वैश्विक वित्तीय मंदी के दौरान उद्योग जगत से ऋण की मांग में आई कमी को दूर करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक ने छोटे और मंझोले उद्योगों पर ध्यान देना शुरू कर दिया है।
बैंक के चंडीगढ़ सर्किल (चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पंजाब) के मुख्य महाप्रबंधक अजय स्वरूप ने बताया कि बैंक ने एसएमई क्षेत्र को 3,000 करोड़ रुपये का ऋण देने का लक्ष्य तय किया है जो पिछले साल के लक्ष्य से 30 फीसदी अधिक है।
उन्होंने कहा, ‘अक्टूबर 2008 तक बैंक ने एसएमई क्षेत्र को 1,066 करोड़ रुपये का ऋण बांट दिया था और यह पिछले साल की तुलना में 20 फीसदी अधिक है।’
स्वरूप ने बताया कि बाजार में छाई अनिश्चिता की वजह कुछ इकाइयों में विस्तार और सुधार योजनाओं को टाल दिया गया है। हालांकि उन्होंने बताया कि घरेलू बाजार में मांग अब भी बनी हुई है।
उन्होंने बताया कि बैंक ने वास्तविक हालात का पता लगाने के लिए हाल ही में लुधियाना और चंडीगढ़ में उपभोक्ताओं से बात किया है।
इससे पता चला कि बैंक के सारे ग्राहक निर्यातक नहीं हैं। एमएसपी की समीक्षा और निर्यात में कमी आने से टेक्सटाइल क्षेत्र पर मार पड़ी है। ठीक उसी तरह कतरन के दाम बढ़ने से भी स्टील क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
दूसरी ओर ऊंची लागत मूल्य और अनिश्चित माहौल की वजह से ऑटो मोबाइल क्षेत्र पर भी गाज गिरी है। उन्होंने कहा कि एसएमई क्षेत्र के लिए बैंक पुनर्भुगतान अवधि बढ़ाने को तैयार है,
सावधि ऋण का पुनर्निधारण करने को तैयार है और साथ ही ऋण के दायरे की समीक्षा करने को भी तैयार है। पर उन्होंने कहा कि प्रोसेसिंग फीस और दूसरे शुल्कों में कोई रियायत नहीं दिया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि बैंक को क्षेत्र में चावल प्रसंस्करण इकाइयों के जरिये 5,00 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि नवंबर महीने में मौसम की शुरुआत होते ही इन इकाइयों में काम की रफ्तार जोड़ पकड़ने लगेगी।
उन्होंने जानकारी दी कि बैंक मार्च 2009 तक 140 नई शाखाएं खोलेगा। बैंक के पास एसएमई क्षेत्र में 1.8 फीसदी एनपीए है। बैंक ने ऑटो और मकानों के लिए ऋण क्षेत्र में सबसे अच्छा कारोबार किया है और स्वरूप ने बताया कि हर क्षेत्र में सालाना 30 से 35 फीसदी की विकास हासिल करने की उम्मीद है।