार्केट नुकसान हुआ। S&P ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस ने कहा कि आईसीआईसीआई बैंक, जो संपत्ति के हिसाब से तीसरा सबसे बड़ा भारतीय बैंक है, ने अपने लागत-से-आय अनुपात में 60.01 प्रतिशत का सुधार किया है, जो एक साल पहले की तिमाही में 62.45 प्रतिशत था।
मार्क-टू-मार्केट घाटे के कारण SBI के गैर-ब्याज आय में तेजी से गिरावट हुई जिसके कारण वित्त वर्ष 2023 की अप्रैल-जून तिमाही (Q1) में SBI का शुद्ध लाभ साल दर साल घटकर 6.7 प्रतिशत यानि 6,068 करोड़ रुपये रह गया। पहली तिमाही में निवेश का घाटा 6,549 करोड़ रुपये था। हालांकि, बैंक के प्रबंधन ने आश्वासन दिया था कि एक बार प्रतिफल में नरमी के बाद वे मार्क-टू-मार्केट नुकसान को वसूल लेंगे।
भारतीय बैंक सरकारी बॉन्ड में प्रमुख निवेशक हैं। देश के केंद्रीय बैंक के नीतिगत दर में बढ़ोतरी करने और एक सख्त मौद्रिक नीति रुख अपनाने से सरकारी बॉन्ड पर प्रतिफल में वृद्धि हुई और उनकी कीमतों में गिरावट आई। बॉन्ड यील्ड उनकी कीमतों के विपरीत चलती है। मार्क-टू-मार्केट नुकसान या फिर निवेश पर नुकसान तब होता है जब कंपनियों द्वारा रखी गई वित्तीय संपत्ति का मूल्य गिर जाता है।
जबकि अधिकांश प्रमुख बैंकों ने अपनी निवेश पुस्तिका में मार्क-टू-मार्केट घाटा देखा है, किसी ने भी पहली तिमाही में शुद्ध हानि की सूचना नहीं दी है। 4 मई से शुरू हुए ब्याज दरों में बढ़ोतरी के मौजूदा समय में, भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दर में कुल 140 आधार अंकों की वृद्धि की है। विश्लेषकों का अनुमान है कि यील्ड में करीब 11,800 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी से बाजार पर असर पड़ा है, जिसमें से करीब 8,600 करोड़ रुपये सरकारी बैंकों के लिए होंगे। बैंकों में राज्य के स्वामित्व वाले ऋणदाता सरकारी प्रतिभूतियों (government securities) के सबसे बड़े धारक हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, जापानी बैंक एशिया-प्रशांत में सबसे कम कुशल थे, क्योंकि रिकॉर्ड कम दरें उनके राजस्व और आय में वृद्धि को रोक कर रखती हैं। चीन में बैंक सबसे कुशल बने हुए हैं, हालांकि कुछ ने तिमाही के दौरान अपने लागत-से-आय अनुपात में वृद्धि देखी है।